कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी

नोएडा में चिल्ला बॉर्डर सील

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली- हरियाणा प्रदेश बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन आज 7वें दिन भी जारी है।

पुलिस ने आज UP को जाने वाले नोएडा लिंक रोड पर स्थित चिल्ला बॉर्डर बंद कर दिया है। गौतम बुद्ध गेट पर किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए

यह फैसला लिया गया। वहीं, गाजियाबाद में दिल्ली बॉर्डर पर सुबह किसान आंदोलित हो उठे और बैरिकेडिंग तोड़ दी। किसानों ने यहां डेरा जमाते हुए

मवेशी भी बांध दिए। इस दौरान सरकार की सद्बुद्धि के लिए हवन पूजन किया गया।

इस बीच भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ऐलान किया कि कल यानी गुरुवार को दिल्ली घिरेगी।

सरकार को अपना बिल वापस लेना होगा। बस देखना है कि सरकार कितना समय लेती है?

5 दिन से प्रदर्शन कर रही BKU

हरियाणा और पंजाब किसानों द्वारा कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के बाद से UP के किसान भी गाजियाबाद जिले में दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

यहां किसान 5 दिन से डटे हैं। इस दौरान किसानों ने कई बार दिल्ली में घुसने की कोशिश भी की, लेकिन दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के इंतजाम के आगे

वह अपनी कोशिश पर सफल नहीं हो पाए। बुधवार को जहां एक तरफ सरकार की सद्बुद्धि व प्रदर्शन की सफलता के लिए हवन पूजन किया गया।

वहीं, किसान अपने साथ लाए मवेशियों को बॉर्डर पर बांध दिया है।

नोएडा जाने के लिए इन रास्तों का करें इस्तेमाल

दरअसल, मंगलवार रात सैकड़ों किसान चिल्ला बॉर्डर पर इकट्ठा हो गए थे। एहतियातन नोएडा से होकर दिल्ली से उत्तर प्रदेश में जाने वाले रास्ते पर स्थित चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

ऐसे में जिन लोगों को नोएडा जाना है वे गाजीपुर-अक्षरधाम फ्लाइओवर के नीचे से यू-टर्न लेकर और सराय काले खान होते हुए जा सकते हैं।

चिल्ला गांव के पास ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है।

मंगलवार को हुई बैठक बेनतीजा निकली

मंगलवार को सरकार के साथ 35 किसान संगठनों की 3 घंटे की बातचीत बेनतीजा रही।

मीटिंग में सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश मौजूद रहे थे।

मीटिंग में सरकार कानूनों पर प्रजेंटेशन दिखाकर फायदे बताती रही, लेकिन किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे।

उन्होंने इतना तक कह दिया कि हम कुछ तो हासिल करेंगे, भले गोली हो या फिर शांतिपूर्ण हल। किसानों ने कृषि कानूनों को डेथ वारंट बताया।

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