@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- कल्याण और मदन सागर मे जलकुंभी का आपार भण्डार। जनता को कल्याण सागर मे पानी तक नही मिल रहा।
बाँदा/महोबा। महोबा का कल्याण सागर तालाब यहां के अति प्राचीन इतिहास को समेटे है। यह अलग विडंबना है कि आज इस कल्याण सागर का कल्याण करने वाले इतने कृपण, सामाजिक दरिद्रता के शिकार है कि महोबा की शान मदन सागर की तर्ज पर इसको भी भू-माफियाओं से खत्म करा रहें है। कल्याण सागर का निर्माण बीर बर्मा चन्देल राजा (1242-86 ई.) ने कराया था। इसका नाम उन्होंने अपनी रानी कल्याण देवी के नाम पर रखा था। गौरतलब है कि यह कल्याण सागर तालाब / सरोवर महोबा के पूर्व मे कानपुर-सागर मार्ग पर स्थित है। यह कल्याण सागर तालाब,मदन सागर एवं विजय सागर तालाब के मध्य दोनों से मिला हुआ है।
साथ ही इसके बाँध पर सतियों के चीरा लगे हैं। वहीं सिंह वाहिनी देवी, बल खंडेश्वर महादेव एवं चामुंडा देवी मंदिर बने हुए हैं। ऐसा लगता है कि इस बाँध पर चन्देलों के शमशान रहे होंगे। लेकिन इसके शौर्य पर पलीता लगाते शहर के बुद्धिजीवी, पर्यावरण कार्यकर्ता और एनजीओ संचालकों को तनिक भी शर्म नही है। महोबा के तारा पाटकर सोशल मीडिया पर दुखड़ा व्यक्त करते हुए लिखतें है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन राज मे महोबा के बाशिंदों को यूं कल्याण सागर मे पितृ तर्पण करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है आज 7 सितंबर से पितरों का तर्पण शुरू हुआ है। इस अवसर पर अंगले पंद्रह दिवस लोग तालाब व नदी मे पितरों को पानी देते है। तारा पाटकर कहतें है कि ऐसे यदि पितृ तर्पण करने को शहरवासियों को मजबूर होना पड़ेगा तो उस प्रशासन को क्या ही कहा जायेगा जो गाहेबगाहे तालाबों पर कारनामों की इबारत पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते है। तारा लिखतें है कि रविवार को पितृपक्ष शुरू होने से पहले प्रशासन सोता रहा है और उनकी तरफ से कल्याण सागर की जलकुंभी हटाने की कोई व्यवस्था नही की गई है।
बतलाते चलें कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने तालाबो पर स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका कायम की है। हाईकोर्ट ने 17 सितंबर तक बुंदेलखंड के सातों जिलाधिकारी से ग्रामसभा मे पिछले 20 वर्षों के तालाबों का लेखाजोखा तलब किया है। तारा की मानें तो आज रविवार को महोबा की जनता शहर के ऐतिहासिक कीरत सागर, मदनसागर व कल्याण सागर झील मे पितृपक्ष के पहले दिन सुबह तर्पण के लिए पहुंची है। कीरत सागर पर थोड़ी नजर रहती है इसलिए प्रशासन ने उसको कुछ साफ कर दिया है जो कजली मेले मे गंदा हुआ था। वहीं मदन सागर की तबियत बेहद नासाज है। जबकि कल्याण सागर लोगों का पहुंचना हुआ तो वहां की दुर्दशा देखकर सभी बहुत आहत हुए है। उन्होंने तालाबो को हिन्दुओं की आस्था से जोड़ते हुए पितरों मे साफ करवाने की मांग उठाई है। तारा पाटकर ने फेसबुक पर महोबा डीएम काजल भरद्वाज/ प्रशासन के उदासीन रवैए के प्रति भारी आक्रोश प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि लगता है प्रशासन ने मुख्यमंत्री योगी जी की लुटिया डुबाने की कसम खा ली है। कम से कम आज तो पहला दिन है। अभी 14 दिन पितरों के और बाकी है। यह सिलसिला पूरे 15 दिन तक चलत है। ऐसे-कैसे काम चलेगा डीएम साहिबा जी? मदनसागर व कल्याण सागर झील मे रोज सुबह हजारों लोग तर्पण के लिए पहुंचते हैं लेकिन गंदगी और जलकुंभी से पटी पड़ी इन झीलों / तालाबों मे न तो पानी में कहीं खड़े होने की जगह है और न कहीं नहाया जा सकता है। तस्वीरें गवाही देती है कि इन झीलों और महोबा के बड़े तालाबों को सरकारी बजट खर्च करने का जरिया मान लिया गया है। वे कहतें है कि कल्याण सागर की दुर्दशा देखकर तो ऊपर बैठे चंदेल नरेश मदन वर्मन व वीर वर्मन द्वितीय की आत्मा भी जरूर रो रही होगी। क्योंकि यह कृत्य यकीनन सरकारी तंत्र के निर्लज्जता की हद और मिटते तालाबो की जद समाज के पतन का उदाहरण है। देखना होगा कि क्या महोबा प्रशासन कल्याण और मदन सागर की पितरों मे सुध लेगा या नही ! बाकी भू माफियाओं की कृपा तो बनी ही है।