दस्यु ददुआ सांसद पति के लिए मसीहा और भगवान तो अम्बिका पटेल उर्फ ठोकिया क्यों नही ? | Soochana Sansar

दस्यु ददुआ सांसद पति के लिए मसीहा और भगवान तो अम्बिका पटेल उर्फ ठोकिया क्यों नही ?

@आशीष सागर दीक्षित,बाँदा/चित्रकूट।

31 जुलाई 2025 को बाँदा दस्यु प्रभावित न्यायालय ने सत्रह बाद दस्यु अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया गैंग के बदमाशों को दस साल की सजा दी है…

  • बाँदा डकैती कोर्ट ने एक सत्रह वर्ष पुराने हत्याकांड के मामले मे ठोकिया गैंग के बदमाशों को दस साल की सजा सुनाई है।
  • बुंदेलखंड के बाँदा मे बीहड़ों के डाकू आज कद्दावर समाजवादी नेताओं के लिए जातीय वोटबैंक की धुरी पर मसीहा और भगवान बन रहें है।
  • ठोकिया के परिवार मे ददुआ डकैत सा राजनीतिक रसूख न होने से सांसद पतिदेव अंबिका पटेल को गरीबों का मसीहा / भगवान नही कहते है।
  • बहन के बलात्कार और गर्भवती होने की खबर से अंबिका पटेल बन गया खूंखार डकैत ठोकिया।
  • ठोकिया का भाई दीपक पटेल भी ग्राम प्रधानी जीता ठास। जैसे दस्यु राधे का बेटा अरिमर्दन प्रधान बना था।
  • शिवकुमार कुर्मी (पटेल) उर्फ ददुआ के परिजनों मे बेटा वीर सिंह कर्वी सदर से सपा सीट पर विधायक बन चुके है। छोटा भाई बालकुमार पटेल सपा से सांसद व इनका बेटा राम सिंह प्रतापगढ़ की पट्टी विधानसभा से विधायक रह चुका है।

बाँदा/चित्रकूट। ज़िले की नरैनी विधानसभा क्षेत्र के थाना कालिंजर अंतर्गत सुखारी पुरवा के जंगलों मे कांबिंग के दरम्यान ( डकैतों का सर्चिंग ऑपरेशन) पुलिस टीम पर जानलेवा हमला करने वाले ठोकिया गिरोह के सदस्यों को विशेष न्यायालय दस्यु प्रभावित क्षेत्र ने दस साल की सजा मुकर्रर की है। इनमें पहलवान उर्फ मुन्ना, भूरा और हमीरपुर की जेल मे बन्द डाकू ज्ञान सिंह को सजा सुनाई गई है। साथ मे 11-11 हजार रुपया जुर्माना हुआ है। जानकारी मुताबिक सत्रह साल पहले वर्ष 2008 मे बाँदा के कालिंजर थाना क्षेत्र के एसआई आरएन त्रिपाठी जी ने 10 मई 2008 को एक एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमें बताया था कि सुखारी पुरवा के जंगल मे ठोकिया गैंग के सदस्यों की मौजूदगी है। इस सूचना पर तत्काल एंटी डकैती ऑपरेशन टीम ने कांबिंग शुरू की और एक टीले पर कुछ संदिग्ध डाकू होने की तस्दीक हुई।

जब पुलिस टीम के सदस्यों ने डाकुओं को ललकारा तो उन्होंने जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। इस मुठभेड़ मे गैंग सरगना अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया (अब मृतक है) ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई। दोनों तरफ की फायरिंग मे कुछ डकैत मौका पाकर भाग निकले जिसमें अंबिका पटेल भी थे। यह गिरोह सरगना एक अन्य मुठभेड़ मे बाद मे मारा गया था। लेकिन पुलिस टीम ने गिरोह के सदस्य पहलवान उर्फ मुन्ना और भूरा को गिरफ्तार कर लिया।

पकड़े गए दो डकैतों ने सदस्यों के नाम खोले-

कालिंजर के सुखारी पुरवा की मुठभेड़ मे पकड़े गए ठोकिया गिरोह के दो हार्डकोर सदस्यों क्रमशः पहलवान उर्फ मुन्ना ने बताया कि टीले पर उनके साथ मे अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया, ज्ञान सिंह, दादू उर्फ राम सिंह, सुंदरलाल पटेल, नन्हेराम उर्फ मनोज भी शामिल थे। इनकी गवाही व निशानदेही पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी। गौरतलब है कि मुकदमे की गवाही और ट्रायल दौरान दादू उर्फ राम सिंह व सुंदरलाल पटेल की मौत हो गई। वहीं नन्हेराम उर्फ मनोज को पुलिस ने आरोपपत्र मे लापता दिखाया था। मुकदमे मे ज्ञान सिंह (हमीरपुर जेल मे बन्द), पहलवान उर्फ मुन्ना व भूरा के खिलाफ सुनवाई हुई। इस मामलें की सुनवाई मे न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के 6 गवाह सुने और फैसला सुनाया।

बाँदा और चित्रकूट के डकैतों का राजनैतिक दखल-


बुंदेलखंड के बाँदा और चित्रकूट के पाठा (मानिकपुर के जंगलों) मे दशकों तक दस्यु सम्राट बनकर पनपे डकैतों का सियासी दखल भी था। जिसमें गया बाबा ( सन्यासी हो गए अब पैलानी क्षेत्र के एक गांव मे मंदिर आश्रम पर कब्जा है।) का उस दौर मे चित्रकूट-बाँदा तक दबदबा था। कहते है शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ डकैत जिसने 25 साल तक उत्तरप्रदेश की पुलिस और राज्य सरकार के अपने खौफनाक इरादों से दांत खट्टे किये थे। जिसके सर्चिंग ऑपरेशन पर उस वक्त 5 करोड़ से अधिक रुपया खर्च हुआ था।

वो ददुआ डकैत आज भले ही न जीवित हो लेकिन चित्रकूट, कर्वी,मानिकपुर की चुनावी बिसात पर शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ का जलवा बरकरार रहता है। मृतक ददुआ के भाई व पूर्व सांसद बालकुमार पटेल है। उनका बेटा राम सिंह यूपी की प्रतापगढ़ की पट्टी विधानसभा से सपा का विधायक रहा। वहीं ददुआ का बेटा वीर सिंह कर्वी सदर सीट से पूर्व विधायक है। आज करोड़ों की प्रॉपर्टी है और रसूखदार परिवार के मुखिया ददुआ का मंदिर तक फतेहपुर की सरहद पर बन चुका है।

हाल ही मे बाँदा-चित्रकूट लोकसभा सांसद श्रीमती शिवशंकर पटेल कृष्णा पटेल जी स्वयं ददुआ की पुण्यतिथि मे गत सप्ताह चित्रकूट कर्वी मे उपस्थित थे। उन्होंने मीडिया मे शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ को सामंती व्यवस्था से पीड़ित व गरीबों का मसीहा और भगवान की उपमा देकर महिमामंडन किया है।

यह बयान बहुत विवादों मे रहा लेकिन चुनावी मर्ज और बीजेपी छोड़कर सपा के साथ पीडीए का फर्ज उन्हें यह सब कुछ कहने को विवश किये है। वर्ना जयश्री राम के नारों पर राजनीति करने वाले पूर्व बीजेपी मंत्री व नेता ( विधानसभा बबेरू,बाँदा) दस्यु सम्राट ददुआ को ‘भगवान’ का सोपान न देते।

महत्वपूर्ण तथ्य है कि आज के एसटीएफ प्रमुख वरिष्ठ आईपीएस श्री अमिताभ यश ने कभी पाठा के जंगलों मे ददुआ का इनकाउंटर टीम के साथ किया था। किन्तु इसमे भी मतभेद है कुछ स्थानीय रहवासियों का मत है एक मुखबिर ने दस्यु सम्राट से गद्दारी की जिसका खामियाजा ददुआ ने भुगता था। वहीं बसपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री बहन मायावती जी के साथ शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ का मतभेद भी उसकी मौत का कारण बन गया। बतलाते चले कि बुंदेलखंड मे दस्युओं के परिवार से परिजनों ने चुनावी जीत हासिल की थी। मसलन खडग सिंह की पत्नी भी ग्राम प्रधानी के मैदान मे उतर चुकी है। वहीं चित्रकूट जिले के सबसे बड़े और कुख्यात डकैत व ददुआ के बाद दूसरे नंबर पर का कद रखने वाले कुख्यात डकैत अंबिका पटेल उर्फ “ठोकिया” का छोटा भाई दीपक पटेल भी ग्राम प्रधान बन चुका है। उधर ज़िले की सदर सीट कर्वी के बंदरी गांव से दीपक पटेल ने ग्राम प्रधान का चुनाव जीता था। जबकि एक और क्षेत्रीय खूंखार डाकू खडग सिंह की पत्नी माया देवी मड़ैयन (हनुमान धारा के ऊपर बसे गांव) गांव से चुनाव लड़ी थी।

ददुआ के दाहिने हाथ दस्यु राधे का बेटा बना था प्रधान और ठोकिया का भाई भी-

देश की तीसरी सरकार अर्थात ग्राम पंचायतों के त्रिस्तरीय चुनाव मे गांव की छोटी सरकार बनने का क्रम चल रहा था। वहीं बुंदेलखंड उन डाकुओं के परिवारों का दबदबा प्रधानी के चुनावी जंग मे हुआ जो जेल मे बंद थे। उदाहरण स्वरूप चित्रकूट जिले के साढ़े सात लाख के इनामी डकैत ददुआ के राइट हैंड कहे जाने वाले व उस समय जेल में सजा काट रहे इनामी डकैत ‘राधे’ का बेटा अरिमर्दन सिंह उर्फ सोनू चित्रकूट के करवी ब्लॉक के शीतलपुर तरौंहा गांव से प्रधान बनने मे कामयाब हो गया था। वहीं डकैत राधे के बेटे अरिमर्दन सिंह कुल 192 वोट पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से 12 वोटों से चुनाव जीत गए थे।

उल्लेखनीय है कि पांच लाख के इनामी डकैत ‘राधे’ की पत्नी और अरिमर्दन सिंह की मां सत्यवती इससे पहले दो बार इस गांव से प्रधान रह चुकी थी। इस बार बेटे अरिमर्दन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया था, तो वहां भी जीत दर्ज की गई थी। हालांकि ये चुनाव काफी निकटतम रहा था।

साल 2022 मे भी पंद्रह वर्ष पुराने मुकदमा पर फैसला आया था-

दस्यु सम्राट रहे अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया से जुड़े गिरोह का वर्ष 2022 मे भी एक फैसला आया था। तब उस वक्त 15 साल पहले फतेहगंज के कोलूहा के जंगल मे एसटीएफ के 6 जवानों की सामूहिक हत्‍या मे ठोकिया गैंग के 13 डाकुओं को उम्रकैद हुई थी। यहां यह बतलाना समाचीन है कि दस्यु सम्राट ददुआ के खात्मे के बाद एसटीएफ टीम ठोकिया गिरोह की तलाश मे जंगलों के बीच कॉबिंग कर रही थी। उधर शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ की मौत से बौखलाये अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया को इसकी भनक लग गई थी। तब अंबिका पटेल ने अपने साथियों के साथ मिलकर एसटीएफ के 6 जवानों और एक मुखबिर की बेरहमी से हत्या कर दी थी। कहतें है दस्यु ददुआ के हथियारों का जखीरा कुछ बहुत ठोकिया के हाथ लगा था। बड़े अड्डे की जानकारी दस्यु राधे को थी। वहीं डकैतों ने एसटीएफ के जवानों की घेराबंदी करके बाँदा के थाना फतेहगंज क्षेत्र गोबरी गुड़रामपुर मे कोलुहा के जंगल मे ताबड़तोड गोलियां बरसाईं थी। यह सीधी मुठभेड़ क्षेत्र मे बने एसटीएफ के शहीद स्मारक का प्रतीक है।
साल 2022 मे बांदा की विशेष न्यायाधीश डकैती नूपुर की अदालत ने दिन गुरुवार को पंद्रह साल पुराने एक मामले मे अहम फैसला सुनाते हुए डकैत ठोकिया गिरोह के 13 डकैतों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अतिरिक्त कोर्ट ने 25-25 हजार रुपए का जु्र्माना भी लगाया था।

ये मामला असल मे था क्या ?

क्षेत्रीय रहवासी मुताबिक एसटीएफ ने दस्यु सरगना ददुआ को मुठभेड़ मे आईपीएस अमिताभ यश के नेतृत्व मे 21 जुलाई 2017 को इनकाउंटर मे मार गिराया था। इसके बाद एसटीएफ के कमांडो अपनी टीम के साथ अगले दिन वापस आ रहे थे। तभी बांदा जनपद के फतेहगंज थाना क्षेत्र के बघोलन तिराहे के पास डाकू अंबिका पटेल ने अपने साथियों के साथ 22 जुलाई 2007 की रात घातक-घात लगाकर एसटीएफ की टीम पर हमला कर दिया था। डकैतों की फायरिंग मे गोली लगने से एसटीएफ के 6 जवान और और एक मुखबिर की मौत हो गई थी।


यह मामला पिछले 15 वर्षों से बांदा की अदालत में चल रहा था। इस मुकदमे का तेजी से निस्तारण करने के लिए हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश भी जारी किए गए थे। इस बारे मे अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता राम कुमार सिंह ने बताया कि विशेष न्यायाधीश (दस्यु प्रभावित क्षेत्र) नूपुर ने इस मामले मे सभी अभियुक्तों को दोषी पाते हुए बराबर सजा दी थी। दस्युओं/ अभियुक्तों को सजा दी गई थी। उनमें धर्मेंद्र प्रताप सिंह उर्फ नरेंद्र उर्फ धर्मेंद्र भदोरिया उर्फ भैया उर्फ धर्मेंद्र सिंह, रामबाबू पटेल, किशोरी पटेल ,कल्याण सिंह पटेल, धनीराम शिव नरेश पटेल, नत्थू पटेल, अशोक पटेल उर्फ अंग्रेज पटेल, चुनूबाद पटेल, देव शरण पटेल, ज्ञान सिंह शंकर सिंह पटेल तथा राम प्रसाद विश्वकर्मा शामिल थे। इन्हें धारा 302 के अंतर्गत आजीवन कारावास व 307/149 मे आजीवन कारावास 147 मे 2 वर्ष की सजा ,148 में 3 वर्ष की सजा दी गई थी। सभी सजाएं एक साथ चली। बताते चलें कि इस हत्याकांड में 16 डकैतों को पुलिस ने नामजद किया था। जिसमें अब तक तीन आरोपियों की मौत हो चुकी थी। वहीं 12 आरोपी चित्रकूट और एक दस्यु ज्ञान सिंह जिसको पुनः 17 साल बाद दिनांक 31 जुलाई 2025 को दस साल की सजा दी गई है। उसको तब भी सजा हुई थी।

बहन के बलात्कार से ठोकिया बना डाकू

शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ से भी ज्यादा खतरनाक हो चुका था ठोकिया यूपी के उस वक्त के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विक्रम सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, “ठोकिया को पकड़ना ददुआ से भी ज्यादा मुश्किल है। वजह ये है कि ददुआ 60 साल का था और ठोकिया 36 साल का जवान डाकू है। ददुआ अनपढ़ था और ठोकिया ग्रेजुएट है। सर्विलांस से बचने के लिए उसने फोन पर बात करनी भी बंद कर दी है।

लगातार 7 घंटे की मुठभेड़ के बाद मारा गया था-

ठोकिया महीनों की कड़ी मेहनत के बाद, अगस्त, 2008 में पुलिस को जानकारी लगी कि ठोकिया 20 लोगों के गैंग के साथ चित्रकूट के कर्वी इलाके में बड़ी घटना को अंजाम देने वाला है। बिना किसी देरी के पुलिस ने सिलखोरी के जंगल में ठोकिया को घेर लिया। शाम 7 बजे दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई। लगातार 7 घंटे यानी रात ढाई बजे तक यह मुठभेड़ चली। ठोकिया मारा गया था। हालांकि, ठोकिया के कुछ जानकारों का कहना है कि उसे पुलिस ने नहीं बल्कि उसी की गैंग के एक साथी डाकू ज्ञान सिंह ने मारा था जो अब हमीरपुर की जेल मे बन्द है।

पटेलों का नया मसीहा था दस्यु ठोकिया-

डकैत ददुआ की मौत के बाद इलाके के कुर्मी समाज मे प्रभाव की रिक्तता थी। जो ठोकिया ने भरी। सूत्रधार कहतें है कि एसटीएफ पुलिस के 6 जवानों की हत्या के बाद सरकार ने 6 लाख का इनामी ठोकिया को बना दिया था। वहीं ददुआ की मौत के बाद कुर्मी समाज ठोकिया को अपना मसीहा व भगवान मानने लगा था। यह बात यकीनन वर्तमान सांसद पतिदेव व पूर्व मंत्री को पता नही होगी। यही बेबसी है कि वर्तमान सांसद पतिदेव आज भी ददुआ को मसीहा व भगवान कहतें फिर रहें है। अंबिका पटेल का खौफ इतना ज्यादा बढ़ चुका था कि उसके एक बार कहने से कोई भी नेता बेरोकटोक चुनाव जीत जाता था। इसी के चलते उसकी राजनीतिक पकड़ भी मजबूत होने लगी थी। वहीं बड़े-बड़े क्षेत्रीय नेताओं से उसको संरक्षण मिलने लगा था। इसलिए उसे पकड़ने मे पुलिस को और कठिनाई हो रही थी। हालांकि, इस बार उसका पंगा सीधे सरकार से था। 6 जवानों की मौत के बाद मायावती सरकार ने उस पर 6 लाख का इनाम रख दिया था।


ठोकिया ने एसटीएफ के जश्न को मातम मे बदल दिया था –

अम्बिका पटेल उर्फ ठोकिया का सबसे बड़ा कांड ददुआ के मारे जाने की खबर सुनते ही सरकार खुश हो गई और पुलिस ने जश्न मानना शुरू कर दिया। ठोकिया इस खबर से झल्लाया हुआ था। उसी दिन यानि 22, जुलाई 2007 को बीहड़ों मे को तेज बारिश हो रही थी। ददुआ को मार कर एसटीएफ की 16 जवानों टीम वापस लौट रही थी। बदकिस्मती से कोलुहा जंगल के पास एसटीएफ की गाड़ी एक दलदल में फंस गई थी। रात का वक्त था, जवान घबरा गए थे। उन्होंने नजदीकी थाना फतेहगंज से कनेक्ट होने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो पाई थी।

सन्नाटे भरे जंगल मे गाड़ी की आवाज दूर-दूर तक जा रही थी। ये आवाज ठोकिया के कानों तक पहुंच गई। अंबिका उर्फ ठोकिया अपने 40 डाकुओं के गैंग के साथ उस गाड़ी के पास पहुंच गया था। गाड़ी दलदल में इस तरह फंसी हुई थी कि कोई जवान बाहर नहीं निकल पा रहा था। 40 डाकुओं ने एक साथ उस गाड़ी पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी थी। गोलियों की आवाज से पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया था। गाड़ी अचानक बंद हो गई थी और सन्नाटा पसर गया था। ठोकिया को लगा सब मारे गए और वो वहां से चला गया था।

इस हमले मे पुलिस के 6 जवान और एक मुखबिर मारा गया। 7 जवान बुरी तरह घायल हो गए थे। ददुआ के मरने के कुछ घंटे बाद ही ये खबर सरकार और पुलिस तक पहुंची। उनकी खुशी मातम में बदल चुकी थी। कांड से राज्य सरकार की खूब किरकिरी हुई थी।
सरकार बदलते ही ठोकिया की उलटी गिनती शुरू हो गई साल 2007 में उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ था। मुख्यमंत्री मायावती सरकार ने डाकुओं के खिलाफ सख्त कार्यवाई के आदेश दिए थे। स्पेशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ का गठन किया गया था। तब एसटीएफ ने अपना पहला निशाना उस समय के सबसे बड़े डाकू और ठोकिया के बीहड़ गुरु शिवकुमार कुर्मी उर्फ ददुआ को बनाया था। तब महीनों की कड़ी मेहनत के बाद पुलिस ने मानिकपुर थाना क्षेत्र के आल्हा गांव के पास झलमल के जंगल में 22 जुलाई 2007 को एनकाउंटर में ददुआ को मार गिराया था।

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