
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
‘बाँदा के जसपुरा क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी मोहम्मद जैद को बकरी पालन के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एएलएम) के तहत पशुपालन विभाग से सब्सिडी चाहिए थी,जिसके लिए कनिष्ठ लिपिक ने 10 हजार रुपया रिश्वत मांगी थी। इस योजना मे 50 लाख रुपया ऋण पर स्वतः रोजगार को 50 फीसदी सब्सिडी सरकार देती है।”

बाँदा। बाँदा विकास भवन स्थित पशुपालन विभाग मे तैनात कनिष्ठ / सहायक लिपिक विकास कुमार कश्यप को बीते मंगलवार एंटी करप्शन टीम ने 10 हजार रुपया की रिश्वत लेते पकड़ लिया। भ्रष्टाचार निरोधक टीम ब्यूरो मे निरीक्षक श्याम बाबू के नेतृत्व मे यह कार्यवाही ट्रैप टीम प्रभारी राकेश सिंह, ओमप्रकाश सिंह, सीबी सिंह, आरक्षी सचिन चौरसिया, अनिल कुमार, चंद्रपाल सिंह, नितिन, कंचन,अभिषेक ने अमलीजामा पहनाया। मिली जानकारी मुताबिक जसपुरा के रामपुर गांव निवासी किसान मोहम्मद जैद ने पशुपालन विभाग के मार्फ़त एनलएम / राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना से बकरी पालन को 50 लाख रुपया ऋण पर सब्सिडी हेतु संपर्क किया था। विभाग का कनिष्ठ लिपिक विकास कुमार उसको चक्कर लगवा रहा था। उन्होंने बताया कि फ़ाइल पास करने के बदले 10 हजार रुपया घूस मांगी गई थी। परेशान होकर शिकायत कर्ता ने एंटी करप्शन टीम को संपर्क किया और पूरी योजना लिपिक को रंगे हाथों पकड़ने की बनाई गई। कल मंगलवार को घूसखोरी बाबू से 10 हजार रुपया छापेमारी को किसान के पीछे टीम भी सादी वर्दी मे पशुपालन विभाग पहुंची थी। साधारण कपड़ो मे टीम को कोई पहचान नही पाया। उधर किसान मोहम्मद जैद ने जैसे ही 10 हजार रुपया कनिष्ठ लिपिक विकास कुमार की जेब मे डाले बाबू ने टीम देखकर तुरंत बाहर फेंक दिए। लेकिन तब तक लिपिक का खेल हो चुका था। भ्रष्टाचार मे संलिप्त कनिष्ठ लिपिक विकास कुमार को एंटी करप्शन टीम देहात कोतवाली लेकर पहुंची। वहीं एफआईआर दर्ज की गई औऱ टीम 10 हजारी रिश्वतखोरी के सहायक बाबू को अपने साथ ले गई।

पशुपालन विभाग की बकरी पालन योजना पर घूस न देने के चलते ऊषा निषाद की फ़ाइल पास नही की गई…
पैलानी तहसील के ग्राम सांडी की महिला किसान ऊषा निषाद ने बताया कि उन्होंने भी सर्दी मे एएलएम योजना से बकरी पालन को फ़ाइल डाली थी। इसमे मुर्गी व सुअर पालन को भी सरकार अच्छा ऋण व स्वतः रोजगार के लिए सब्सिडी देती है। बकौल ऊषा जब उन्होंने विकास भवन के पशुपालन विभाग मे बैठे अफसरों से वार्ता की तो लाभ देने का आश्वासन दिया गया। महिला किसान ने चक्कर लगाए तब खाताधारक उषा किसान को अपने नजदीकी बैंक से ऋण व सब्सिडी पर आपत्ति न होने का प्रमाणपत्र लिखवा कर लाने को कहा गया। वहीं महिला किसान जब आवास विकास पीएनबी बैंक गई तो महिला किसान को बैंक नोड्यूज / बकरी पालन योजना मे सब्सिडी ऋण हेतु लिमिट बनाने मे ग्राम सांडी गृह निवास से बैंक की दूरी 25 किलोमीटर से ज्यादा होने का बहाना देकर चलता कर दिया। वहीं खपटिहा कला स्थित ग्रामीण आर्यावर्त बैंक ने कहा कि उनका बैंक बदलना है वहीं योजना मे अभी तक के किसानों का नाम जा चुका है फिर देखेंगे। ऊषा निषाद ने बताया कि पशुपालन विभाग के दलाल बकरी पालन स्कीम मे 50 लाख रुपया ऋण दिलाने पर सब्सिडी के लिए पूरी फ़ाइल पास कराने मे बैंक की कागजी कार्यवाही तक सहित 18 हजार रुपया रिश्वत मांग रहे थे। गौरतलब है कि किसानों को पशुधन मिशन से संचालित इस बकरी पालन योजना अंतर्गत 25 से 50 लाख ऋण पर 50 फीसदी सब्सिडी मिलती है। मिलने वाले ऋण को 7 वर्ष मे किसानों को चुकाने का प्रावधान है। यदि समयबद्ध लिया गया ऋण अदा होता है तो एक करोड़ रुपया तक अनुदान लाभार्थियों को देने के नियम पर यह अपवाद मे किसी किसान का होता है। क्योंकि किसान लिया गया ऋण और सब्सिडी हजम कर लेते है। जैसे कि खेत तालाब योजना मे होता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि जो किसान पशुपालन विभाग को रिश्वत देते है उन्ही की फ़ाइल पास होती है। सुविधा शुल्क का यह सब सिस्टम लिपिक स्तर पर तय होता है अधिकारी सीधे नही लेता है। वहीं मत्स्य विभाग मे भी निषादों के लिए मछली पालन को दीर्घ व लघु पाण्ड योजना जिसमे किसानों को अपने खेतों मे मत्स्य पालन को तालाब बनाने पर करीब 40 लाख रुपया ऋण पर ठीकठाक सब्सिडी दी जाती है उसमें भी यही झोल है। उत्तरप्रदेश सरकार मे निषाद बिरादरी के मंत्री संजय निषाद ने मछुआरों के स्वावलंबन को इस योजना पर जोर दिया था लेकिन सब हवाहवाई निकल गया। उधर बकरी पालन योजना मे व्याप्त भ्रष्टाचार से भी किसानों का बाँदा समेत आसपास भला नही हो पाया।