@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
‘बाँदा के थाना क्षेत्र गिरवां अंतर्गत ग्राम बरियारी निवासी किसान राकेश तिवारी की नदी से लगी निजी भूमि पर रस्ता बनाया गया है। किसान ने अपने नुकसान का वीडियो बयान मुताबिक 3 लाख रुपया मुआवजा मांगा लेकिन खदान संचालक संजीव गुप्ता ने अन्य किसानों को सांठगांठ कर राकेश को चलता कर दिया।’
बाँदा। बाँदा मे चल रही करीब 15 मौरम खंड बेधड़क अपनी धुन मे मदमस्त है। इन्ही मे शामिल ग्राम मरौली खंड 5 के पट्टेधारक गिरवां क्षेत्र मे भी ग्राम बरियारी की लाल बालू / मौरम खदान की लीज लिये है। यहां भी मरौली गांव की तर्ज पर नदी स्थल से लगे किसानों की निजी भूमि पर खदान संचालक संजीव गुप्ता की मनमानी चलती है। केन नदी स्थित खनन खंड से प्रभावित गांव बरियारी के किसानों को संजीव गुप्ता ने मैनेज कर लिया है। उन्हें उनकी डिमांड या मौखिक समझौता अनुसार रकम दी गई है। उधर इसी गांव के किसान राकेश तिवारी ने आरोप लगाया है कि खदान लीज होल्डर पहले तो नदी मे प्रतिबंधित पोकलैंड लगाकर ग्राम मरौली की तरह बरियारी मे भी नदी को मृत कर रहा है।
राजस्व वसूली के लिए प्रशासन ने इन्हें अवैध खनन की जैसे खुली छूट दे रखी है। आप केन घाट पर पोकलैंड से नदी जलधारा मे अवैध खनन को देखकर संजीव गुप्ता बनाम खान अधिकारी राज रंजन की जुगलबंदी का अंदाजा लगा सकते है। अलबत्ता कार्यवाही के नाम पर किसानों को ठेंगा मिलता है। बरियारी निवासी बकौल किसान राकेश तिवारी कहते है कि संजीव गुप्ता ने उनके नदी स्थल से लगे निजी भूमि को मेरी गैरहाजिर मे काटकर रस्ता बनाया है। यह गांव के अन्य किसानों को साधकर किया गया है। राकेश कहते है कि जब मैने संजीव गुप्ता से नुकसान का 3 लाख रुपया मुआवजा मांगा तो उन्होंने दबंगई से भगाया और कहा कि प्रशासन से सरकार तक लिखापढ़ी कर सकते है। उनका कुछ नही बिगड़ेगा। वहीं उन्होंने स्थानीय सूत्रधार को केन घाट पर खड़े होकर वीडियोग्राफी कराई तो नदी जलधारा पर चल रही पोकलैंड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ज़ीरो टॉलरेंस भ्रष्टाचार को मुंह चिढ़ा रही थी।
खनिज अधिकारी हल्के के एसडीएम सत्यप्रकाश (नरैनी) को समझा-बुझाकर शान्त करते है और खनन ठेकेदार वहीं ग्राम मरौली के सापेक्ष ग्राम बरियारी पर किसानों को ठग रहा है। जब मौके पर देखो जाकर तो नदी मे मारकर फेंकने की धमकी देता है। गौरतलब है सरकारी जुर्माना झेलने के विशेषज्ञ संजीव गुप्ता ग्राम मरौली खण्ड 5 मे दो-चार बार जुर्माना भोग चुके है लेकिन मरौली से बरियारी तक राष्ट्रवादी कपड़े ( गेरुआ कुर्ता ) किसान ठेकेदार से त्रस्त है।
उदाहरण के लिए गेरुआ कुर्ता पहने योगी जी के समर्थक राकेश तिवारी ही उनसे हलकान है तो बाकी गांव का रामराज्य तो औंधे मुंह गिरा पड़ा है। संजीव यदि संवेदनशील होते तो किसान की भरपाई करते लेकिन कारपोरेट सेक्टर के बड़े लीज होल्डर बड़ी कंपनियों मे नामीगिरामी लोगों को हिस्सेदार बनाकर अपना लगाया रुपया वसूलते है बाकी नदी मरेगी या नही यह बाँदा वासियों का मुकद्दर है। लीज लेने का मतलब बाँदा मे शायद समाज की केन नदी खरीद लेना होता है। तभी तो दिनदहाड़े 24 घण्टे पोकलैंड, लिफ्टर चलती है। खनिज अधिकारी नोटिस की दुहाई देता है पर रामराज्य मे जुर्माना भर होता है भरना या खदान सरेंडर करना ये पट्टेधारक की मर्जी। ग्राम मरौली खंड 5 से बरियारी तक संजीव गुप्ता का बेखौफ अवैध खनन कारनामा उत्तरप्रदेश सरकार के स्याह पन्ने खोलता है। बावजूद इसके पार्टी कार्यकर्ताओं मे बसपा और सपा का खनन बदनाम है।