दुष्कर्म के आरोपी तीन कारोबारियों पर बाँदा का मीडिया शेर, लेकिन चिंगारी गैंग लीडर राजाभैया पर ढेर… | Soochana Sansar

दुष्कर्म के आरोपी तीन कारोबारियों पर बाँदा का मीडिया शेर, लेकिन चिंगारी गैंग लीडर राजाभैया पर ढेर…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

  • मीडिया दबाव से महज 11 दिन मे चर्चित दुष्कर्म कांड मे दो गिरफ्तार और दो अभियुक्तों का आत्मसमर्पण हुआ।
  • वहीं विगत तीन माह से मुकदमा अपराध संख्या 043/25 थाना अतर्रा मे दलित महिला के अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म, हत्या के प्रयास मे आरोपी चार अभियुक्त अभी तक फरार है।
  • शहर के तीन कारोबारियों पर बाँदा के मीडिया ने दिखाई ताकत किंतु चिंगारी के राजाभैया यादव पर मौन है।
  • मानिकपुर ग्राम बगदरी निवासी दलित पीड़िता ने बीते 4 अप्रैल को बाँदा एसपी व डीआईजी को संबोधित एक प्रार्थना पत्र अपर एसपी को दिया है। यह आईजीआरएस पोर्टल पर वही डाला गया है।
  • मुकदमा अपराध संख्या 043/2025 से जुड़े एक अभियुक्त राजाभैया को 21 फरवरी के दिन पीड़िता के 18 दिनी आमरण अनशन व जोर-गुहार के बाद दबाव मे गिरफ्तार किया गया था जबकिं चार अभियुक्त फरार है।
  • मुकदमा अपराध संख्या 0275/25 नगर कोतवाली मे सभी आरोपियों की मीडिया रिपोर्ट के चलते 11 दिन मे गिरफ्तारी मुनासिब हो गई।


बाँदा। उत्तरप्रदेश के चित्रकूट मंडल का बाँदा ज़िला इन दिनों दिसंबर माह से दुष्कर्मियों की रसूखदारी से हलकान है। पुलिस की साख पर बट्टा लगाते आरोपियों को मीडिया के दबाव मे नाटकीय तरीके से गिरफ्तार किया जाता है। वहीं जिसमें स्थानीय मीडिया / पत्रकारिता मौन साध लेती है उसके अभियुक्तों की मौज रहती है। यदि कोई पत्रकार खबर के मद्देनजर सवाल पूछ बैठे तो आईओ और पुलिस अधिकारियों का एक ही रटा-रटाया उत्तर मिलता है विवेचना लंबित है। अलबत्ता अतर्रा कस्बे के संजय नगर रहवासी विद्याधाम समिति के सचिव व चिंगारी संगठन के मुखिया राजाभैया यादव की गिरफ्तारी बीते 21 फरवरी को दलित पीड़िता के आंदोलन व 18 दिन तक आमरण अनशन के बाद होती है, लेकिन अभी तक चार मुख्य सहयोगी अभियुक्त फरारी काट रहे है। इस मसले पर एफआईआर कर्ता दलित महिला ने 4 अप्रैल को एक शिकायत प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक बाँदा को संबोधित करते हुये इसकी प्रतिलिपि डीआईजी श्री राजेश एस को भी की है।

बतलाते चले कि उक्त पीड़िता ने इसको मुख्यमंत्री / आईजीआरएस पोर्टल पर वही डाला है। गौरतलब है कि यह अनुसूचित जाति की पीड़िता ग्राम बगदरी क्षेत्र मानिकपुर ज़िला चित्रकूट की रहने वाली है। वहीं यह महिला सितंबर 2022 तक राजाभैया यादव के विद्याधाम समिति व चिंगारी मे सामुदायिक कार्यकर्ता होती थी। बाकायदा इन्हें 8 हजार रुपया वेतन मिलता था। लेकिन एक स्थानीय पत्रकार पर इसी महिला से राजाभैया ने 31 मई 2022 को एक कूटरचित फर्जी मुकदमा नगर 0424/22 थाना कोतवाली मे दर्ज कराया था। इस मुकदमे के विरोध पर जब उक्त पत्रकार की बुजुर्ग माताजी ने जब महिला समर्थकों के साथ तत्कालीन एसपी अभिनंदन सिंह के कार्यालय मे निष्पक्ष जांचकर कार्यवाही का निवेदन किया तो कोई सहयोगात्मक व्यवहार पुलिस ने याचक- पीड़ितों के साथ नही किया। विडंबना वश उन्होंने मिट्टी का तेल बरबस अपने ऊपर डालने का प्रयास किया जिसमें दुराग्रह रखे तत्कालीन सीओ सिटी राकेश कुमार सिंह, तत्कालीन कोतवाल राजेन्द्र सिंह रजावत ने सांठगांठ से एक और फर्जी मुकदमा 0428/22 पत्रकार की माताजी सहित 8 अन्य महिलाओं पर लाद दिया। जिसमें सरकारी काम मे बाधा, आत्महत्या का प्रयास और पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की छद्म घटना का ज़िक्र किया गया। बाँदा पुलिस ने पत्रकार साजिशों से घेरकर कुछ मौरम माफियाओं को बचाने के लिए पत्रकार के दुश्मन राजाभैया यादव का साथ लिया था। मनबढ़ एसओजी व मौजूदा कोतवाल ने आला अफसरों के इशारे पर बेबाक-बेलौस पत्रकार को जेल तक भेज दिया गया। वहीं पत्रकार व एफआईआर का विरोध और प्रदर्शन करती इन महिलाओं के मुकदमे मे झूठा-फर्जी आरोपपत्र भी न्यायालय मे तत्कालीन आईओ सीओ सिटी ने पेश किया। आज दोनों मुकदमे क्रमशः विशेष न्यायालय एससी.एसटी कोर्ट व सीजेएम कोर्ट मे विचाराधीन है।

दलित महिला का राजाभैया ने पहले यौन शोषण किया फिर एफआईआर लिखवाने गई पीड़िता का अपहरण करके सामूहिक दुष्कर्म कराया-


कानून व्यवस्था का पैरोकार और बाँदा के अतर्रा-नरैनी क्षेत्र मे तथाकथित समाजसेवा का स्वांग धरकर 15 साल से एनजीओ चला रहे विद्याधाम समिति / चिंगारी संचालक ने पत्रकार पर मुकदमा लिखवाने वाली अपनी ही सामुदायिक कार्यकर्ता के साथ लगातार संस्था मे काम करते हुए यौनाचार व शोषण किया। उससे अन्य लोगो को फंसाने के लिए हरिजन एक्ट का हथियार की तर्ज पर दुरुपयोग किया गया। फिर जब पत्रकार पर मुकदमा लिखवाने के फलस्वरूप सरकार द्वारा आर्थिक सहयोग धनराशि अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम के तहत समाज कल्याण से डेढ़ लाख रुपया मिली तो उसमें हिस्सेदारी मांगी गई। जिस पर दलित महिला ने इंकार किया और वहीं से बगावत करके राजाभैया यादव के छद्म समाजसेवा का मायाजाल बेपर्दा कर दिया। साथ ही पत्रकार पर खुद से लिखाये फर्जी मुकदमे की पोल खोलने का साहसी काम किया। ग्राम बगदरी निवासी दलित महिला ने राजाभैया पर दुष्कर्म व यौनाचार, धमकी आदि के लिए मुकदमा अपराध संख्या 0314/24 थाना अतर्रा दर्ज कराया। जिसमे चिंगारी संयोजिका व राजाभैया की करीबी मुबीना खान को भी नामजद किया गया। इस प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखवाने के दरम्यान ही राजाभैया यादव व उसके सरपरस्त कारखास चार अन्य लोगों ने 14 दिसंबर को दलित महिला का अपहरण कराया ( जैसा महिला ने एफआईआर मे अंकित किया है।) फिर उसके साथ शारीरिक प्रताड़ना व यौनाचार हुआ।

बड़ी बात है कि सबूत मिटाने के वास्ते दलित महिला को ओहन के जंगल मे मानिकपुर क्षेत्र के रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया ताकि वो ट्रेन से कटकर खत्म हो जाये। अलबत्ता उसको लाइन मैन व स्टेशन मास्टर और 112 पुलिस की मदद से बचाया जा सका। इस घटनाक्रम के बाद संस्था मे कार्य करने के दरम्यान हुए बलात्कार का मुकदमा तो दबाव मे लिखा गया लेकिन क्षेत्राधिकारी अतर्रा प्रवीण यादव ने अपहरण कांड को दबा दिया। इस पर आहत महिला ने स्वस्थ होने के बाद व 19 दिसंबर,4 फरवरी, 13 फरवरी को प्रार्थना पत्र देकर पूरी दास्तान लिखी पर कार्यवाही नही हुई। पीड़िता ने आईओ बदलने की पुरजोर मांग की लेकिन कार्यवाही नही की गई। इधर पीड़िता ने आंदोलन किया और 18 दिन तक आमरण अनशन भी किया। तब कहीं जाकर अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म के मुकदमा 043/25 मे पांच मुख्य पुरूष अभियुक्त मे से राजाभैया की गिरफ्तारी मे अहम भूमिका निभाने वाले अतर्रा थाना प्रभारी कुलदीप तिवारी का ट्रांसफर कर दिया गया। जबकि चार अभी तक फरार है। इनमें नामजद अभियुक्त विजय बहादुर, मुबीन खान, शिवकुमार गर्ग, शिराज अहमद शामिल है। वहीं 17 महिला आईटी एक्ट की मुल्जिम है। ताबड़तोड़ लिखापढ़ी के बावजूद सीओ अतर्रा व उनके करीबी ( राजपूत महिला के विवेचक) एसआई काशीनाथ यादव को नही हटाया गया है।

राजाभैया पर मौन मीडिया तीन कारोबारियों पर ट्रायल मे है-


बाँदा शहर मे तीन लड़कियों द्वारा धनाढ्य तीन कारोबारियों स्वतंत्र साहू, लोकेंद्र सिंह चन्देल, आशीष अग्रवाल समेत दलाल नवीन विश्वकर्मा पर मुकदमा संख्या 075/ नगर कोतवाली बाँदा लिखवाने वाली खबरों को स्थानीय मीडिया ने 11 दिन तक और आज भी सुर्खियों मे जगह दी है। जबकिं इन लड़कियों ने मेडिकल कराने से इंकार किया और 164 का बयान भी सूत्रानुसार आरोपियों के पक्ष मे दिया है। वहीं राजाभैया से जुड़ी दलित महिला ने मेडिकल कराया और धारा 161 व 164 का बयान अभियुक्तों के खिलाफ दिया था। लेकिन पुलिस अफसरों का बर्ताव दोनों केस मे अलग है। उधर मीडिया की बाज नजरें तीन कारोबारियों के सेक्स स्कैंडल पर ऐसे नजरे इनायत हुई कि पुलिस महकमों को मीडिया की ताकत का अंदाजा हो गया और 11 दिन मे चार आरोपियों को सलाखों के पीछे भेज दिया गया। जिसमे स्वतंत्र साहू और आशीष अग्रवाल का आत्मसमर्पण बड़े प्रायोजित नाटकीय ढंग से हुआ है। वहीं ग्राम बगदरी की दलित महिला अपने चार अपहरण कर्ताओं, दुष्कर्मियों और हत्या की साज़िश मे शामिल ( राजाभैया जेल मे है और बाँदा से बेल खारिज है अब हाईकोर्ट मे जमानत पर याचिका 2210/25 पर 22 अप्रैल को सुनवाई है ।) कि गिरफ्तारी को प्रार्थना पत्र देकर पुलिसिया कार्यशैली पर सवालिया निशान छोड़ते हुए बाँदा अदालत से उच्चन्यायालय तक चक्कर लगा रही है। उसकी सुरक्षा तो दूर गवाहों तक को अभियुक्तों के हमदर्द धमकाने पहुंच जाते है। यह दोहरी मानसिकता व कानून के साथ मीडिया के पतन को भी उजागर करती है। उल्लेखनीय है तीन कारोबारियों वाले चर्चित केस मे आरोपी आशीष अग्रवाल, स्वतंत्र साहू के लिए सीओ ने जेल मे बयान लेने को न्यायालय पर अर्जी डाली जो स्वीकार हो गई है। दिनांक 3 अप्रैल को आशीष ने गुपचुप न्यायालय मे सरेंडर किया था। देखना यह होगा कि दलित महिला और पीड़िता को अतर्रा सीओ / विवेचक प्रवीण यादव व लोकल पुलिस से कितनी न्यायोचित कार्यवाही की उम्मीद मिलती है।

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