राष्ट्रीय ग्रामीण आजीवका योजना उन्नाव से बाँदा तक भ्रष्टाचार की पैबंद मे…. | Soochana Sansar

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीवका योजना उन्नाव से बाँदा तक भ्रष्टाचार की पैबंद मे….

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

समूह से जुड़ी महिलाओं के सहारे ही महिला उत्थान की योजनाओं पर गबन होता है….

उन्नाव/बाँदा। यूपी सरकार की जननी सुरक्षा योजना हो या राष्ट्रीय आजीवका मिशन अथवा नाबार्ड के तहत चलने वाले स्वयं सहायता समूह यह भ्रष्टाचार से गर्त मे जा रहे है। ताजा मामला उन्नाव मे एनआरएलएम योजना मे 3.85 करोड़ रुपया गबन का है। आला अधिकारी वित्तीय गबन को फलीभूत करने वास्ते इसमे जुड़ी महिलाओं को ही विभागीय / संविदा कर्मी सांठगांठ करके भ्रष्टाचार मे शामिल करते है। फिर सरकारी रकम हड़प ली जाती है। एनआरएलएम मे ही यूपी के ज़िला बाँदा मे एक साल पहले वर्ष 2024 मे करीब 3 करोड़ का भ्रष्टाचार संकुल संघ की महिलाओं को आगे करके तत्कालीन बीएमएम बड़ोखर खुर्द आकांक्षा कुशवाहा ने किया। जिसमें 88 लाख की एफआईआर सीडीओ के तरफ से डीएमएम धर्मेंद्र जायसवाल ने नगर कोतवाली मे कराई थी। बाँदा के इस घोटाले मे शामिल रहे ज़िले के एनआरएलएम डीएमएम जिन्होंने जांच मे लीपापोती कर दी और खास महिलाओं को बचाया गया।

वहीं एफआईआर के बावजूद आज तक धनराशि रिकवरी नही हो सकी है। अलबत्ता इस प्रकरण मे नगर कोतवाल बाँदा चार्जशीट भी नही लगा सके है। वहीं सीडीओ उन्नाव प्रेमप्रकाश मीणा ने डीएमएम शिखा मिश्रा व डीडीओ संजय पांडेय पर 3.85 करोड़ रुपया गबन की एफआईआर लिखाई है। साथ ही सीडीओ प्रेमप्रकाश का प्रमोशन करके स्थांतरण हुआ है। वहीं एनआरएलएम मे 3.85 करोड़ के घोटाले के आरोप में दोषी डीडीओ संजय पांडेय का प्रमोशन करके मुख्यालय अटैच किया गया है। जबकिं डीएमएम शिखा मिश्रा अभी गाज गिरने से बची है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीवका मिशन योजना मे व्याप्त भ्रष्टाचार का उदाहरण बाँदा मे भी है। बतलाते चले कि शहर बाँदा के नगर कोतवाली मे एक साल पहले मुकदमा अपराध संख्या 0700/2024 मुताबिक 88 लाख रुपया राष्ट्रीय आजीवका मिशन मे गबन दर्शाया गया है। इसमे बीएनएस की धारा 419, 420, 409 पर रिपोर्ट लिखी गई है किंतु रिकवरी नही हो सकी है

इस मामले मे हुई एफआईआर अनुसार घोटाले मे संलिप्त समूह की क्रमशः कमलेश, ऊषा, नसीमा, मुस्ताक, सुनीता, आकांक्षा कुशवाहा आदि ने सीडीओ के निर्देश पर दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट मुताबिक 88 लाख रुपया का भ्रष्टाचार किया है। जिसमे तत्कालीन ब्लाक मिशन प्रबंधक बड़ोखर खुर्द निवासी ग्राम खमौरा आकांक्षा कुशवाहा विकासखंड महुआ, बाँदा की अहम भूमिका है। वहीं इसमे ज़िला स्तर पर शामिल नोडल अफसरों व डीएमएम एफआईआर कर्ता धर्मेंद्र जायसवाल, शालनी जैन, राकेश सोनकर की भूमिका भी संदिग्ध है। इन्ही तीनो ने राष्ट्रीय आजीवका मिशन समूह घोटाले की जांच की है। बड़ोखर खुर्द ब्लाक की तत्कालीन नोडल अफसर शालनी जैन थी।

जबकिं शासनादेश एवं योजना गाइडलाइंस के विपरीत जाकर निर्णय लेकर मुख्य विकास अधिकारी बाँदा वेद प्रकाश मौर्या व तत्कालीन डीसी उपायुक्त एनआरएलएम श्री प्रेमनाथ यादव ने उक्त तीन डीएमएम ( ज़िला मिशन प्रबन्धक) को यह जांच सौंप दी थी। तत्कालीन डीसी प्रेमनाथ यादव को इस घोटाले मे नोडल अफसर शालनी जैन, बीएमएम रही आकांक्षा कुशवाहा व समूह की महिलाओं के खेल की पूरी जानकारी थी। बावजूद इसके जांच समिति के तीन सदस्यों / डीएमएम मे शालनी जैन को शामिल किया गया।

बाँदा एनआरएलएम तत्कालीन डीसी उपायुक्त प्रेमनाथ यादव के पत्रांक संख्या 56 दिनांक 16.04.2024 के क्रम मे यह जांच की गई। बड़ी बात है कि तत्कालीन ब्लाक नोडल अफसर शालनी जैन (आरटीआई जवाब) ने जांच उपरांत नगर कोतवाली बाँदा मे दर्ज कराई एफआईआर मे किसी महिला को नामजद अभियुक्त नही बनाया है जबकि तहरीर मे घोटाले के क्रम पर हड़पी गई सरकारी धनराशि 88 लाख रुपया का संदर्भ देते हुए महिलाओं के नाम, हड़पी रकम का ज़िक्र किया है। दिनांक 30 अगस्त 2024 को नगर कोतवाली मे दर्ज इस मुकदमे पर आजतक न तो चार्जशीट दाखिल हो सकी और न सीडीओ आदेश अनुसार डीएमएम 88 लाख रुपया की रिकवरी करा सके है।

विडंबना है कि वर्तमान जन सूचना अधिकारी डीसी उपायुक्त श्री भैयन लाल एनआरएलएम बाँदा व प्रथम अपीलीय अधिकारी सीडीओ वेद प्रकाश मौर्या ने लगभग सभी बिंदुओं पर इस मामले से जुड़ी तीन आरटीआई मे लीपापोती पूर्ण जवाब संवाददाता आशीष सागर दीक्षित को दिया है

उधर एनआरएलएम के इस वित्तीय भ्रष्टाचार मे लिप्त तीन डीएमएम क्रमशः धर्मेंद्र जायसवाल, शालनी जैन (तत्कालीन नोडल अफसर) व राकेश सोनकर ने जहां मामले पर जमकर जांच प्रभावित कर समूह की कुछ महिलाओं को बचा रहें है। वहीं तत्कालीन बीएमएम / ब्लाक मिशन प्रबन्धक बड़ोखर खुर्द आकांक्षा कुशवाहा (पोल खुलने पर नौकरी छोड़कर चली गई। अब खुद का व्यापार गांव मे रहकर करती है।) योजना से जुड़े ये तीन डीएमएम बाँदा मे तमाम चल-अचल संपत्ति जुटाकर मौज काट रहें है। जबकि यह डीएमएम संविदा कर्मी भी नही है। इनकी नियुक्ति आउट सोर्सिंग भर्ती है। वहीं इस योजना के भ्रष्टाचार का दूसरा उदाहरण उत्तरप्रदेश के उन्नाव मे इस राष्ट्रीय आजीवका मिशन योजना से ही डीडीओ ( ज़िला विकास अधिकारी ) संजय पांडेय व नोडल ज़िला मिशन प्रबंधक शिखा मिश्रा ने 3.85 करोड़ रुपया हड़प लिया है।

वहीं सीडीओ उन्नाव श्री प्रेमप्रकाश मीणा ने भ्रष्टाचार की गोपनीय रिपोर्ट शासन को प्रेषित करके इन दोनों अधिकारी पर कार्यवाही को लिखा है। अब इस मामले पर भी एफआईआर दर्ज हो गई है लेकिन गबन करने वालों से रिकवरी मुश्किल है जैसा बाँदा मे हो रहा है। उन्नाव की सीडीओ जांच रिपोर्ट को मानें तो 23 जुलाई वर्ष 2023 को तत्कालीन सीडीओ के बिना अनुमोदन किये ही उक्त डीडीओ संजय पांडेय व एनआरएलएम डीएमएम शिखा मिश्रा ने संकुल संघ के पदाधिकारियों की सांठगांठ से हस्ताक्षर बनवा कर वित्तीय लेनदेन किया। बीएमएम के समूह मीटिंग प्रस्ताव मे हस्ताक्षर नही और बैंक से 3 करोड़ 85 लाख रुपया निकाल लिया गया है। हैरतअंगेज यह है कि गबन को सही ठहराने की कवायद मे चित्रकूट, कानपुर देहात और उन्नाव से फर्जी बिलिंग वेंडरों की लगाई गई है। अंदरखाने की खबर है कि एनआरएलएम मे 3.85 करोड़ के घोटाले के आरोप में दोषी डीडीओ संजय पांडेय का प्रमोशन करके मुख्यालय अटैच किया गया है। कार्यालय आयुक्त ग्राम्य विकास मे संबद्ध किए जाने की सूचना देकर शासन ने तत्काल प्रभाव से संबद्धीकरण कार्यालय मे तैनाती लिए जाने के निर्देश दिए हैं। 3.85 करोड़ों की गड़बडी में दोषी पाए जाने के बाद डीडीओ व एनआरएलएम डीएमएम पर एफआइआर कराने की तैयारी जिले मे अमल हो चुकी है।

सीडीओ / जांच कर्ता प्रेमप्रकाश मीणा का स्थांतरण भी इसके इर्दगिर्द है। वहीं चित्रकूट मंडल के बाँदा मे भी इस योजना से जुड़े तीन डीएमएम गरीबों के स्वावलंबन की योजना पर भ्रष्टाचार कर रहें है। बाँदा के यह डीएमएम और लेखा सहायक मिलकर जैम पोर्टल पर चहेती कम्पनी को ऑफिशियल स्टेशनरी, कम्प्यूटर सामग्रियों की खरीद का मनमानी भुगतान कराते है। सबका कमीशन सेटिंग्स है। जिसमे सहायक लेखाकार से लेकर अकाउंट मैनेजर / डीसी तक शामिल है। कुल मिलाकर उत्तरप्रदेश सरकार की महिलाओं के विकास, स्वास्थ्य, स्वावलंबन की योजनाओं पर यह आउट सोर्सिंग बीएमएम, डीएमएम व नोडल अधिकारी नेटवर्क बनाकर प्रशासन के अधिकारियों को टूलकिट की तर्ज पर इस्तेमाल करते है। फिर सरकारी धनराशि डकार ली जा रही है। इस योजना मे सीआईएफ ( सामुदायिक निवेश निधि/ कम्यूनिटी इन्वेस्टमेंट फंड) का बजट ही प्रत्येक ज़िले मे एनआरएलएम भ्रष्टाचार के निशाने पर है। यह सीधे समूह की महिलाओं को स्वतः रोजगार के लिए दिया जाता है। जिसमें बीएमएम, डीएमएम की सबसे बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी जी विज्ञापन व प्रचार मे सर्वत्र रोजगार दिखाते है लेकिन पंचायतीराज का भ्रष्टाचार ग्रामीण विकास मे नासूर है।
कमोबेश वह जननी सुरक्षा योजना हो या एनआरएलएम योजना ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता मे भ्रष्टाचार का दीमक लग चुका है। देखना यह होगा यह गबन करने वाले सरकार के शिकंजे से कब तक बचते है। डीएम बाँदा श्रीमती जे.रीभा से दोषियों पर कार्यवाही की दरकार है।
खबर बाँदा घोटाले पर जारी रहेगी…।

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