@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- बाँदा शहर की नजूल भूमि पर जरैली कोठी-स्टेडियम मार्ग पर तालाब के पास बना था यह पीएम शहरी आवास योजना का घर।
- लाभार्थी रेखा पत्नी संतोष गिरी के नाम से घर पर लगा था पीएम शहरी आवास योजना का पत्थर जिस पर बुलडोजर चलाया गया।
- सड़क चौड़ीकरण व नाला निर्माण ने पीएम शहरी आवास योजना के घर को बुलडोजर से ध्वस्त किया है।
- क्या इस आवास योजना मे भ्रष्टाचार करने के लिए डूडा विभाग और लेखपाल ज़िम्मेदार नही है ?
- जब बुलडोजर से यह घर गिराना ही था तब पीएम शहरी आवास योजना से बने इस घर निर्माण हेतु लाभार्थी सत्यापन आख्या लेखपाल ने नजूल भूमि पर कैसे लगाई थी ? क्या पात्र लाभार्थी से दस्तावेज सत्यापन आख्या के लिए घूसखोरी की गई थी ?
- यदि लेखपाल ने घूसखोरी करके लाभार्थी सत्यापन किया था तो सड़क चौड़ीकरण मे घर गिराने के साथ उक्त लेखपाल व डूडा विभाग पर कार्यवाही क्यों नही की गई है ?
बाँदा। क्योटरा चौराहे से स्वराज्य कालोनी मार्ग, जेल रोड होते हुए पुलिस लाइन तिराहे तक सड़क चौड़ीकरण एवं नाला निर्माण कार्य हो रहा है। प्रशासन ने सड़क व दोनों तरफ पटरी मे नजूल भूमि पर अतिक्रमण किये रहवासियों को समयबद्ध नोटिस दिया था। सरकार के विकास कार्यों मे बाधक बन रहे सड़क के दोनों तरफ अतिक्रमण किये बाशिंदों ने स्वयं से कब्जा खाली नही किया। कार्यदाई ठेकेदार को बराबर प्रशासन से संपर्क साधकर मोहल्लेवासियों का अवैध कब्जा खाली कराने की कार्यवाही मे आग्रह करना पड़ा। अलबत्ता प्रस्ताव अनुसार पहले 20 मीटर फिर राजनीतिक दबाव पर 18 मीटर और अब 13 मीटर सड़क चौड़ीकरण का रास्ता तय हुआ। गौरतलब है कि पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार मुहल्ले मे लोगों के घर-आंगन तक लाल निशान पहुंच गए थे। लगभग 7 से 8 फिट घर के अंदर तक अवैध कब्जे को चिन्हित करते हुए बुलडोजर से ढहाने की तैयारी थी। इधर स्वराज्य कालोनी मे रामबाबू निषाद और वरिष्ठ अधिवक्ता जनों के आवास अतिक्रमण हटाने मे स्पीड ब्रेकर साबित हो रहे थे। बावजूद इसके प्रशासन ने लाव लश्कर के साथ सड़क चौड़ीकरण का रास्ता साफ किया। बुलडोजर की मांग पर जेसीबी ने अच्छे-खासे आवासीय मकान गिराकर खण्ड-खंड कर दिए। वहीं कुछ प्रभावशाली अधिवक्ता व नेताओं के करीबी जनों के अतिक्रमण पर प्रशासन द्वारा नरमी बरतकर सम्बंध का नेम-चार बनाये रखा गया। इस दरम्यान एक अधिवक्ता जी आवास गिरने के बस हाईकोर्ट से स्टे ले आये जिससे आगे के लोगों को लाभ हुआ लेकिन उनका आवास पहले ही टूट गया था। कानूनी निर्णय देर से मिलने के चलते यह कार्यवाही मुनासिब हो सकी।


खैरमकदम यह कि इस अतिक्रमण हटाने की सियासी जकड़बंदी मे प्रशासन ने स्टेडियम रोड पर तालाब के पास प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना से एक घर (लाभार्थी रेखा पत्नी संतोष गिरी ) को अतिक्रमण मानकर गिराया है। इस घर के भूस्वामी की मानें तो उन्होंने लेखपाल को इसके सत्यापन आख्या पर घूस दी थी। वहीं नजूल भूमि पर निर्माण हुआ यह घर केंद्र सरकार के पीएम शहरी आवास योजना के ढाई लाख रुपयों के भ्रष्टाचार की बानगी भी है। सवाल यह कि जब नजूल ज़मीन की रजिस्ट्री नही होती तब स्टाम्प पेपर या वो भी नही होने पर लेखपाल ने लाभार्थियों का सत्यापन किन मानकों पर किया था ? यदि लाभार्थी सही पात्र है तो प्रशासन ने उसकी विकास मे बाधक मानकर पीएम शहरी आवास गिराने की कार्यवाही कैसे की है ?
क्या मौजूदा डीएम साहिबा उक्त लेखपाल एवं डूडा विभाग पर कार्यवाही करेंगी ? बाँदा शहरी पीएम आवास योजना मे व्यापक घपलों के दरम्यान यह एक फर्जीवाड़े की बानगी है। किंतु इस शहरी पीएम आवास योजना मे पूरे शहर के 80 फीसदी लाभार्थियों की यदि ग्राउंड जांच हो तो पूरी कालिख सामने आ जायेगी। उदाहरण के लिए झील का पुरवा, सर्वोदय नगर, वनविभाग-बिजलीखेड़ा मुहल्ले मे अपात्रों को रिश्वतखोरी मे लेखपाल ने नजूल भूमि मे आवास दिये। सामर्थ्यवान लोगों को आवास दिये और गरीबी के छत पर पहुंच वालों की जुगाड़बाजी तान रखी है। तब जबकिं आय प्रमाणपत्र, रजिस्ट्री कापी, निवास प्रमाणपत्र के बीच डूडा और लेखपाल की जांच वाली नूराकुश्ती उचित आवेदकों को परेशान करती है। फिलहाल सड़क चौड़ीकरण पर यह प्रधानमंत्री शहरी आवास धड़ाम हो गया है।