चित्रकूट। कोतवाली कर्वी के कालीदेवी चैराहा सलीम कम्पाउंड के निवासी ताहिर सिद्दीकी पुत्र मोहिउद्दीन सिद्दीकी के चिटफंड बैंक की आड में गरीबों के लाखों रुपये डकारने के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जमानत खारिज कर दी है।
ज्ञात है कि कोतवाली कर्वी के कालीदेवी चैराहा के मो सलीम पुत्र स्व सज्जू ने तीन नवम्बर 2019 को कोतवाली में ताहिर सिद्दीकी के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट में कहा था कि मो ताहिर सिद्दीकी ने साछीम्यूचुअल बेनीफिट ट्रस्ट का खुद को मालिक बताते हुए दो लाख 67 हजार 776 रुपये जमा कराकर रसीद दी थी। 36 हजार रुपये जमा करने पर रसीद नहीं दी। भुगतान के लिए काफी दौडने पर ताहिर ने भुगतान नहीं दिया। उसके अलावा तमाम गरीबों के म्यूचुअल बेनीफिट के नाम पर लाखों रुपये हडपा है। ताहिर ने मनगढंत बैंक बनाकर लोगों को बेवकूफ बनाकर मेहनत की कमाई हजम कर गया। अदालत ने दस जनवरी को ताहिर को गम्भीर धाराओं में जेल भेज दिया था।
उल्लेखनीय है ताहिर सिद्दीकी ने 26 मई 1973 को रीवां से सीधी जाने वाली बस में मोहनिया घाटी में बस रोककर बीरबल चैरसिया की गोली मारकर हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भोगी थी। खुद खतौनी बनाकर सांसद निधि व विधायक निधि के डेढ़ लाख रुपये गबन में जेल जा चुका है। झोलाछाप डाॅक्टरी कर एक महिला मरीज से छेडखानी में भी जेल गया था। साछी म्यूचुअल बेनीफिट ट्रस्ट के नाम से रुपये ही नहीं हडपे, बल्कि इंडसब्रोकर हाउस प्रालि ग्लोबल इको इम्फ्राटेक लिमिटेड के नाम से भी लाखों रुपये डकार गया है। ताहिर ने पुरानी बाजार के सब्जी व्यापारी आजाद को भुगतान के नाम पर चार लाख 28 हजार का चेक दिया था। बैंक लिपिक ने चेक को फर्जी बताया।