अवैध तमंचे को खोलते वक्त चली थी गोली, दो दोस्तों की बाँदा पुलिस से आंख मिचौली… | Soochana Sansar

अवैध तमंचे को खोलते वक्त चली थी गोली, दो दोस्तों की बाँदा पुलिस से आंख मिचौली…

उक्त घटनाक्रम पर बीते 9 अप्रैल का खबर लिंक नीचे क्लिक करके पढ़े-

https://soochanasansar.in/banda-police-media-cell-denied-the-news-according-to-co-city-the-incident-was-suspicious-this-case-is-district-banda-cityup/

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

  • शहर के मर्दननाका क्षेत्र के अवस्थी ढाल के पास मंगलवार को चली थी गोली।
  • दो दोस्तों ने मनगढ़ंत पटकथा तैयार करके नकाबपोश हमलावरों द्वारा खुद पर गोली चलाने की बात कही थी।
  • सुनियोजित षड़यंत्र पर सीओ सिटी ने जांच की और मामले का खुलासा हुआ। पुलिस मीडिया सेल ने 9 अप्रैल को अमर उजाला, जागरण, हिंदुस्तान अखबार की मिथ्या खबरों का खंडन किया था।

बाँदा। शहर मे मंगलवार को मर्दननाका क्षेत्र के अवस्थी ढाल के पास गोली चली थी। इसमे दो दोस्तों ने पूरी स्क्रिप्ट तैयार की थी। बतलाते चले कि अलीगंज के हाथी खाना मुहल्ला निवासी नईम और फूटा कुआं निम्नी नाला के पास किराए पर रहने वाले सुशील सोनी ने यह अजब-गजब कांड किया है।


लोकल मीडिया ने 8 और 9 अप्रैल को पुलिस की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए इस छद्म वारदात को तूल दिया। इससे सीओ सिटी राजीव प्रताप सिंह ने मामले की जांच की और 8 अप्रैल की देरशाम वीडियो बयान जारी किया। उन्होंने बताया की पूछताछ मे दोनों के बयान पर विरोधाभास है। यह घटना संदिग्ध प्रतीत होती है फिर भी जांच कर रहें है। उधर दोनों दोस्तों क्रमशः सुशील सोनी ( सोने चांदी की दुकान मे काम करता है।) व नईम मुंबई मे काम करता था फिलहाल बाँदा रहता है, किसी खदान मे कर्मचारी है। इन्होंने मिलकर सुशील सोनी के किराए के कमरे पर 315 बोर के अवैध असलहा से खिलवाड़ किया। उसको खोलते वक्त कारतूस चल गया। नईम ने तमंचा चलाकर दिखाने को सुशील से कहा था। आनन फानन मे गोली चली जो सुशील की उंगली को चीरती हुई नईम की दांए जांघ मे धस गई। सुशील को प्राथमिक इलाज के बाद पूछताछ के आधार पर आर्म्स एक्ट मे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है। जबकि नईम का इलाज चल रहा है। पुलिस ने किरकिरी करने वाली मीडिया की खबरों का खंडन किया लेकिन किसी अखबार व इलेक्ट्रॉनिक चैनल ने माफीनामा या अपनी खबरों का खंडन तक नही किया।

उल्लेखनीय है कि रोजाना खबरों की हैंडिग से बवाल मचाने वाले एक पिता-पुत्र के न्यूज़ पोर्टल ने तो ‘बाँदा मे अपराधियों का तांडव, शहर मे गोलियों की गूंज’ शीर्षक की खबर बना दी। खबरों पर उ-ला-ला और झींगा-ला-ला करती टिप्पणी से सनसनी बटोरने मे माहिर पत्रकारिता ने बिना ग्राउंड रिपोर्ट के इस नौसिखिया कृत्य पर खबरिया मसाला लगाया। उधर ज़िले मे ‘मिस्टर पत्रकार’ बने शहर के 150 से अधिक पत्रकार खाशकर नई फसल यही कर रही है। वो तो भला हो बांदा की मौरम खदानों का जिसने इनका पेट पाल रखा है। प्रति खदान 3 से 5 हजार रकम मौरम खदान से लेकर भौकाल टाइट है। वहीं बड़े प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक बैनर 10 हजार रुपया मासिक लेते है। लगभग 15 खदान मौरम मंडी मे केन नदी का खुलेआम मर्दन कर रहीं है। जिस खदान से नही मिलता उसकी खबर करके माहैल बनता है जैसे सिस्टम फिट हुआ सब शांत हो जाते है।
इस प्रायोजित गोली कांड ने दो दोस्तों की कारस्तानी के साथ बाँदा की मीडिया को भी बिना तथ्यों के खबर करने की हुनरमंदी का खिताब दिया है। सीओ सिटी राजीव प्रताप सिंह की गहनता से जांच कार्यवाही ने इन चंचल करतब वाले सुशील व नईम की पोल खोल दी है।

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