इस मुद्दे पर 23 जुलाई को लिखी खबर नीचे लिंक मे पढ़े –
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
“यूपी के बाँदा मेडिकल कालेज मार्ग स्थित कभी ग्रीननलैंड/हरित पट्टी की भूमि पर षड्यंत्र रचकर बनाये गए शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी निजी नर्सिंग होम के निदेशक ने बीते 23 जुलाई को प्रेसवार्ता की थी। इसमें उन्होंने मीडिया मे सार्वजनिक रूप स्वयं एवं बाँदा के अपर जिलाधिकारी वित्त/राजस्व के बीच घनिष्ठता को बेपर्दा किया था। वहीं सोशल मीडिया की लगातार खबरों और मेनस्ट्रीम मीडिया की आंशिक खबरों पर बचाव की मुद्रा पर खड़े स्थानीय ब्यूरोक्रेटस व अरूणेश पटेल सकते मे है। इस दरम्यान आशीष पटेल की इंट्री हुई है।”
बाँदा। उत्तरप्रदेश मे चित्रकूट मंडल का बाँदा ज़िला कभी ईमानदारी की अफसरशाही के लिए कम ही चर्चित रहा है। लेकिन यह भ्रस्टाचार मे लिप्त अधिकारियों व उनके कुछ खास मुट्ठीभर सजातीय पावरफुल व्यक्तियों अथवा सफेदपोश नेताओं / मौरम माफियाओं से उनके अतिकरीबी संबधों को लेकर ज़रूर चर्चा मे रहता है। इन दिनों ऋषि बामदेव की नगरी बाँदा वर्तमान एडीएम वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार वर्मा ( पटेल) और चिकित्सा कारोबारी अरुणेश पटेल की नजदीकियां देखकर हतप्रभ है। सोशल मीडिया मे वायरल हो रही रंगीन मिजाजी की तस्वीरों से कहीं नही लगता कि यह याराना कुछ वर्षों ( एडीएम राजेश कुमार वर्मा के बाँदा मे 3 वर्ष के कार्यकाल) का है। ऐसा प्रतीत होता है यह रिश्ता बचपन का या युवा यारी का उदाहरण है।
गौरतलब है कि चिकित्सा कारोबारी अरुणेश सिंह पटेल खुद ही प्रेसवार्ता मे यह स्वीकार कर चुके है कि एडीएम वित्त / राजस्व राजेश कुमार की मित्रता बचपन की है। वे साथ-साथ पढ़े है लेकिन इस बात को यूं आसानी से कौन मानेगा जब चिकित्सा कारोबारी अरुणेश पटेल को मेडिकल कालेज रोड पर बेशकीमती ग्रीनलैंड भूमि की ज़मीन पर बीडीए द्वारा सीज निजी नर्सिंग होम शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल को पुनः संचालन / निर्माण की अनुमति मिल जा रही हो। आपको यहां स्मृति के वो पन्ने पलटना आवश्यक है। याद कीजियेगा जब कुछ साल पूर्व तत्कालीन डीएम बाँदा अमित सिंह बंसल ने क्रमशः दो नर्सिंग होम पहला अरुणेश सिंह पटेल का शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, मेडिकल कालेज रोड और डाक्टर नरेंद्र गुप्ता बाल्य रोग विशेषज्ञ का निजी निर्माणधीन नर्सिंग होम रोडवेज मार्ग लाल फीते से सील लगाकर सीज किया था। बतलाते चले कि अरुणेश पटेल का निजी नर्सिंग होम ग्रीननलैंड/ हरित पट्टी पर निर्माण होने के कारण सीज किया गया जिसका व्यावसायिक नक्शा तक पास नही था। वहीं डाक्टर नरेंद्र गुप्ता का नर्सिंग होम स्टेट हाइवे की ज़मीन पर बेसमेंट सहित बहुमंजिला बन रहा था। जिसमे नजदीक के रहवासियों ने आपत्ति दर्ज की थी।
तत्कालीन जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल की तेज कार्यवाही से पूरा व्यापार मंडल / बीजेपी व्यापारी नेता और कारोबारी चिकित्सक डाक्टर नरेंद्र गुप्ता व इंजीनियरिंग पढ़े अरुणेश पटेल पति डाक्टर संगीता भारती भी सदमे मे आ गए थे। क्योंकि करोड़ों की पूंजी इस चिकित्सा कारोबार मे खपा दी थी। यह उन्होंने तत्कालीन कार्यसेवा स्थल अवनी-परिधि हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड से अर्जित की थी। वहीं अज्ञात गुप्ता से उनके नजदीक के व्यावसायिक संबंध थे। आज भले ही डाक्टर संगीता भारती व अरुणेश पटेल पूर्व बॉस अज्ञात गुप्ता को न भंजते हो लेकिन वो दौर था जब महाराणा प्रताप चौराहे पर अवनी-परिधि के चिकित्सा कारोबार मे मरीजों जा सावन रहता था।
उल्लेखनीय है कि चित्रकूट ज़िले के मूल रहवासी अरुणेश पटेल शुरू से महत्वाकांक्षी रहें है। यह बात उन्होंने प्रेसवार्ता मे कही कि वे कारोबारी है ( चिकित्सा जनसेवा के लिए नही कर रहें है।) और कहीं भी किसी के साथ भी व्यापार करने को स्वतंत्र है। फिर भले ही वो अपर जिलाधिकारी राजेश कुमार वर्मा की नजदीकियां होने से उनकी धर्मपत्नी सोनी वर्मा की व्यावसायिक हिस्सेदारी क्यों न हो। आपको यहां यह बतलाना आवश्यक है कि जब अरुणेश पटेल का निर्माणधीन नर्सिंग होम तत्कालीन डीएम अमित सिंह बंसल जी ने सीज किया था तब वर्तमान एडीएम वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार बाँदा के सिटी मजिस्ट्रेट हुआ करते थे। व बीडीए के सचिव भी रहें है। जबकि इस तथ्यात्मक बात को अरुणेश पटेल ने प्रेसवार्ता मे नजरअंदाज किया है।
वो साफगोई से कहतें है कि उनके व्यापार से एडीएम एफआर राजेश कुमार का कोई लेनादेना नही है यह अलग बात है दोनों की धर्मपत्नी व्यापारिक पार्टनरशिप लिए है। बकायदा सरकारी दस्तावेजों की डीड्स पर यह वायरल है। वहीं फेसबुक से निकली एडीएम एफआर बाँदा राजेश कुमार व अरुणेश पटेल की निजी तस्वीरों को देखकर कोई भी अंदाजा लगा लेगा की हरित पट्टी पर बिना फायर एनओसी/ बगैर बीडीए से व्यावसायिक नक्शा हुए यह निजी नर्सिंग होम बनने कैसे लगा था।
फिर तत्कालीन डीएम द्वारा सीज होने के बाद उनके स्थानांतरित होते ही दो साल तक हरा पर्दा लगाकर बनता कैसे रहा है ? हरा पर्दा भी ऐसे लगाया गया था जैसे लाल फीते की नजर से बचने को ग्रीनलैंड पर निर्माणधीन अवैध बिल्डिंग हरियाली संरक्षण का जन संदेश दे रही हो।
जब तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट बने बाँदा के एडीएम एफआर-
अरुणेश पटेल की किस्मत मे नया मोड़ तब आया जब बाँदा के सिटी मजिस्ट्रेट राजेश कुमार ही पदौन्नति लेकर बाँदा मे ही एडीएम वित्त एवं राजस्व बन गए। इस सजातीय मित्रता ने नातेदारी का ऐसा आभामंडल तैयार किया कि बेईमानी की हर नजीर धूमिल नजर आ रही है। कमोबेश यही कुछ बाँदा के पूर्व एडीएम वित्त एवं राजस्व दयाशंकर पांडेय ने डाक्टर नंदलाल शुक्ला की नजदीकियां और मित्रता का सुख लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू कालेज के संदर्भ मे किया था। उन्होंने अर्ध सरकारी डिग्री कालेज ही तत्कालीन प्राचार्य/वर्तमान मनरेगा लोकपाल डाक्टर नंदलाल शुक्ला व उनकी बहू डाक्टर नीतू शुक्ला को नर्सिंग होम खोलने की आड़ मे लीज / 25 साल को पट्टेधारक मे तब्दील कर दी थी। उसमें भी संघर्ष की एक अलग कहानी संवाददाता ने साल 2018 मे लिखी थी जो आज तक बाँदा सीजेएम मे विचाराधीन है। उसी नक्शेकदम पर चल रहें है वर्तमान एडीएम वित्त/राजस्व राजेश कुमार वर्मा और अरुणेश पटेल की ‘पटेलवाद’ जोड़ी। बाबू शिवकृष्ण प्राइवेट लिमिटेड फर्म के अधीनस्थ संचालित बाँदा ग्रीनलैंड का बेसमेंट सहित मल्टीस्टोरी, मल्टीस्पेशलिटी नर्सिंग होम व नरैनी तहसील का शिवकृष्ण डायग्नोस्टिक सेंटर आज विवादों मे इसलिए है क्योंकि तत्कालीन डीएम अमित सिंह बंसल ने शुरूआत से इस शिवकृष्ण मल्टीस्पेशल अस्पताल की निर्माण प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थे।
उनके स्थान्तरित होते ही बाँदा आये तत्कालीन डीएम अनुराग पटेल की कृपादृष्टि से ग्रीनलैंड की ज़मीन व्यावसायिक भूखण्ड बनी और एडीएम वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार की यारी अरुणेश पटेल को बीडीए एनओसी तक ले जा पाने मे कामयाब हो सकी। बाँदा से तेजतर्रार डीएम अमित सिंह बंसल को हटाया ही इसलिए गया था कि अरुणेश सिंह पटेल व डाक्टर नरेंद्र गुप्ता का सीज नर्सिंग होम बहाली का लाभ ले सके।
फिर तब बाँदा-चित्रकूट लोकसभा के निवर्तमान सांसद भी आरके सिंह पटेल थे जो चित्रकूट रहवासी है। सदर माननीय की उनसे प्रगाढ़ मित्रता है, यह सपा सरकार से फलफूल रही है। अरुणेश पटेल ने पटेलवाद के मकड़जाल से जातिवाद का हर वो सियासी नेटवर्क साधा जो उनके चिकित्सा कारोबार के साम्राज्यवाद को अभयदान दे सकता था। मसलन अपना दल डाक्टर सोनेलाल पटेल की बिटिया व नेत्री केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया सिंह पटेल व उनके अति नजदीकी व यूपी सरकार के दर्जा प्राप्त मंत्री आशीष पटेल से नातेदारी। इसकी साक्षी सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें है। सूत्रधार बतलाते है कि शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की डीड्स मे भी एडीएम की परोक्ष हिस्सेदारी है लेकिन सूचना संसार इसका दावा नही करता है। किन्तु नरैनी स्थित डायग्नोस्टिक सेंटर मे सीधी 30 फीसदी की पार्टनरशिप एडीएम साहब की धर्मपत्नी लिए है इसके प्रमाण पूर्व की खबर पर दिखाए जा चुके है। यहां यह बतलाना लाजमी है कि अरुणेश पटेल और एडीएम एफआर के व्यापारिक रिश्तों पर जदयू नेत्री व बुंदेलखंड प्रभारी शालनी सिंह पटेल लगातार हमलावर है।
उन्होंने गत माह दोनों के खिलाफ अनशन तक किया था। आज अरुणेश पटेल की प्रेसवार्ता के बाद से शालनी पटेल और ज्यादा जुबानी आक्रमण किये है। उन्होंने आंदोलन की घोषणा भी कर दी है लेकिन बाँदा की लचर, निरंकुश सरकारी व्यवस्था के ज़िम्मेदार आला आईएएस अफसरों मे चुप्पी साध ली गई है। भले ही वह डीएम श्रीमती जे.रीभा जी ही क्यों न हो ! उधर मंडल आयुक्त अजीत कुमार ने वायरल पांच पेज की अनुबंधित डीड्स पर जांच की बात कही है लेकिन शायद वह पूरी नही होगी क्योंकि राजनीतिक दबाव व मंडल/ जिले का पटेलवाद वर्तमान बीजेपी सरकार मे दबाव रखता है। जातीय समीकरण ऐसा होने नही देंगे लेकिन यह भ्रस्टाचार की कलंक कथा बन रही है इसमे अतिश्योक्ति नही है।
शनिवार रात अंधेरे मे पधारे है आशीष पटेल-
बाँदा मे बीती शनिवार की रात्रि अपना दल अनुप्रिया पटेल गुट के खासमखास आशीष पटेल की औपचारिक इंट्री मेडिकल कालेज मे हुई थी। इसमे स्वागत तोरणद्वार तो नही थे अलबत्ता अज्ञात गुप्ता के खास विश्वासी माताप्रसाद प्रजापति उर्फ एमपी व अरुणेश पटेल की तस्वीरों मे वायरल उनके साथ युवा नेता अपना दल एस गुट से बबेरू विधानसभा अध्यक्ष अरूण पटेल बबेरू क्षेत्र ने भी अगवानी की है।
वीडियो एवं फ़ोटो से स्पष्ट है कि अरुणेश सिंह पटेल के मामलें मे शायद कोई सियासी जातीय गोलबंदी करने की कवायद की जा रही हो। यह अभी संदेहास्पद है लेकिन बिना प्रोटोकाल सूचना के औचक आगमन इस बात के कयास लगाने को मजबूर है तब जबकिं बाँदा मे माहौल पटेलवाद की गर्माहट लिए है। उधर बबेरू एसडीएम रजत वर्मा (पटेल) के साथ भी अरुणेश पटेल वायरल है। उनका साथ कैसे मिला इस पर अरुणेश पटेल प्रेसवार्ता मे बतलाते है कि एसडीएम बबेरू का बच्चा उनके नर्सिंग होम मे जन्म लिया था तब से जानते है। वहीं एडीएम एफआर राजेश कुमार के साथ टी अरुणेश ने बेबाकी से खाने-पीने तक की बातें प्रेसवार्ता मे कहीं है। चिकित्सा कारोबारी अरुणेश पटेल व बीजेपी कार्यकर्ता (अरुणेश के करीबी व नरैनी डीड्स पर 10 फीसदी के हिस्सेदार) शशांक पटेल के साथ गाड़ी मे शराब की बोतल दिखाते एडीएम वित्त / राजस्व की एक तस्वीर बहुत चर्चा मे है। वहीं वाटरपूल मे एसडीएम बबेरू व एडीएम एफआर संग अरुणेश जी खूबसूरत लग रहें है। बरहाल “ये रिश्ता क्या कहलाता है” की तर्ज पर बाँदा मे इन दिनों ब्यूरोक्रेटस / ब्यूरोक्रेसी व चिकित्सा कारोबारी अरुणेश पटेल की आपसी जुगलबंदी सुर्खियों मे है। देखना होगा कि यूपी के ईमानदार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी इस पर क्या कार्यवाही करतें है।