
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- बाँदा के बबेरू मे सहकारिता विभाग की ज़मीन पर अवैध कब्जे का मसला।
- बीजेपी कार्यकर्ता गोलू पांडेय/ संदीप पांडेय परिवार के घर पर चला था बुलडोजर।
- पूर्व सांसद आरके पटेल भी लाव लश्कर के साथ सोमवार को बबेरू पांडेय परिवार से मिलने पहुंचे थे।
- एसडीएम बबेरू रजत वर्मा ने अपना ओबीसी कार्ड खेलते हुए कहा कि वे पिछड़ी जाति से आते है इसलिए ऐसा दुर्व्यवहार किया गया।
- सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी पर एसडीएम ने दोषारोपण किया लेकिन पांडेय परिवार पर कार्यवाही को न्यायसंगत बताया।
बाँदा। विकासखंड बबेरू मे दो दिन पूर्व एक पांडेय परिवार के पुराने जर्जर मकान पर बुलडोजर चलना बाँदा की राजनीति का मुद्दा बन चुका है। इस मामले को बीजेपी कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर पटेलवाद बनाम ब्राह्मणवाद की शक्ल दे रहें है। वैसे बाँदा-चित्रकूट लोकसभा मे पटेल और ब्राह्मण के बीच वर्चस्व की सियासत कोई नई बात नही है।

बबेरू घटनाक्रम पर बीजेपी के पूर्व सांसद आरके सिंह पटेल भी सोमवार को पीड़ित गोलू पांडेय परिवार से मिलने पहुंच गए। मौका और दस्तूर दोनों मुफीद था इसलिए उन्होंने भी पांडेय परिवार के पुराने घर पर बुलडोजर कार्यवाही को गलत बताया है। वहीं उन्होंने इस मामले पर पीड़ित के पक्ष मे खड़े होकर बिगुल फूंकने का एलान कर दिया। बतलाते चले कि जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल और सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी मे वैचारिक संघर्ष चल रहा है। मामला ज़िला पंचायत मे 6.21 करोड़ रुपया की अवैध तहबाजारी वसूली से जुड़ा है। ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल दो बार हुई प्रशासन की जांच मे दोषी पाए गए है।

तो सुनील पटेल भी कमतर क्यों पड़ते उन्होंने ने भी सदर विधायक पर उनकी धर्मपत्नी के कार्याकाल मे 120 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी का डमरू बजाया है। सदर विधायक इस मुद्दे पर बिना लाग-लपेट लगातार जुबानी हमलावर है। उन्होंने प्रेसवार्ता से लेकर बबेरू बुलडोजर कांड तक सुनील पटेल को सियासी चुनौती दी है। सदर विधायक ने शनिवार / रविवार को बबेरू मे पांडेय परिवार का खुला समर्थन किया। वहीं एसडीएम बबेरू रजत वर्मा ( कुर्मी जाति से है।) को मोबाइल से हड़का कर उत्तरप्रदेश की सियासी हलचल तेज कर दी। रजत वर्मा पर इस जुबानी तंज से मीडिया को नया मसाला मिल गया।

उधर समाजवादी नेता व पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष मोहन साहू को मौका मिल गया तो उन्होंने एक समाचार चैनल की डीबेट पर सदर विधायक को मौरम खनन व्यापार से जोड़ते हुए पुराने पन्ने खोलना शुरू कर दिया। इस पर सोशल मीडिया मे बीजेपी समर्थकों ने मोहन साहू के बाँदा मुक्तिधाम सेवा भावना पर भी जोक्स बनाकर वायरल किये है। समर्थकों ने सपा नेता को मुक्तिधाम का सेल्फ़ीबाज तक लिख डाला है। वहीं सपा कार्यकाल के नगरपालिका घपले पर मोहन साहू की खिंचाई कर दी है।

एसडीएम बबेरू ने खेला जातिगत दांव– बबेरू मे पांडेय परिवार पर एसडीएम रजत वर्मा की बुलडोजर कार्यवाही उन्ही पर भारी पड़ती दिख रही है। सहकारी समिति की ज़मीन पर अवैध कब्जे के विवाद पर इतना राजनीतिक रंग चढ़ाया जा रहा है कि जैसे यह बुलडोजर कार्यवाही पहली बार की गई हो। खैरमकदम यह है कि जिस पांडेय परिवार पर बुलडोजर कार्यवाही हुई उन्हें एसडीएम ने कोई नोटिस नही दिया ऐसा दावा पांडेय परिवार कर रहा है। बिना नोटिस दिए एसडीएम कार्यवाही नही कर सकते यह सत्य है। एसडीएम अपने बचाव मे कह रहें है कि तहसीलदार ने उनसे फोर्स मांगी थी तो उन्होंने उपलब्ध करा दी थी। मतलब सब एकदूसरे पर मढ़ने मे जुटे है। उधर सुनील पटेल गुट से जुड़े अंकित सिंह पटेल फेसबुक पर लगातार सदर विधायक से जुड़े वीडियो साझा करते हुए उनपर सवाल उठाते नजर आ रहें है।

अंकित सिंह पटेल ने बबेरू के गोलू पांडेय परिवार की आर्थिक स्थिति का व्याख्यान करते हुए लिखा कि इनके पास बबेरू मे दो रिहायशी मकान है। परिवार मे दो सरकारी नौकरी है। गांव मे ठीकठाक खेती है। इतना गरीब भगवान सबको बनाकर भेज देता। वे लिखतें है कि किसान सहकारी समिति बबेरू मे जिस दिन अवैध कब्जे को प्रशासन के द्वारा ध्वस्त किया गया था उसी दिन से कुछ माननीयों के द्वारा कब्जा किये पांडेय परिवार को गरीब सिद्ध करने की होड़ मची है। लेकिन समाज को असलियत नही बताई जा रही है। वे आगे लिखते है कि उस गरीब की गरीबी का कुछ प्रमाण आप सबके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं। बबेरू के गोलू पांडेय परिवार पास बबेरू मे रिहायशी इलाके पर दो लक्जरी मकान है। आज जिनकी अनुमानित लागत लगभग 1.5 करोड़ रुपए है। वहीं दोनों मकानों मे दो-दो खंड का भवन निर्माण है। इन दो मकानों मे से एक मे पांडेय परिवार निवास करते है। वहीं एक को किराए मे दे रखा है जिससे इनको महीने में अच्छा रुपया किराए का मिलता है। इनके पास गांव में कृषि योग्य उपजाऊ भूमि भी है। इनके पास अन्य जगहों पर रिहायशी प्लाट भी उपलब्ध है। इनके पास 2 राशन के कोटे भी हैं लगभग 40 वर्षों से इनका वो स्वयं संचालन कर रहे हैं।
साथ ही उनके एक भाई सरकारी नौकरी करते है। बावजूद इसके गोलू पाण्डेय परिवार सहकारिता विभाग की लगभग 5 करोड़ रुपया की ज़मीन पर अपना 60 साल पुराना कब्जा होने का दावा ठोक रहा है।

लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल बबेरू एसडीएम की ही बीते 13 जुलाई 2024 पत्रांक 3037/आशु. की जांच आख्या विस्तृत रिपोर्ट पर उठता है जिसमें स्पष्ट लिखा है कि सहकारी का कब्जा धृत क्षेत्रफल 0.267 हेक्टेयर के सापेक्ष 0.271 हेक्टेयर (सड़क भूमि पर कब्जा छोड़कर) पर कब्जा है। इस रिपोर्ट का मूल रहस्य क्या एसडीएम रजत वर्मा जी बतलाने का कष्ट जनता को करेंगे ??

काबिलेगौर बात है कि अपनी कालर ऊंची करने के चक्कर मे इस बार एसडीएम बबेरू रजत वर्मा ने सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी की औचक मोबाइल भड़ास पर बचाव की मुद्रा मे जातिगत दांव खेला है। उन्होंने कहा कि वे पिछड़े अर्थात ओबीसी जाति से है इसलिए सदर विधायक ने उनके साथ ऐसा दुर्व्यवहार किया है। एसडीएम बबेरू यह बखूबी जानते है कि बाँदा-चित्रकूट मे पटेल वर्सेज ब्राह्मण चलता है। यदि एसडीएम बबेरू रजत वर्मा की बात सही है तो क्या बीते माह नरैनी एसडीएम अमित शुक्ला के साथ सदर विधायक की नूराकुश्ती दलित या आदिवासी या मुस्लिम अधिकारी के साथ हुई थी ? क्या इसका उत्तर एसडीएम बबेरू के पास मिल सकता है ? इस मामले को नाहक जातिगत स्वरूप देने मे जुटे नेता एवं अफसरों को इस दोयम स्तर की मुंह जुबानी से बचना चाहिए। यह सरकार की प्रशासनिक तस्वीर, नैतिकता व ज़ीरो टॉलरेंस नीति पर बट्टा लगाने की कार्यशैली है। क्या डीएम बाँदा श्रीमती जे.रीभा जी एसडीएम बबेरू से जातिगत पत्ता फेंकने पर सवाल करेंगी ? मुख्यमंत्री जी को बाँदा की ब्यूरोक्रेसी पर अफसोस हो रहा होगा। अलबत्ता वे कर भी क्या सकतें है जब मामला पद, पावर, उसमें मदांध वीआईपी लोगों के भ्रष्टाचार की संलिप्तता का हो।