पत्रकार हितों मे अपनी 'अपानवायु' तक दान न करने वाले बाँदा पत्रकार स्थाई समिति के सदस्य बनें !!! | Soochana Sansar

पत्रकार हितों मे अपनी ‘अपानवायु’ तक दान न करने वाले बाँदा पत्रकार स्थाई समिति के सदस्य बनें !!!

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

  • उत्तरप्रदेश शासन द्वारा सूचना निदेशक / यूपी सूचना निदेशालय हवाले से आदेश जारी कराते हुए प्रत्येक जनपद मे शासन से समन्वय और सौहार्द बनाये रखनें को स्थायी समिति का गठन करने का निर्देश दिया है।
  • उक्त क्रम मे बुंदेलखंड के बाँदा मे पत्रकार स्थाई समिति का गोपनीय तरीक़े गठन करके 25 अगस्त को जिलाधिकारी की अध्यक्षता मे एक बैठक आयोजित की गई थी।
  • इस स्थाई समिति को वर्षों बाद पुनः सक्रिय / रिवाइवल करते हुए चमत्कारी कृत्य के अनुसार दो सगे भाइयों को शामिल किया गया है।
  • इन दो सगे भाइयों की जोड़ी ज़िले मे व्यापारी और चाटूकारों की शीर्ष पंक्ति मे सुविख्यात है।
  • उपरोक्त दोनों भाइयों / परिजनों द्वारा अपने नवकर्म युग स्थानीय दैनिक अखबार के कार्यालय की आड़ मे ज़िला उद्योग व्यापारिक संस्थान की भूमि पर सपरिवार निवास करते हुए गाटा संख्या 1035 व 1036 कंपनी बाग बाबू साहब तालाब स्टेडियम रोड की बेशकीमती ज़मीन पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को बौना साबित करते हुए अन्य लोगों के साथ कब्जा किया गया है। हाल ही मे उच्चन्यायालय इलाहाबाद ने तालाबों पर स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका सूचना अधिकार आंकड़े की खबर प्रकाशन के बाद तब्दील की है।
  • स्थाई समिति की पहली ही बैठक मे पदेन चार सदस्य व एक विशेष आमंत्रित सदस्य मे से 3 सदस्य नदारद थे।
  • ज़िले मे मान्यताप्राप्त पत्रकार की चयन प्रक्रिया मे भी अंधेरगर्दी मची है। सब लाल सोने की चमक और काले धंधों को सफेद करने का रास्ता है।
  • मंडल के सूचना निदेशक / अपर सूचना अधिकारी के नेतृत्व मे बाँदा सूचना कार्यालय भ्रस्टाचार के नित-नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। यहां प्रशासन की महिमामंडन करने वालों की मेहमानी है और शासन के दिशानिर्देश मे मनमानी है।

बाँदा। उत्तरप्रदेश सरकार ने सूचना निदेशक के मार्फ़त विगत माह एक पत्र जारी कराकर प्रदेश के 72 ज़िलों मे पत्रकारिता / पत्रकारों और शासन के बीच मध्यस्थता करने एवं समन्वय / आपसी सामंजस्य, सौहार्द स्थापित करने के वास्ते स्थायी पत्रकार समिति का गठन करने का निर्देश दिया था। उक्त क्रम मे देरसबेर चित्रकूट मंडल के बाँदा मे सूचना निदेशक श्री रामजी दुबे / अपर सूचना अधिकारी शारदा निषाद के निर्देशन मे एक पत्रकार स्थाई समिति का गठन किया गया है।

देश और प्रदेश भर की मीडिया / पत्रकारिता को यह खबर इसलिए पढ़नी आवश्यक है कि दो सगे भाइयों क्रमशः सुनील गुप्ता ( दैनिक नवकर्म युग प्रकाशन, बाँदा) व दिलीप गुप्ता ( साप्ताहिक अखबार तुलसी दर्पण) जो शासन से मान्यता प्राप्त है इन्हें वरीयता क्रम मे शामिल किया गया है। वहीं पूर्व स्थाई समिति (वर्षो से निष्क्रिय) मे सम्मिलित अभय निगम ( स्ट्रिंगर डीडी न्यूज / एबीपी न्यूज़ चैनल) इन्हें शामिल किया गया है। वहीं बाँदा से महज विज्ञापन को प्रकाशित दफ्तरी प्रति वाले ब्लैक एंड व्हाइट अखबार दैनिक श्री इंडिया के फोटोग्राफर रोहित साहू व ग्रामीण पत्रकार एशोसिएशन के जिलाध्यक्ष व प्रशासनिक अफसरों के ख़ास राहुल निगम को शामिल किया गया है। गौरतलब है कि राहुल निगम और अभय निगम के विषयक जब व्हाट्सएप पर अपर सूचना अधिकारी शारदा निषाद से संवाद हुआ तो उन्होंने शासन के आदेश का हवाला देकर पल्ला झाड़ने की कवायद की और वरिष्ठता क्रम के पत्रकारों को ही स्थाई समिति मे रखा गया है ऐसा दावा कर दिया।

उल्लेखनीय है कि शासन के आदेश मे किसी पत्रकार विशेष का नाम नही खोला गया है। साथ ही यदि वरिष्ठता क्रम की बात है तो आज से 4 साल पहले तक बड़ोखर बुजुर्ग तिंदवारा रोड के मूल निवासी राहुल निगम कभी अमर उजाला की क्षेत्रीय एजेंसी लेकर हाकरी करते थे। वहीं से गांववासियों की खबरें अमर उजाला कार्यालय बाँदा तक आकर रोजीरोटी का जुगाड़ हो जाता था।

इससे क्षेत्र मे पत्रकार होने का डंका भी बज जाता और कामकाजी जीवन को मदद भी मिलती थी। शादी के बाँदा एक दैनिक समाचार पत्र के जिला संवाददाता बनकर प्रशासन के मधुर नयनाभिराम बनकर उभरे राहुल निगम आज स्थाई समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य तक पहुंचे है। वहीं दिलीप गुप्ता और सुनील गुप्ता ने आज तक कभी पत्रकारिता हित मे ‘अपानवायु’ तक दान नही की होगी। अलबत्ता कारोबार को मजबूत किया गया। साथ ही परिजनों की मदद से जिला प्रेस क्लब कार्यालय मे स्थायी कब्जा हुआ। वहीं ज़िले के मशहूर कंपनी बाग बाबू साहब तालाब के गाटा संख्या 1035 व 1036 पर अन्य रहवासियों के साथ अवैध कब्जा लोकल अखबार के कार्यालय की आड़ मे किया गया है। जबकि ज़िला उद्योग की ज़मीन पर आप सपरिवार स्थाई निवास नही कर सकतें है। लेकिन जब सत्तारूढ़ बीजेपी के नेताओं ने यहां उद्योग की आड़ मे दो मंजिल घर बना लिए तब बाकी को क्या ही कहा जायेगा ।

स्थाई समिति के सदस्य अभय निगम मीठा बोलने वाले शार्प खिलाड़ी हैं। यह बाँदा के एक एनजीओ माफिया राजाभैया यादव के खासमखास है। उनके साथ उठाबैठक की तस्वीरों पर अन्य खास कलमकारों की संगत अलग ही मजा देती होगी। बीते वर्ष डीडी न्यूज़ स्ट्रिंगर रहते हुए इन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात के 102 वें एपिसोड मे ग्राम लुकतरा के फर्जी 40 तालाबों पर विशेष वीडियोग्राफी शूटिंग की थी। वहीं पद्मश्री के सहयोग से सत्तारूढ़ मंत्रियों ने एक बीजेपी नेता / मौरम कारोबारी के सौजन्य से आयोजित कार्यक्रम मे अभय निगम का सम्मान किया था। संवाददाता के पास उक्त तस्वीर मौजूद है। इसके अतिरिक्त रोहित साहू (छायाकार/ फोटोग्राफर) दैनिक श्री इंडिया का नाम व चेहरा अधिकांश नवांकुर एवं 200 की संख्या वाले पत्रकारों ने नही देखा होगा। लेकिन यह भी मान्यता प्राप्त है। मजेदार यह है कि ज़िला मान्यताप्राप्त पत्रकार सूची मे कार्ड संख्या 5 रोहित साहू (फ़ोटोग्राफर श्री इंडिया / होटल सारंग / सर्राफा व्यापारी) व ललित किशोर तिवारी (कौमी एकता उर्दू) दोनों की एक ही है। क्या एक ही कार्ड संख्या पर दो मान्यता हो सकती है ? क्या यह प्रशासनिक गलती है या शासन की लापरवाही ??

इस मुद्दे पर भड़ास मीडिया की खबर नीचे है

https://www.bhadas4media.com/banda-dio-corruption/

खैरमकदम यह कि इस पत्रकार स्थाई समिति पर अन्य मान्यता प्राप्त पत्रकारों व अन्य मुख्यधारा / डिजीटल मीडिया से जुड़े श्रमजीवी कर्मियों के बीच भारी असंतोष है। वहीं दैनिक समाचार पत्र अमृत प्रभात के जिला संवाददाता / मान्यताप्राप्त पत्रकार इकबाल खान की मानें तो स्थाई समिति के सदस्य व श्री इंडिया के फोटोग्राफर रोहित साहू के अखबार का डीएवीपी तक खत्म हो गया है। जैसा उन्होंने अपनी प्रकाशित खबर मे जानकारी दी है। सभी ने इस स्थाई समिति को अविलंब निरस्त करते हुए सूचना निदेशक श्री रामजी दुबे पर शासन से कार्यवाही की मांग उठाई है। ताकि बाँदा

सूचना विभाग मे आकंठ भ्रष्टाचार व राज्य सरकार के दिशानिर्देश की ऐसी मनमानी को माननीय मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से रोका जा सके। देखना होगा बाँदा पत्रकारिता को यह स्थाई समिति किस दिशा मे लेकर जाती है। तब जबकिं अक्टूबर माह से मौरम कारोबार शुरू होते ही बालू माफियाओं / पट्टेधारक की परिक्रमा पत्रकारिता कामतानाथ की तर्ज पर शुरू कर देती है।

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