@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- बाँदा मे कांग्रेस पार्टी का ज़मीन पर जनाधार लगभग शून्यकाल की तरफ है।
- जनता के जनमुद्दों से जिलाध्यक्ष की दूरी और व्यक्तिगत कारोबार मे अन्य दलों से करीबी रिश्तों ने जनता के बीच छवि कमजोर की है।
- पार्टी के युवाओं मे भविष्य को लेकर अच्छे दिनों बाकी उम्मीद कम होने से पार्टी का मंडल के चारों ज़िले क्रमशः बाँदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर मे करीब एक जैसी तस्वीर है।

- बाँदा। राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने अपने नए जिलाध्यक्ष पदाधिकारी की सूची जारी कर दी है। बुंदेलखंड के चित्रकूट मंडल मे बाँदा और चित्रकूट मे जिलाध्यक्ष पुराने ही बनाये गए है। बाँदा मे वर्तमान जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित व चित्रकूट मे कुशल पटेल जिलाध्यक्ष बने है। वहीं बाँदा मे महिला नेत्री अफसाना को भी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी है। गौरतलब है कि बाँदा राजेश दीक्षित का राजनैतिक व संगठन को मजबूत करने की बनिस्बत व्यक्तिगत कारोबार पर अधिक ध्यान देना भी जनता मे उनकी मजबूती कमजोर कर रहा है। झूठी तारीफ न की जाए तो ज़िले मे कांग्रेस की हालत पतली है। यूपी विधानसभा 2027 तक यही सूरतेहाल रहे तो बुंदेलखंड से एक भी सीट व्यक्तिगत रूप से पार्टी नही जीतेगी। अलबत्ता इंडिया एलायंस का गठबंधन हो जाये वो अलग मसला है।

बाँदा की जनता मे इस वक्त कांग्रेस और समाजवादी नेता दोनों दल ज़मीनी संघर्ष से दूर खड़े है। नए युवाओं मे होर्डिंग और सोशल मीडिया शुभकामनाएं देने की राजनीति ने उनके प्रति जुझारू नेताओं की तस्वीर को कमजोर किया है। ज्यादातर युवाओं मे माननीयों के पिछलग्गू बनकर भौकाली माहौल रचने की कलाबाजी ने उन्हें जनता से दूर कर दिया है। वहीं जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित की शांत, सरल छवि ने उन्हें भले ही पुनः जिलाध्यक्ष बनाया हो लेकिन बिना संघर्ष और संगठन के राजनैतिक भविष्य अधकचरे मे है यह बात पकड़ कर चलनी चाहिए। वहीं अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के अपने कदाचार और व्यापार है ठीक वैसे जैसे सपा व भाजपा के है। आज बीजेपी सपा और कांग्रेस के मुकाबले बाँदा मे मजबूत है। सत्ता का पावर और सरकारी अफसरों की सत्तारूढ़ पार्टी से नजदीकियां भी इसका बड़ा कारण है। देखना होगा कि चित्रकूट जिलाध्यक्ष कुशल पटेल व बाँदा जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित कांग्रेस पार्टी व राष्ट्रीय नेता व सांसद राहुल गांधी व पार्टी सांसद प्रियंका वाड्रा गांधी को कितनी आधारभूत मजबूती दे पाते है। रसातल मे जाती बाँदा की कांग्रेस को ज़मीन पर संघर्ष की ज़रूरत है।