इस मुद्दे पर पूर्व मे लिखी खबर नीचे लिंक पर पढ़ सकतें है-
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
हम दोनों नानवेज के शौकीन, मेरी पत्नी डाक्टर संगीता एवं एडीएम साहब की पत्नी ( जो की गृहणी है) दोनों मे व्यापारिक समझौता है : अरुणेश सिंह पटेल
- सोशल मीडिया मे मेरे व एडीएम राजस्व राजेश वर्मा के रिश्तों को लेकर बहुत कुछ कहा व लिखा जा रहा है।
- शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल व शिवकृष्ण डायग्नोस्टिक सेंटर दोनों अलग संस्था है ऐसा अरुणेश सिंह पटेल का दावा है।
- मेरी धर्मपत्नी डाक्टर संगीता भारती व एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा की पत्नी श्रीमती सोनी वर्मा के बीच अधिवक्ता व सीए से वार्ता के बाद ही 3,60000 रुपये सेंटर के खाते मे लिए गए है। जिसके पश्चात उन्हें 30 फीसदी की हिस्सेदारी दी गई है।
- किसी भी अधिकारी के लिए यह कहीं नही लिखा है कि वो व्यापार/ बिजनेस नही कर सकता है। बावजूद इसके मेरे व्यापार से एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा का कोई लेनादेना नही है।
- मैंने शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की भूमि 2017-18 मे खरीदी थी,यह नम्बर एक की ज़मीन है। जिसके बदले मे मैने बीडीए मे 4 लाख रुपया शुल्क जमाकर नक्शा बनवाया तत्पश्चात पूरी बिल्डिंग बनवाई है।
- नरैनी रोड स्थित यह भूमि ग्रीनलैंड / हरित पट्टी से हटाकर 2031 महायोजना मे बहुउपयोग परिवर्तन के बाद शामिल है।
- अरुणेश सिंह पटेल ने 4 लाख रुपया बीडीए मे जमा करने के बावजूद तत्कालीन डीएम अमित सिंह बंसल द्वारा निजी नर्सिंग होम को सीज करने का कोई स्पष्टीकरण / साक्ष्य नही दिया।
- सोशल मीडिया मे पत्रकारों व उनकी खबरों को दुष्प्रचार/ साज़िश करार देने वाले अरुणेश सिंह पटेल प्रेसवार्ता मे बेपर्दा हो गए।
- चोर-चोर मौसेरे भाई की तर्ज पर कुतर्क करते अरुणेश सिंह पटेल झूठ बोलते वक्त सूचना संसार संवाददाता द्वारा आरटीआई जानकारी से एक्सपोज हो गए।
बाँदा। चित्रकूट मंडल ज़िला मुख्यालय बाँदा मे मेडिकल कालेज मार्ग पर बेशकीमती ज़मीन को खरीदकर बनाया गया शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी निजी अस्पताल / बाबू शिवकृष्ण प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कुछ दिनों से विवादों मे है। स्थानीय बेबाक और बेलौस पत्रकार हरित पट्टी मे निर्मित इस लक्जरी निजी नर्सिंग होम की बुनियाद पर सवाल उठा ही रहे थे। तभी नरैनी के करतल रोड पर इसी फर्म के शिवकृष्ण डायग्नोस्टिक सेंटर यूनिट के खुलने से यह कंपनी और ज्यादा विवादों से घिरने लगी है। बाँदा की तहसील नरैनी जो अति पिछड़ा क्षेत्र व जातिगत समीकरण से पटेल और ब्राह्मण वोटर से घिरी है मे शिवकृष्ण डायग्नोस्टिक सेंटर के अस्तित्व मे आने से पटेलवाद की धुरी पर केंद्रित होते दिखती है।
अरुणेश सिंह पटेल व एडीएम राजस्व का रिश्ता-
बाँदा मे वर्तमान एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा (पटेल) एवं अरुणेश सिंह पटेल की आपसी बैठकी, उनकी मित्रता और व्यापारिक रिश्तों की प्रगाढ़ता पर पत्रकारों ने कटाक्ष किये है। वहीं नरैनी के करतल रोड पर खुले शिवकृष्ण डायग्नोस्टिक सेंटर की पांच पृष्ठीय डीड्स पर एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा की पत्नी सोनी वर्मा एवं अरुणेश सिंह पटेल की पत्नी डाक्टर संगीता भारती की पार्टनरशिप ने इस मामलें को मीडिया मे तूल दिया है। लेकिन बाँदा की मेनस्ट्रीम पत्रकारिता मे दैनिक अखबारों व मुख्य टीवी चैनलों के खबरिया सूत्रधार/ स्ट्रिंगर इन खबरों से विज्ञापन की लत, बेबसी से दूरियां बनाकर रखतें है। फिर अब तो बात ज़िले के दूसरे ताकतवर अफसर अपर जिलाधिकारी वित्तर एवं राजस्व राजेश कुमार वर्मा की धर्मपत्नी जी से जुड़ा है।
ऐसे मे बिल्ली के गले मे घण्टी कौन बांधे वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। अलबत्ता इसके खांटी सच लिखने के शौकीन कलमकारों ने इस मुद्दे पर मोर्चा संभाल रखा है। इसका प्रतिफल ये हुआ कि आज दिनांक 23 जुलाई 2025 को अपराह्न 12 बजे अरुणेश सिंह पटेल निदेशक शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल को एक सार्वजनिक प्रेसवार्ता आयोजन के लिए बाध्य होना पड़ा है। व्हाट्सएप मीडिया ग्रुप्स पर नरैनी के शिवकृष्ण डायग्नोस्टिक सेंटर डीड्स की प्रति भूतनाथ की तर्ज पर घूम रही है। इससे बाँदा की अफसरशाही तो कटघरे मे है ही साथ मे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस छवि पर भी बट्टा लग रहा है।
अरुणेश पटेल का दावा एडीएम राजेश वर्मा उनके बचपन के मित्र है-
बाबू शिवकृष्ण प्राइवेट लिमिटेड / शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के निदेशक व इंजीनियरिंग की पढ़ाई किये अरुणेश पटेल ने आज की प्रेसवार्ता मे दावा किया है कि वे और अपर जिलाधिकारी बाँदा वित्त एवं राजस्व बचपन के मित्र है। दोनों के प्रगाढ़ संबंध है। उन दोनों की धर्मपत्नी व्यापारिक पार्टनरशिप लिए है लेकिन इसमें एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा का कोई वास्ता / हस्तक्षेप नही है। बकौल अरुणेश सिंह पटेल ने पीसी मे आन कैमरा बताया कि एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा की धर्मपत्नी सोनी वर्मा जी को उन्होंने अपने सीए व अधिवक्ता से क़ानूनी परामर्श के बाद ही चिकित्सा व्यापार मे हिस्सेदारी दी है। उन्होंने बताया कि नम्बर एक का 3,60000 रुपया उक्त शिवकृष्ण डायग्नोस्टिक सेंटर के खाते मे लिया गया है। इसके बाद ही 30 फीसदी की साझेदारी सोनी वर्मा को मिली है। अरुणेश दावा करते है कि उन्होंने 42 लाख का कोई फर्जीवाड़ा नही किया है। यहां यह गौरतलब है कि इस डीड्स मे दो और हिस्सेदार क्रमशः मनु तिवारी व शशांक सिंह पटेल ( बीजेपी कार्यकर्ता) एवं अरुणेश सिंह पटेल के अति करीबी भी 10-10 प्रतिशत के हिस्सेदार है। बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले शशांक पटेल अरुणेश पटेल के साथ तब से जुड़े है जब वे सपत्नीक अवनी-परिधि हेल्थकेयर सेंटर, महाराणा प्रताप चौराहे मे सीधेतौर पर जुड़े रहें है। यहीं से डाक्टर संगीता भारती ने बाँदा जैसे कम विकसित ज़िले मे चिकित्सा/ मेडिकल कारोबार की बारीकियां समझी व गढ़ी है। यहीं से अज्ञात गुप्ता संचालक अवनी-परिधि हेल्थकेयर सेंटर व अरुणेश पटेल के बीच व्यापारिक अनुबंध हुए जो बाद मे प्रोफेशनल होते हुए धराशायी हो गए। क्योंकि अज्ञात गुप्ता भी बड़े महत्वाकांक्षी और अवसरवादी व्यापारिक आदमी है।
इन्होंने भी आवास-विकास बी ब्लाक मे आबादी वाले क्षेत्र के ओपन स्पेस पार्क को समाजवादी सरकार मे तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन की कृपा से हथियाने के काम किया था। यहीं से अरुणेश पटेल को सरकारी सिस्टम मे धनबल से घुसपैठ करने का नुख्सा सीखने को मिला है। अरुणेश पटेल कहतें है कि नरैनी सेंटर से उन्हें लगातार नुकसान हुआ। 50-60 हजार रुपए मासिक उन्हें मिलता है। उन्होंने उपरोक्त सेंटर के शुरुआती 3 से 4 महीने का वित्तीय घाटा अपने खाते से भरा है। अरुणेश पटेल ने प्रेसवार्ता मे एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा जी का बचाव करते हुए कहा कि सोशल मीडिया की खबरें उनके चरित्र को बदनाम करने की साज़िश है। जबकि वे नम्बर एक का व्यापार कर रहें है।
मै और एडीएम राजस्व साथ मे खाते-पीते है-
डाक्टर संगीता भारती के धर्मपति अरुणेश सिंह पटेल ने बेहद गोपनीय रहस्य से पर्दा उठाते हुए करीब 100 से ऊपर पत्रकारों के सामने स्वीकार किया कि एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा (पटेल) बचपन के मित्र है। वे दोनों साथ मे खाते-पीते है लेकिन एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा जी ड्रिंक नही करते है !!! उन्होंने ऐसा करते कभी नही देखा है। दोनों नानवेज के शौकीन है। इसलिए सोशल मीडिया मे वायरल तस्वीर को किसी ने जानबूझकर वायरल किया है ताकि ब्यूरोक्रेसी की बदनामी हो सके। एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा और अरुणेश पटेल के रिश्ते व्यक्तिगत व पारिवारिक है। वे उनके घर तक आते-जाते है लेकिन आज तक उन्होंने कोई लाभ अर्जन या किसी अन्य का कोई कार्य एडीएम साहब से करवाने की जहमत नही उठाई है।
हरित पट्टी पर बने निजी नर्सिंग होम पर जवाब-
अरुणेश सिंह पटेल ने बाँदा मेडिकल कालेज मार्ग पर उनके तीन मंजिला से अधिक बेसमेंट सहित शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल को ग्रीनलैंड / हरित पट्टी पर बने होने के आरोप पर फौरी तौर पर जवाब देते हुए कहा कि वर्ष 2017-18 मे उन्होंने इस जमीन को खरीदने के बाद दाखिल खारिज कराया है। किन्ही कारणों से यह सीज हुआ था। वे सीज होने का स्पष्टीकरण नही दिए और न कोई दस्तावेज इस बावत मीडिया को दिखला सके। उन्होंने बताया कि अब यह बाँदा विकास प्राधिकरण की 2031 महायोजना का हिस्सा है। करीब 1200 लोगों से उन्होंने आपत्ति दाखिल कराकर नरैनी रोड के दोनों तरफ की ज़मीन के भू-उपयोग बदलने की अपील डाली थी जिसके उन्होंने नया नक्शा बीडीए मे जमा कराया है। विकास प्राधिकरण ने लगभग 3 माह पूर्व हरित पट्टी की ज़मीन को 2031 की महायोजना मे शामिल किया है। यहीं प्रेसवार्ता मे सूचना अधिकार से मिली जानकारी का प्रतिउत्तर पत्र दिनांक 24.12.2019 पत्रांक संख्या 614/सूचना अधि.अधिनियम-2005/झां.खं./2019-20 संवाददाता आशीष सागर दीक्षित ने जब उन्हें दिखाया और पूछा कि यदि 3 माह पूर्व ही बाँदा विकास प्राधिकरण ने हरित पट्टी की ज़मीन को सड़क के दोनों तरफ़ भू-उपयोग परिवर्तन करते हुए महायोजना 2031 मे तब्दील किया है तो आरटीआई जवाब के मुताबिक बिंदु संख्या 3 मे जनसूचना अधिकारी एनके पुष्कर्णा, सहयुक्त नियोजक झांसी ने साल 2019 मे यह क्यों बतलाया कि “महायोजना मे उक्त मार्गों की विकास सीमा मे लंबाई एवं प्रस्तावित हरित पट्टी की चौड़ाई अंकित नही है। जिससे यह तथ्य उपलब्ध नही है।” वहीं उन्होंने बिंदु 1, 2 व 3 के क्रम मे आरटीआई जवाब दिया कि हमीरपुर मार्ग, इलाहाबाद मार्ग, प्रस्तावित बाईपास (हमीरपुर मार्ग से इलाहाबाद मार्ग तक) जो कि प्रस्तावित बाईपास मार्ग के मिलान बिंदु से बाँदा विकास क्षेत्र की सीमा तक मार्गाधिकार छोड़ने के उपरांत मार्ग के दोनों तरफ हरित पट्टी प्रस्तावित है।
सूचना अधिकार के तथ्यों से साबित होता है कि वर्ष 2019 मे ही बीडीए ने हरित पट्टी को महायोजना मे शामिल किया थ किन्तु बाँदा के पूर्व बीजेपी विधायक राजकुमार शिवहरे ( राजादेवी डिग्री कालेज जो पूर्व मे पिगरी फार्म हाउस था फिर डिग्री कालेज बना उसके बाद राजापैलेस मैरिज हाउस कामर्शियल केंद्र बन गया) इन्हें व अरुणेश पटेल जैसे राजनीतिक व प्रशासनिक सांठगांठ मे माहिर लोगों को बचाने के लिए , बेहद कीमती भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन करके लाभ दिलाने हेतु सह नियोजक कार्यालय झांसी को हरित पट्टी की लंबाई व चौड़ाई का डिटेल जानकारी साझा नही की गई थी। बाँदा विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सचिव व आज भी विराजित सचिव अरुणेश पटेल के साथ खड़े दिखते है। काबिलेगौर तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए प्रेसवार्ता मे पत्रकारों पर सवार होने की कवायद करने वाले अरुणेश पटेल से जब यह पूछा गया कि आपके व एसडीएम बबेरू रजत वर्मा के क्या रिश्ते है ? तो उन्होंने कहा कि उनकी बच्ची का जन्म मेरे नर्सिंग होम मे हुआ था तभी से परिचित है। जन्मदिन उत्सव मे बबेरू एसडीएम रजत वर्मा व एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा की संयुक्त तस्वीर पर उन्होंने बचते हुए गोलमोल उत्तर दिया। बैरहाल झूठ के तिलिस्मी नक्कारखाने मे अरुणेश सिंह पटेल बुरी तरह घिर चुके है। उनके पास तथ्यों को छुपाने का वही सलीका है जो उनके बिजनेस पार्टनर रहे अज्ञात गुप्ता के पास हुआ करता है। बतलाते चले कि अज्ञात गुप्ता भी फर्जी कंपनी बनाने के विशेषज्ञ है। उनकी कंपनी द्वारा प्रदेश के मेडिकल कालेज मे बतौर रिसोर्स एजेंसी भर्ती हुए स्वास्थ्य कर्मियों ने ही उनका कच्चाचिट्ठा पूर्व मे मीडिया पर खोल दिया था। टीवी चैनलों की उन खबरों को आज भी गूगल सर्च से देखा जा सकता है। अज्ञात गुप्ता ने भी आवास विकास परिषद बी ब्लाक के ओपन स्पेस पार्क को अवैध रजिस्ट्री कराने से पूर्व तत्कालीन सपा सरकार के मुख्य सचिव आलोक रंजन को स्वयं के लेटरपैड पर स्व हस्ताक्षर युक्त आपत्ति पत्र पार्क के यूटिलाइजेशन / पब्लिक द्वारा उपयोग के संदर्भ मे लिखा था। सूचना संसार के पास वे दस्तावेज भी मौजूद है। यह मुद्दा भी गाहेबगाहे मीडिया निरंकुश व भ्रस्टाचार मे लिप्त अफसरों के समक्ष उठाती रहती है। शिकायत कर्ताओ को हर बार एडीएम राजस्व बहला-फुसलाकर चलता कर देते हैं कि अज्ञात ने तो सरकार से रजिस्ट्री कराई है वे कुछ नही कर सकतें है। यह ठीक अरुणेश पटेल के साथ व्यापारिक कनेक्शन और खाने-पीने के प्रगाढ़ निजी संबधो व मित्रता की सिलवटों पर अंकित स्याह हकीकत की बानगी है।
जदयू नेत्री शालनी पटेल ने मीडिया मे कहा-
जदयू नेत्री शालनी पटेल ने आज ही अरुणेश पटेल की प्रेसवार्ता पर हल्ला बोलते हुए वीडियो बयान मे कहा कि एडीएम राजस्व राजेश कुमार वर्मा के बाँदा मे खनन माफियाओं से नेटवर्क है। वे अरुणेश पटेल बचपन के मित्र नही है। तत्कालीन डीएम अमित सिंह बंसल द्वारा सीज नर्सिंग होम को तत्कालीन / पूर्व सिटी मजिस्ट्रेट रहे राजेश कुमार वर्मा जो अब एडीएम राजस्व है से अभयदान प्राप्त की अनुकंपा मे यह मित्रता परवान चढ़ी है। उन्होंने बताया कि जब एडीएम राजस्व राजेश कुमार बाँदा आये तो अरुणेश पटेल ने सजातीय गोलबंदी से कुछ गाड़ियों के साथ चिल्ला घाट पर उनकी अगवानी की थी। तभी से दोनों के व्यापारिक व भ्रस्ट व्यवस्था वाले आपसी तालमेल है। मुख्यमंत्री स्तर पर इसकी गंभीरता से जांच व कार्यवाही आवश्यक है। अन्यथा जदयू व जनता सड़कों पर उतरेगी। अरुणेश पटेल सत्तारूढ माननीयों खाशकर पटेल भूतपूर्व सांसद व वर्तमान विधायक जी की कृपा भी पाते रहतें है। इसलिए शिवकृष्ण मल्टीस्पेशलिटी नर्सिंग होम हरित पट्टी पर बेखौफ आबाद है। इसके साथ ही रोडवेज मार्ग स्थित डाक्टर नरेन्द्र गुप्ता का नर्सिंग होम भी स्टेट हाइवे पर बिना एनओसी , बगैर नक्शा निर्मित हुआ है। जिसको तत्कालीन डीएम अमित सिंह बंसल ने सीज किया था। यह कार्यवाही बंदरबांट करने मे डीएम अनुराग पटेल की भी महती भूमिका रही है। बैरहाल अरूणेश सिंह पटेल आज खुद के बुने प्रेसवार्ता जाल मे फंसकर बेनकाब हो चुके है। यह अलग बात है मध्यम व गरीब को चिकित्सा व्यापार से चूसने वाले व्यक्ति आज सफेदपोश नेताओं व कोलैप्स कर चुकी ब्यूरोक्रेसी के लिए कामधेनु साबित हो रहे है।