लखनऊ,| अवधनामा हाउस, नरही में “हर दौर के लिए रौशनी: हज़रत मोहम्मद ﷺ की ज़िंदगी और उनकी तालीमात” शीर्षक से एक बेहतरीन और असरदार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन और मेहमाननवाज़ी सुश्री फरहीन इक़बाल (नवाबी ज़ायका क्लाउड किचन) द्वारा बड़े सलीके और खालिस जज़्बे के साथ किया गया। इस महफ़िल ने लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब को एक बार फिर जीवित कर दिया, जहाँ शिक्षाविद, साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवी एक साथ जुटे।

कार्यक्रम की मूल भावना
कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत-ए-क़ुरआन से हुई, जिसके बाद विभिन्न विद्वानों के विचार प्रस्तुत किए गए। वक्ताओं ने कहा कि हज़रत मोहम्मद ﷺ की ज़िंदगी पूरी इंसानियत के लिए एक मुकम्मल मार्गदर्शन है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ईद-ए-मिलादुन्नबी ﷺ को केवल सजावट और दिखावे से नहीं, बल्कि इसके असल मक़सद के साथ मनाना चाहिए: राहगीरों को परेशान किए बिना , भूखों को खाना खिलाकर ,प्यासों को पानी पिलाकर ,मोहब्बत से एक-दूसरे को गले लगाकर और पड़ोसियों व ज़रूरतमंदों के साथ रिश्ते मज़बूत बनाकर। मुख्य संदेश यह रहा कि हज़रत की तालीमात – रहमत, सब्र, शुक्र, इंसाफ़ और ख़ूबसूरत अख़लाक़ – आज भी उतनी ही अहम हैं जितनी उनके दौर में थीं।

मुख्य वक्ता
मोहम्मद शुऐब – अध्यक्ष, एएमयू ओल्ड बॉयज़ एसोसिएशन, लखनऊ
सलमा एजाज़ – शिक्षाविद एवं समाजसेवी
प्रदीप कपूर – वरिष्ठ पत्रकार
हसन काज़मी – मशहूर शायर (नज़्म/नात)
आतिफ़ हनीफ़ – युवा समाजसेवी
इशरत नाहिद – सहायक प्राध्यापक
नेहा – नातख़्वां
ताहिरा हसन – वरिष्ठ अधिवक्ता एवं महिला अधिकार कार्यकर्ता वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कपूर ने कहा: “ऐसे कार्यक्रम लगातार होते रहना चाहिए, क्योंकि यह न केवल सांप्रदायिक सौहार्द और एकता को मज़बूत करते हैं, बल्कि मोहब्बत और भाईचारे का असल पैग़ाम भी फैलाते हैं।”

विशिष्ट अतिथि
इस अवसर पर कई नामचीन हस्तियां भी मौजूद रहीं, जिनमें डॉ. सबरा हबीब (वरिष्ठ शिक्षाविद), शेहला हक़ (समाजसेवी), मीराज हैदर (पत्रकार), मोहम्मद शमीम (शिक्षाविद), इमराना अज़मत (समाजसेवी), नेहा परवीन (शिक्षाविद), सबीहा अहमद (रिसर्च स्कॉलर), डॉ. लुबना कमाल (डॉक्टर), और मनीष सक्सेना (पत्रकार) शामिल थे।
एंकरिंग एवं व्यवस्था
कार्यक्रम का संचालन सारा फ़ातिमा ने बेहद ख़ूबसूरती और नफ़ासत से किया, जिसे सभी ने सराहा। खानपान: शाम को “शाम-ए-अवध कैटरर्स” के लज़ीज़ मुग़लाई पकवान पेश किए गए, जिनकी हर किसी ने भरपूर तारीफ़ की। इन इंतज़ामात ने महफ़िल को और भी यादगार बना दिया।
निष्कर्ष
कार्यक्रम का समापन इस संदेश के साथ हुआ कि हज़रत मोहम्मद ﷺ की तालीमात – इंसानियत, मोहब्बत, रहमत और इंसाफ़ – आज भी हमारी असली पहचान का हिस्सा हैं और हमेशा बनी रहेंगी।