
तुम्हारी फ़ाइलों मे गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे है और यह दावा किताबी है।
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
बाँदा। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना को उत्तरप्रदेश के चित्रकूट मंडल के मुख्यालय बाँदा मे भ्रष्टाचार की दीमक लगी है। यहां लगभग हर ग्रामपंचायत मे प्रधान और सचिव का रामराज्य है। ऐसा ही भ्रष्टाचार महुआ विकासखंड मे है जहां ग्रामपंचायत रोजगार सेवक, ग्राम प्रधान और सचिव मिलकर पीएम ग्रामीण आवास योजना मे रिश्वत को डकार रहें है। इसकी बानगी यह खबर है। जानकारी मुताबिक बाँदा के महुआ विकासखंड मे ऐला ग्राम पंचायत का रोजगार सेवक और पंचायत मित्र श्री विष्णु खुलेआम गांववासियों से रिश्वतखोरी करते पाया गया है।

यहां के ग्रामीणों ने डीएम बाँदा श्रीमती जे.रीभा को लिखित शिकायत करते हुए वीडियो उपलब्ध कराया था। जिस पर जांच बैठी तो रोजगार सेवक दोषी पाए गए है। जांच टीम ने गांव जाकर लोगों के बयान लिए और जांच रिपोर्ट लगाई है। उक्त रोजगार सेवक व पंचायत मित्र श्री विष्णु के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है। और इन्हें कार्यमुक्त करने की सिफारिश की गई है।

गौरतलब है कि कुछ वक्त पहले इसी महुआ विकासखंड के तिंदुही ग्रामपंचायत मे भी रिश्वतखोरी को वीडियो सामने आया था। पीएम आवास को सुविधा शुल्क दिये लोगों ने ग्राम प्रधान प्रतिनिधि व प्रधान पति अशोक कुमार बेड़िया पर 12 हजार रुपया प्रति आवास लेने का बयान दिया था लेकिन कोई कार्यवाही मुनासिब नही हो सकी। वहीं उल्टा प्रधानपति गांववासियों को झूठे मुकदमे मे फंसाने की धमकी देता फिरता है।

काबिलेगौर है कि बाँदा मे शहरी पीएम आवास योजना भी बड़े भ्रस्टाचार की शिकार है। दर्जनों रुतबेदार लोगों ने 5 हजार रुपया लेखपाल व डूडा विभाग को देकर अपात्र होते हुए शहरी पीएम आवास हासिल कर लिए है। यही कुछ पैलानी के ग्राम सांडी मे हुआ है जहां बिना रुपया लिए तत्कालीन मृतक ग्राम प्रधान पतिराखन निषाद ने कोई काम नही किया। अब उप चुनाव मे इनका भतीजा जीत गया तो वो भी चाचा के नक्शेकदम पर बंदरबांट करता है। बाँदा मे गांव-गांव यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। खाशकर डूडा विभाग से चलने वाली पीएम शहरी आवास योजना का तो बेड़ा गर्क है। रुतबेदार, धनाढ्य लोगों तक ने कम आय प्रमाणपत्र बनवा कर यह कालोनी हासिल कर ली है, कर रहें है।