@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- मंगलवार को अधिवक्ताओं के दो गुटों मे हुई थी मारपीट, कक्ष आवंटन मे घपले व नूराकुश्ती का मामला।
- पूर्व बार काउंसिल अध्यक्ष व फौजदारी अधिवक्ता अशोक दीक्षित एवं वर्तमान बार काउंसिल अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव उर्फ मंडेला के बीच खिंची रार ने तूल पकड़ा।
- दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर लिखा रखी है गंभीर धाराओं मे एफआईआर।
- न्यायालय परिसर मे तैनात है पुलिस बल, वर्तमान अध्यक्ष ने सोलह सदस्यों की जांच कमेटी पूर्व बार काउंसिल की कक्ष आवंटन प्रक्रिया को खंगालने के लिए बनाई है।
- तत्कालीन बार काउंसिल अध्यक्ष अशोक दीक्षित का दावा कि वर्तमान बार संघ अध्यक्ष खुद धोखाधड़ी, हत्या के प्रयास व डकैती का आरोपी है। वहीं कमेटी मे कुछ साज़िशकर्ता भी शामिल है।
- सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी की निधि से बने 6 कमरों के निर्माण कार्य पश्चात आवंटन हुआ। जिसमें एक कमरा तत्कालीन बार काउंसिल अध्यक्ष अशोक दीक्षित ने स्वयं के नाम आवंटित किया था।
- वर्तमान बार काउंसिल अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव उर्फ मंडेला ने कूटरचित दांव से दीक्षित बनाम तिवारी का खूनी संघर्ष कराया जिससे न्यायालय की गरिमा पर असर पड़ा।
बाँदा। मंगलवार 1 जुलाई 2025 को बाँदा बार काउंसिल / अधिवक्ता संघ के लिए ऐतिहासिक दिन बन गया। जब महज एक कमरे की कब्जेदारी पर दो वकीलों का समर्थित गुट खूनी संघर्ष मे तब्दील हो गया था। मौके पर भारी मजमा लगा और सीओ सिटी राजीव प्रताप सिंह जी व अपर एसपी शिवराज सिंह जी को मोर्चा संभालना पड़ा। हाल ये हुआ कि पुलिस बल ने न्यायालय परिसर के पुराने शताब्दी भवन मे शांति व्यवस्था कायम की तब जाकर अधिवक्ता गुट शांत हुए। इस मामले पर पिछली खबर को देखेंगे तो मुद्दा बाँदा बार काउंसिल के निवर्तमान और मौजूदा बार संघ अध्यक्ष के ईगो की लड़ाई से जुड़ा है। मात्र एक कमरा जो किसी के साथ नही जाएगा उसकी कब्जेदारी पर यह संघर्ष की पटकथा दो गुटों ने लिख दी।
गौरतलब है कि साल 2025 के बार काउंसिल चुनाव 10 फरवरी को हुए थे। इधर 7 फरवरी 2025 को तत्कालीन बार काउंसिल अध्यक्ष व फौजदारी वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक दीक्षित ने सदर विधायक निधि से निर्मित 6 कक्षो को उद्घाटन कराया। पत्थर लगा और फीता कट गया। इस दरम्यान एक कमरा अशोक दीक्षित ने स्वयं के नाम बार काउंसिल की तरफ से आवंटित कर लिया। उनका दावा है कि विगत 40 साल से वे यहीं बैठकर प्रैक्टिस करते रहें है। यह बात सत्य भी है। उधर नए शताब्दी भवन मे भी इन्हें एक कमरा आवंटन हुआ है लेकिन वे यहां बैठते नही है। वर्तमान बार काउंसिल अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव उर्फ मंडेला को कक्ष आवंटन की बात हजम नही हुई। उन्होंने हाउस की बैठक बुलाई, शिकायत पत्र लिया और पूर्व बार संघ अध्यक्ष को उन्ही के करकमलों से आवंटित कमरा निरस्त कर दिया। वहीं इसमें अधिवक्ता गोबिंद प्रसाद तिवारी को आवंटन दिया गया। यहीं से बात बिगड़ने लगी जो मंगलवार 1 जुलाई को लाठी तक पहुंच गई।
वर्तमान बार काउंसिल अध्यक्ष ने कूटनीति से दीक्षित बनाम तिवारी करा दिया और खूनी संघर्ष आपसी मुकदमेंबाजी तक पहुंच गया। बाँदा बार काउंसिल मे यह पहला अवसर था जब एक कमरे को लेकर इस तरह विवाद हुआ और न्यायालय पुलिस बल से भर गया। बतलाते चले कि द्वारिकेश मंडेला गुट ने फौजदारी अधिवक्ता अशोक दीक्षित गुट के 5 लोगों पर एफआईआर मंगलवार की रात्रि लिखवाने का काम किया। वहीं अगले दिवस अधिवक्ता अशोक दीक्षित की तरफ से नगर कोतवाली मे वर्तमान अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव उर्फ मंडेला, विख्यात यादव,विष्णुकांत यादव, गोबिंद प्रसाद तिवारी, कृष्णकांत,नरेन्द्र सिंह,अनूप यादव पर धोखाधड़ी, हत्या के प्रयास,डकैती की धारा पर मुकदमा दर्ज हुआ है।
मामलें की सुलह को अधिवक्ता संघ की आम बैठक-
मंगलवार के अधिवक्ता दंगल के बाद बुधवार को वर्तमान बार संघ अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव उर्फ मंडेला ने द्रोणाचार्य की भूमिका मे अधिवक्ता संघ की आम सभा बैठक बुलाई। शताब्दी भवन मे बैठक जोरदार रही। वहीं दोनों पक्षों के विवाद पर इल्डर्स कमेटी अध्यक्ष अशोक अवस्थी ने दुःख प्रकट किया। अन्य उपस्थित अधिवक्ता भी दुःखी हुए। उन्होंने सर्वसम्मति से कमेटी बनाकर दोनों पक्षो के विवाद को सुलझाने की बात रखी। इस आम सभा की बैठक मे क्रमशः तमाम अधिवक्ता मौजूद रहे। जिसमें बार संघ अध्यक्ष वर्तमान सचिव मनोज निगम लाला, पूर्व अध्यक्ष रामकृष्ण त्रिपाठी, रामस्वरूप सिंह,मुन्ना सिंह गौतम, एजाज अहमद, सुबीर सिंह, जागेश्वर यादव आदि रहे।
गुरुवार को बनी सोलह सदस्यीय कमेटी,पूर्व बार संघ अध्यक्ष संतुष्ट नही है-
गुरुवार को वर्तमान बार काउंसिल अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव उर्फ मंडेला ने मामले के निस्तारण को 16 सदस्यों की कमेटी बनाई है। उनका दावा है यह कमेटी निष्पक्षता से पूर्व बार संघ अध्यक्ष के कक्ष आवंटन प्रक्रिया की जांच करेगी। वहीं तत्कालीन / पूर्व बार संघ अध्यक्ष अशोक दीक्षित ने पलटवार करते हुए कहा कि मौजूदा बार संघ अध्यक्ष ने 16 सदस्यों मे कुछ साज़िशकर्ता भी शामिल किए है। उन्होंने इल्डर्स कमेटी को उनके नाम बतला दिए है। वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक दीक्षित ने आरोप लगाया कि अधिवक्ता जागेश्वर यादव, पूर्व अध्यक्ष उमाशंकर, शिवनायक सिंह, राजाभैया मिश्रा यह साज़िशकर्ता है। वहीं बार संघ अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव उर्फ मंडेला स्वयं धोखाधड़ी, हत्या के प्रयास व डकैती के नामजद आरोपी है। उन्हें कमेटी बनाने का अधिकार नही है।
नीचे लिंक मे इस मामले की पुरानी खबर पढ़े –
वर्तमान बार संघ अध्यक्ष ने जानबूझकर पूर्व बार काउंसिल के कक्ष आवंटन प्रक्रिया, दर्ज मुकदमों की विवेचना प्रभावित करने, आरोपियों को बचाने के लिए यह षड़यंत्र रचा है। वे न्यायालय से ही मामलें को निस्तारण कराएंगे। यदि सोलह सदस्यीय कमेटी न्यायपूर्ण फैसला देगी तो स्वीकार होगा। अन्यथा वे मानने को बाध्य नही है। न्यायालय को छोड़कर बार संघ अध्यक्ष को कक्ष आवंटन के अनुबंध को निरस्त करने का अधिकार नही है। बार संघ अध्यक्ष समर्थित गोलबंदी मे कुचक्र किये है। वहीं सीओ सिटी राजीव प्रताप सिंह ने सावधानी के मद्देनजर न्यायालय परिसर मे फोर्स तैनाती की बात कही है। फिलहाल दोनों पक्षों के मुकदमें मे किसी की गिरफ्तारी नही हुई है। जनता के मुकदमे होते तो यहीं कानून की दिशा कार्यवाही के क्रम मे कुछ और होती। महत्वपूर्ण है सात साल से कम अपराध के मुकदमे मे गिरफ्तारी कराने/करने वाली बाँदा पुलिस सामर्थ्यवान और पावरफुल लोगों के मामलें मे कानूनी नियमों को प्रभावित करती है। पत्रकारों और आम जन के मुकदमों मे यह बात लगातार देखने को मिल रही है। वहीं विभागीय कार्मिक के मसले पर भी लाइन हाजिर / निलंबित करना नियमानुसार कार्यवाही का सगुन है।