घूस न देने पर दौड़ाते रहे बलरामपुर अस्पताल के कर्मचारी, मौत के 26 दिन बाद मिला रेलवे कर्मी का डेथ सर्टिफिकेट | Lucknow COVID-19 News | Soochana Sansar

घूस न देने पर दौड़ाते रहे बलरामपुर अस्पताल के कर्मचारी, मौत के 26 दिन बाद मिला रेलवे कर्मी का डेथ सर्टिफिकेट | Lucknow COVID-19 News

बलरामपुर कोविड अस्पताल के कर्मियों ने मानवता को शर्मसार कर दिया। इलाज के अभाव में रेलवे कर्मी दिनेश कुमार वर्मा निवासी आलमबाग की मौत हो गई। यह आरोप उनके बेटे अभिषेक वर्मा का है। पिता की मौत का गम दिल में दबाए बैठे अभिषेक वर्मा को जब कोविड अस्पताल के गार्ड ने रोका तो उनकी नोकझोंक शुरू हो गई। वह गुस्से में बड़बड़ाते हुए बाहर निकलें। अभिषेक के मुंह से छूटते ही निकला कि इलाज के अभाव में पिता की मौत हो गई। मौत के बाद भी यहां के कर्मचारी डेथ सर्टिफिकेट के घूस मांग रहे थे। घूस के रूपये नहीं दिए तो 26 दिन तक एक दफ्तर से दूसरे तक दौड़ाते रहें।

लखनऊ के बलरामपुर कोविड अस्पताल के कर्मचारियों की करतूत, मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए बेटे को दौड़ाते रहे।

अधिकारियों से मिलने नहीं देते थे गार्ड, जाओ को लाठी लेकर दौड़ाते थे: अभिषेक ने बताया कि पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र मिलने में देरी देख कई बार सीएमएस व उच्चाधिकारियों से मिलने की कोशिश की, तो वहां गार्ड मिलने नहीं देते थे। जाने पर गार्ड अभद्रता करते इसके बाद लाठी लेकर दौड़ाने लगते। वह कहते कि साहब से मिलने के लिए अप्वाइंटमेंट लेना पड़ता है। जब पूछो कि यह कैसे मिलेगा तो कोई जानकारी नहीं देता था। अस्पताल के गार्डों का व्यवहार बहुत ही खराब है।

कर्मचारियों ने कहा तुम भी पाजिटिव होकर मर जाओगे: अभिषेक का आरोप है कि कई दिन तक प्रमाणपत्र न मिलने पर वह दौड़ता रहा। इस दौरान कुछ कर्मचारियों ने कहा कि यहां नहीं मिलेगा जाकर नगर निगम से बनवा लो। कर्मचारियों ने यहां तक कह दिया कि अभी पिता ही मरे हैं ऐसे दौड़ते रहे तो तुम भी पाजिटिव होकर मर जाओगे। यहां सुनवाई नहीं होती है। पर पापा के दफ्तर में अस्पाल का ही लिखित में मांगा गया था।

अभिषेक ने बताया कि बीते 19 अप्रैल को उन्होंने पिता को कोविड वार्ड में भर्ती कराया था। पिता का आक्सीजन लेवल 65-70 के बीच था। बड़ी मुश्किल से यहां बेड मिला। बहुत मुश्किल से बेड मिला तो इलाज ठीक से नहीं मिला। कर्मचारियों से लेकर डाक्टरों से गुहार की पर किसी ने सुनवाई नहीं की। अंततः इलाज के अभाव में पिता की 21 अप्रैल को मौत हो गई। पिता के आफिस में जानकारी हुई तो वहां मृत्यु प्रमाणपत्र की मांग की गई। बलरामपुर अस्पताल पहुंचे तो यहां वाई से लेकर कई दफ्तरों के चक्कर कटवाते रहें पर प्रमाणपत्र नहीं मिला। प्रमाणपत्र जल्दी बनवाने के लिए कर्मचारियों ने घूस की मांग की। वह दी नहीं तो आए दिन कोई न कोई कमियां निकाल देते थे। 26 दिन बाद सोमवार दोपहर बड़ी मुश्किल से पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र मिला।

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