
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
“पिछले एक साल से मुकदमा अपराध संख्या 0314/2024 थाना अतर्रा मे हाईकोर्ट से विवेचना की समयावधि मे “नो कोर्सेव एक्शन” का स्टे मिलने के बाद पुलिस के खासमखास बन चुके राजाभैया यादव को बीते 4 नवम्बर 2025 को माननीय उच्च न्यायालय से स्टे डिसमिस/खारिज होने के बाद झटका लगा था। तब से राजाभैया यादव फरारी के अलर्ट मोड पर थे। गत 18 नवंबर को राजाभैया यादव को गिरफ्तार करने के बाद बाँदा पुलिस मीडिया सेल का मौन और स्थानीय पत्रकारों मे इसकी कोई जानकारी साझा न करना अतर्रा सीओ पर बड़े सवाल खड़े करता है। तब जबकिं पिछली बार अतर्रा कोतवाली प्रभारी तत्कालीन एसएचओ कुलदीप तिवारी ने मीडिया को जानकारी दी थी। गिरफ्तारी की तस्वीर पुलिस मीडिया सेल से भी जारी की गई थी।

बाँदा। जिले के थाना अतर्रा अंतर्गत संचालित विद्याधाम समिति व चिंगारी संगठन के कर्ताधर्ता राजाभैया यादव पर अब तक कुलजमा विभिन्न संगीन धाराओं के 12 आपराधिक मुकदमे अलग-अलग थानों मे दर्ज है। बीते जून माह को राजाभैया यादव मुकदमा अपराध संख्या 043/2025 थाना अतर्रा मे दुराचार / अपरहरण आदि मे नामजद होकर ज़िला कारागार बाँदा से पांच माह बाद छूटे थे। तब से राजाभैया यादव हाईकोर्ट और ज़िला सेशन कोर्ट / विशेष न्यायालय एससी/एसटी मे कानूनी दाँवपेची से केस-केस खेल रहे थे। इधर एक अन्य मुकदमे 0315/2024 थाना अतर्रा मे राजाभैया यादव पर आईपीसी की धारा 354 व 504 का मुकदमा एक महिला ने लिखाया था। जिसमें आईओ विवेचक ने पीड़िता द्वारा तमाम शिकायत पत्र के बावजूद राजाभैया यादव पर 354 की धारा का विलोप कर दिया था। जबकि यह केस घटनास्थल उड़ीसा राज्य की थी।

पीड़िता ने अपनी एफआईआर मे राजाभैया के साथ बाँदा से ट्रेन द्वारा साथ जाने से लेकर वहां रुकने का ज़िक्र किया था। वापसी मे पीड़िता को उड़ीसा अकेला छोड़कर राजाभैया यादव मुंबई चले गए थे। ऐसा पीड़िता ने ट्रेन टिकट से दावा किया था। काबिलेगौर है कि राजाभैया यादव को बीते 18 नवंबर दिन मंगलवार को अपराह्न ढाई से तीन के बीच सीओ अतर्रा प्रवीण यादव के नेतृत्व मे पूछताछ को हिरासत मे अतर्रा-नरैनी मार्ग से लिया गया। फिर थाने से गिरफ्तार करके देरशाम बाँदा न्यायालय चलान काटकर लाया गया,जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। राजाभैया यादव जिस मुकदमे मे जेल गए है वह बीते 17 दिसंबर को थाना अतर्रा मे दर्ज हुआ था। तब से फरारी काट रहे राजाभैया इसी केस मे माननीय हाईकोर्ट से विवेचना जारी रहते “नो कोर्सेव एक्शन” का स्टे ले आये थे। सीओ अतर्रा प्रवीण यादव ने इस मामलें को ठंडे बस्ते मे डालने जैसा माहौल यह कहते हुए बनाया की उन्होंने मुक़दमा संख्या 043/2025 व 0314/2024 को आपस मे कनेक्ट कर दिया है। लेकिन दोनों मुकदमें मे घटनास्थल भिन्न है।

वहीं मुख्य मुलजिम एक व अन्य भी अलग है। इस मुकदमे की वादी दलित महिला है जो चित्रकूट ज़िले की मूल निवासी है। यह पूर्व मे राजाभैया यादव की एनजीओ विद्याधाम समिति व चिंगारी मे सामुदायिक कार्यकर्ता की तरह काम करती थी। एनजीओ मे काम करते हुए दलित पीड़िता ने अपने साथ हुए घटनाक्रम को तहरीर मे बखूबी बयानी किया है। वहीं अतर्रा पुलिस और स्थानीय पुलिस प्रशासन मुल्जिम को जिस तर्ज पर संरक्षण दिये था। उसने राजाभैया यादव के चक्रव्यूह मे षडयंत्र के तहत अनवर रजा रानू, महेंद्र पाल वर्मा राजू, दोनों पीड़िता व उनके परिजनों और अन्य पत्रकारों को भी साज़िश रचकर कूटरचना से मुकदमों मे फंसाने की पटकथा लिखी थी। लगातार लिख रहें है। किंतु न्यायालय से न्याय की उम्मीद लगाए पत्रकारों व समाज के लोगों ने राजाभैया यादव की फर्जी मुकदमे लिखवाने वाली टीम के प्यादों को सिलसिले वार लिखापढ़ी से बेनकाब किया है। लेकिन राजाभैया यादव कभी फर्जी तहरीर तो कभी 175(4) से झूठे मुकदमों की इबारत लिखने मे माहिर है। उन्ही काले कोट वाले अधिवक्ता के साथ जो बार संघ पदाधिकारी रहते विद्याधाम समिति के सारे प्रायोजित केस निज स्वार्थ मे लड़ने के अभ्यस्त है। राजाभैया यादव ने समाज कल्याण से पीड़िता को मिलने वाली आर्थिक सहायता पर वही विभाग के बाबुओं से रोक लगवाई है। मुलजिम का दावा है कि उनके केस मे हाईकोर्ट से स्टे है और मुकदमे झूठे है। फिर भी हाईकोर्ट ने राजाभैया का मुकदमा अपराध संख्या 0314/2024 आईपीसी की धारा 376,120 बी आदि की धाराओं पर दर्ज केस मे अब स्टे हटाया है। जिसके चलते राजाभैया यादव पांच माह बाद पुनः ज़िला कारागार बाँदा पहुंच गए है।