सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआइ को नारद रिश्वत मामले में तृणमूल कांग्रेस के तीन नेताओं सहित चार नेताओं को नजरबंद करने की अनुमति देने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस लेने की अनुमति दे दी।

जस्टिस विनीत सरन और बीआर गवई की अवकाश पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ पहले से ही नारद रिश्वत मामले की सुनवाई कर रही है। सीबीआइ की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुहार मेहता को अपनी अपील वापस लेने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपनी सभी शिकायतों को उच्च न्यायालय में उठाएं। हमने मामले के गुण दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है और हमारी टिप्पणियां मामले के गुण दोष पर हमारे विचारों को नहीं दर्शाती हैं।
पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को सीबीआइ ने पिछले सोमवार को नारद स्टिंग टेप मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था, जिसकी जांच सीबीआइ 2017 के उच्च न्यायालय के आदेश पर कर रही है।
पीठ ने कहा कि पश्चिम बंगाल के नेता भी उच्च न्यायालय में अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र हैं।कोलकाता उच्च न्यायालय ने 21 मई को पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों, एक विधायक और कोलकाता के एक पूर्व मेयर को जेल से नजरबंद करने का आदेश दिया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चारों आरोपियों की जमानत पर लगी रोक को वापस लेने के मुद्दे पर असहमति जताई थी। 24 मई को उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई की और सीबीआई द्वारा मामले को स्थगित करने के आवेदन को अस्वीकार कर दिया।