विवादों मे रहने के शौकीन बजरंगा डायग्नोस्टिक सेंटर मे भीषण आगजनी… | Soochana Sansar

विवादों मे रहने के शौकीन बजरंगा डायग्नोस्टिक सेंटर मे भीषण आगजनी…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

सिविल लाइन का मोहल्ला धुंए से गया डूब, बड़ा हादसा टला लेकिन बजरंगा बहुत खूब।

  • इस बिल्डिंग में न तो कोई फायर सेफ्टी इंतजाम थे और न ही आपातकालीन निकासी के रास्ते है।
  • इस जांच सेंटर मे पीसीपीएनडीटी एक्ट का होता खुला उल्लंघन लेकिन सिस्टम मे सीएमओ मौन, तब कार्यवाही करेगा कौन ?
  • बाँदा सिविल लाइन मे बजरंगा डायग्नोस्टिक सेंटर, तिंदवारा मे बजरंगा डायग्नोस्टिक एंड एमआरआई सेंटर, बबेरू मे भी जांच केंद्र व अस्पताल। आवासीय भूखण्ड पर बिना मानक संचालित है।

बांदा। शहर के प्रतिष्ठित कहे जाने वाले लेकिन हमेशा से विवादों और शिकायतों मे घिरे बजरंगा डायग्नोस्टिक सेंटर में दोपहर भीषण आग लग गई। आग इतनी तेजी से फैली कि कुछ ही मिनटों में पूरा मोहल्ला धुएँ से भर गया। व्यस्त इलाके मे अफरा-तफरी मच गई वहीं लोग अपने घरों से बाहर निकल आए थे। उधर मरीजों व कर्मचारियों को आनन-फानन में सुरक्षित बाहर निकाला गया किंतु चिकित्सा अधिकारी टस से मस नही हुए।

हाल-फिलहाल गनीमत यह रही कि मौके पर नगर पालिका के पानी के टैंकरों ने समय रहते पहुंचकर आग पर काबू पा लिया गया, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया है। पास के दुकानदार और मौके के चश्मदीद बतलाते है कि अगर कुछ देर और हो जाती तो कई लोगों की जान पर बन आती। स्थानीय लोगों का कहना है कि वैसे भी इस आवासीय बिल्डिंग में न तो कोई फायर सेफ्टी इंतजाम थे और न ही आपातकालीन निकासी के रास्ते लेकिन ज़िले मे अन्यत्र खुले आवासीय भूखंड मे व्यापारिक सेंटरों की तर्ज पर यहां भी मौज है। फिर फायर एनओसी वाले भला क्यों जगने लगे ?

फायर एनओसी पर उठे सवाल, नियमों की उड़ाई जाती है धज्जियां-

इस क्षेत्र स्थानीय लोगों ने पहले भी कई बार बजरंगा डायग्नोस्टिक सेंटर के खिलाफ फायर सेफ्टी मानकों की अनदेखी को लेकर शिकायतें की थी। लेकिन कार्यवाही के नाम पर होता कुछ नही। अलबत्ता कभी कोई नोटिस मिल जाये तो अलग बात है। शहर के व्यस्त इलाके मे संचालित इस जांच केंद्र पर सवाल यह उठता है कि जब यह बिल्डिंग फायर डिपार्टमेंट के मानकों के अनुरूप बनी ही नहीं थी, तो आखिरकार फायर एनओसी कैसे जारी हो गई ? खबर मे बजरंगा डायग्नोस्टिक एवं एमआरआई जांच सेंटर तिंदवारा, मेडिकल कालेज मार्ग की तस्वीर भी है। यहां भी फायर एनओसी की जांच हो तो कार्यवाही तय है। कभी शहर के सिविल लाइन क्षेत्र मे जांच केंद्र से शुरुआत करने वाले ‘पंडित जी’ आज ज़िले के स्वास्थ्य माफिया की कतार मे खड़े है। मीडिया, अधिकारी की जुगलबंदी से यह सब मुमकिन हुआ है।

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब इस सेंटर पर लापरवाही और नियमों की अनदेखी के आरोप लगे हैं। आसपास के दुकानदारों व लोगों का कहना है कि सेंटर की शिकायतें अक्सर उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई जाती है, लेकिन हर बार सीएमओ स्तर पर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। क्योंकि बाँदा शहर से मेडिकल कालेज रोड मार्ग स्थित इस सेंटर के निजी नर्सिंग होम तक और बबेरू क्षेत्र मे फैले, फलफूल रहे बजरंगा डायग्नोस्टिक जांच केंद्र का मकड़जाल चिकित्सा अधिकारी तक तगड़ी पकड़ रखता है। व सत्तारूढ़ पार्टी के एक नेता से बबेरू क्षेत्र मे व्यापारिक पार्टनरशिप भी है। फिर कार्यवाही की बात बेमानी है।

पीसीपीएनडीटी एक्ट का खुला उल्लंघन, प्रशासन मौन-

बजरंगा डायग्नोस्टिक सेंटर पर पीसीपीएनडीटी एक्ट के उल्लंघन के गंभीर आरोप भी लंबे समय से लगते आ रहे हैं। इस एक्ट के तहत गर्भ में लिंग परीक्षण पर सख्त प्रतिबंध है। बावजूद इसके ऐसा होना प्रश्नचिन्ह खड़े करता है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि सेंटर में दिनभर इस कानून की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। एक टेक्नीशियन के सहारे केंद्र संचालित है डॉक्टर हमेशा नदारद रहते हैं। सूत्रधार कहते है एक टीवी चैनल के पुराने संवाददाता व ठेकेदारी और मैटेरियल सप्लायर का हाथ होने के चलते इस सेंटर पर प्रशासन कार्यवाही नही करता है। फिर अब तो सत्तारूढ़ नेता भी साथ है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिलाधिकारी स्वयं इस एक्ट के निगरानी समिति के अध्यक्षा हैं और सेंटर उनके ही आवास व कार्यालय के बीच स्थित है। इसके बावजूद कभी भी यहां कोई धर-पकड़ या ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सेंटर मे अल्ट्रासाउंड धड़ल्ले से चल रहा है और सैकड़ों मरीजों की जिंदगी से हर रोज खिलवाड़ हो रहा है।

बजरंगा को खुलेआम राजनीतिक सरंक्षण का आरोप, कार्रवाई पर सवाल…

स्थानीय लोगों और सूत्रों की मानें तो इस सेंटर के पीछे एक नजदीकी प्रभावशाली समाजवादी पार्टी के नेता का सीधा संरक्षण है। व बीजेपी पार्टी के पदाधिकारी का भी आशीर्वाद है। इसी राजनीतिक पहुंच के चलते न तो प्रशासन कोई सख्त कदम उठा पाता है और न ही फायर एनओसी से लेकर अन्य कानूनी जांचों में कोई कार्रवाई होती है। विडंबना है कि आवासीय भूखण्ड पर सिविल लाइन से आवास विकास तक ऐसे चिकित्सा डायग्नोस्टिक जांच सेंटरों की पौ-बारह है।

चर्चा है कि इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है। सवाल यह है कि आखिर कब तक ऐसी लापरवाहियों की कीमत आम लोगों की जान से चुकाई जाती रहेगी। उधर बजरंगा डायग्नोस्टिक जांच केंद्र मे आगजनी की टीवी व प्रिंट खबर अभी तक आईसीयू मे क्वारन्टीन हो गई है।

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