प्रयागराज। वाराणसी के ज्ञानवापी तथा श्रृंगार गौरी के विवाद पर वाराणसी की जिला अदालत में केस को लेकर सुनवाई के बीच में आज ही इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में भी सुनवाई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी विवाद (Gyanvapi Controversy) को राष्ट्रीय महत्व का मामला बताते हुए एएसआइ के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से विस्तृत ब्यौरा मांगा है।उत्तर प्रदेश शासन में अपर मुख्य सचिव गृह के साथ ही महानिदेशक आर्केलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (ASI) की तरफ से सोमवार को हलफनामा दाखिल किया जाएगा। इस याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार व केन्द्र सरकार की तरफ से ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को लेकर दाखिल हलफनामे को सही नहीं माना और अपर मुख्य सचिव गृह उत्तर प्रदेश और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से महानिदेशक आर्केलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के मार्फत व्यक्ति गत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।हाई कोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार पर टिप्पणी भी कि ज्ञानवापी तथा श्रृंगार गौरी का तो राष्ट्रीय महत्व का मसला है जिन पर उनका हलफनामा गंभीर नहीं है। राज्य सरकार ने तो पैरा तीन से लेकर 47 तक में सिर्फ दो शब्द ‘नो कमेंट’ लिखा है।
यहां पर सर्वे के मुद्दे पर सरकार का पक्ष स्पष्ट नहीं किया गया है इसलिए केन्द्र व राज्य सरकारों से भी दस दिन में जवाबी हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने राज्य व भारत सरकार के हलफनामे को स्केची करार दिया।मंदिर पक्ष के अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने कहा था कि प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट में धार्मिक स्थान की प्रकृति बदलने पर रोक है। सिविल वाद में धार्मिक चरित्र बदलने की मांग नहीं की गई है। विवाद स्थान के धार्मिक चरित्र के निर्धारण का है जिसे साक्ष्य लेकर ही तय किया जा सकता है। इसलिए इस मामले में वह कानून लागू नहीं होगा। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी व अन्य की याचिका में अपर जिला जज वाराणसी के आदेश की वैधता व सिविल वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए हैं।ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद विवादित परिसर का सर्वे कराने के वाराणसी की अधीनस्थ अदालत के अंतरिम आदेश पर लगी रोक 30 सितंबर तक बढ़ा दी है। याचिका पर मंदिर पक्ष की तरफ से पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया। याची अधिवक्ता ने इसका जवाब दाखिल करने के लिए दस दिन का समय मांगा। कोर्ट ने समय देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 12 सितंबर नियत की।