@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- अपनी नौकरी जाने से आहत शरद मिश्रा ने पिता विनोद मिश्रा के साथ मिलकर ज़िला पंचायत अध्यक्ष को किया टारगेट ।
- ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने जिलाधिकारी बाँदा श्रीमती जे.रीभा को पत्र लिखकर सिटी न्यूज़ वेबसाइट व पिता से जुड़े अखबार भारतीय सहारा पर कार्यवाही की मांग उठाई।
- झींगा-लाला पत्रकारिता के दौर मे बाँदा के सुपारी पत्रकार कभी राजाभैया यादव की तथाकथित समाजसेवा को जन-कल्याण लिखतें है और कहीं सुनील पटेल को ‘तानाशाह’ !!!
- सदर विधायक ने कृषि महाविद्यालय बाँदा मे धर्मपत्नी ज़िला पंचायत अध्यक्षा के कार्यकाल मे 11अंशकालिक तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की अवैधानिक नियुक्ति कराई थी। जिन्हें निकाल दिया गया था।
- नौकरी पाए उक्त 11 लोगों मे शरद मिश्रा पुत्र विनोद मिश्रा, केनपथ,बाँदा भी शामिल थे। ज़िला पंचायत अध्यक्ष बनाम सदर विधायक की राजनीतिक उठापटक मे पिता-पुत्र ने पूरी भड़ास निकाल डाली।
- हिन्दी वर्तनी के शब्दों का खबर मे तिलस्म रचने वाले यह पत्रकार बाँदा की मौजूदा पतनशील पत्रकारिता का पर्याय है। एजेंडा सेट खबरें वैकल्पिक मीडिया के गर्भगृह से जन्म लेती है।
- क्या पत्रकारिता विद्वेषपूर्ण ख़बरों को प्लांट करके चरित्र मर्दन, दुष्प्रभाव से दुष्प्रचार करने और लाभार्जन का औजार बन चुकी है ? बाँदा मे यही हो रहा है।
बाँदा। बुंदेलखंड यूपी-एमपी की पत्रकारिता वैसे भी भरोसेमंद नही रह गई है। पट्टेधारक कलमकारों की पलटन दर्जनों नवोदित खबरनवीस किसी न किसी उद्देश्य पूर्ति अथवा मौसमी पत्रकारिता (मौरम उठान के 9 माह) के लिए डिजीटल / प्रिंट खबरिया बाजार मे उतर जाते है। इस भीड़ मे जो पुराने वरिष्ठ कलमकारों के मापदंड कुछ-बहुत निष्पक्षता के लिए टिके है उनकी भी विश्वनीयता खतरे मे पड़ रही है। क्योंकि पुराने बुजुर्ग पत्रकारों को अपवाद वाले खबरदार और टारगेट / लक्ष्यभेदी पत्रकार बदनामी के बैकुंठधाम तक पहुंचाने मे सक्रिय है। अक्सर भड़ास की खबरों मे प्रदेश/ देशभर के ऐसे पत्रकारिता-रत्न प्रकाशित होते रहते है। इस कड़ी मे एक बार फिर खबर चित्रकूट मंडल के बाँदा से आ रही है। जहां वर्तमान ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने डिजीटल न्यूज़ प्लेटफार्म सिटी न्यूज़ उत्तरप्रदेश वेबसाइट के संपादक शरदचन्द्र मिश्रा पुत्र विनोद मिश्रा पर सवाल खड़े किए है। उन्होंने दुराग्रह वशीभूत खबरों से व्यक्तिगत छवि बिगाड़ने वाले पिता-पुत्र की गोलबंदी मे लक्ष्यभेदी पत्रकारिता पर बाँदा ज़िलाधिकारी श्रीमती जे.रीभा को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग उठाई है। गौरतलब है ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल वर्सेज सदर विधायक बाँदा प्रकाश द्विवेदी की राजनीतिक नूराकुश्ती सुर्खियों मे है। उत्तरप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीजेपी के कद्दावर नेताओं की जानकारी मे है।
इस आपाधापी मे ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल की तरफ बाँदा की पत्रकारिता का झुकाव नही है क्योंकि सत्तारूढ़ दल से सदर विधायक का कद राजनीतिक व प्रशासनिक प्रभाव मे ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल पर भारी होता दिखता है। कहते है दुनिया व अवसरवादी चुनाव की भाग्यविधाता जनता / पतनशील पत्रकारिता तक सियासी बयार के साथ चलती है। मुट्ठीभर से भी कमतर लोग तटस्थता से न्याय व निष्पक्ष सोपानों के पायदान को बरकरार रखने के लिए ज़मीर सुरक्षित रखते हुए रीढ़ की हड्डी की ग्रीस को ज़िंदा रखते है। किंतु उन्हें इसका खामियाजा माननीयों के कोपभाजन, माफियाओं, सफेदपोश की साजिशों और व्हाइट कालर / श्वेतव्यसन अपराधियों की जमात मे पोषित सोशल भामाशाहों से भी भोगना पड़ता है। तब पीड़ित पत्रकार अथवा लोकसूचना प्रदाता अकेले ही संघर्ष करता दिखता है।
डीएम बाँदा को सुनील पटेल ने लिखा पत्र-
इस प्रकरण पर पूर्व मे लिखी खबर नीचे लिंक मे है-
बाँदा ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने अपने हस्ताक्षर युक्त शिकायत पत्र जिलाधिकारी बाँदा श्रीमती जे.रीभा को सिटी न्यूज़ व भारतीय सहारा अखबार पर कार्यवाही विषयक लिखा है। उन्होंने लेटरपेड पर स्पष्ट लिखा है कि जिला पंचायत अधीनस्थ कृषि महाविद्यालय मे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्षा श्रीमती सरिता द्विवेदी के कार्यकाल मे 11 अंशकालिक तृतीय श्रेणी कमर्चारियों की नियुक्ति हुई थी। यह इससे भी स्पष्ट है कि इनके संदर्भित खबरें व नियुक्ति पत्र व्हाट्सएप पर वायरल है। इन्ही कर्मचारियों मे शरदचन्द्र मिश्रा पुत्र विनोद मिश्रा निवासी केनपथ, बाँदा लगातार उनकी राजनीतिक छवि खराब करने को सुनियोजित / प्लांटेड खबरें अपने वेबसाइट सिटी न्यूज़ उत्तरप्रदेश व अखबार भारतीय सहारा मे लिखते है। उन्होंने कहा कि सिटी न्यूज़ की वेबसाइट आरएनआई भी नही है बावजूद इसके दुराग्रह पूर्ण पत्रकारिता उनके खिलाफ की जा रही है।
विनोद मिश्रा विद्याधाम समिति के राजाभैया यादव की चिंगारी के भी मुरीद है-
बाँदा मे एक दशक पूर्व से पहले दैनिक जागरण मे ज़िला संवाददाता रहे बुजुर्ग पत्रकार व शरदचन्द्र मिश्रा के पिताजी विनोद मिश्रा आज बेटे के साथ डिजीटल सिटी न्यूज़ उत्तरप्रदेश वेबसाइट चलाते है। हिन्दी शब्दों की वर्तनी से खेलने मे खिलाड़ी विनोद मिश्रा टारगेट बेस्ड/ लक्ष्यभेदी पत्रकारिता अक्सर करतें है। उन्हें अतर्रा कस्बा की विद्याधाम समिति एवं राजाभैया की चिंगारी से भी बेहद लगाव है। उन्ही की कतार मे बाँदा के कुछ अन्य इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट पत्रकारिता वाले लाल बादशाह जिन्होंने राजाभैया यादव को अपनी स्नेहशीलता का आशीर्वाद कुछ उद्देश्य की पूर्ति हेतु दे रखा है। वे राजाभैया की सामाजिक चालबाजी, एनजीओ पब्लिक स्टंट, उनकी व्यक्तिगत आपराधिक संगठनात्मक चक्रव्यूह रचना और दोयम जनसेवा की निर्लज्ज कथा से बखूबी परिचित भी है परंतु हर दुर्व्यसनों को ताक पर रखकर अंधभक्ति की पराकाष्ठा के सूरवीर उन्हें समाजसेवा का राजाभैया लिखकर महिमामंडन करते नही थकते है। गत पंद्रह वर्षों से यह सिलसिला सिर्फ इसलिए जारी है ताकि चंद उद्देश्य व मान-सम्मान बचा रहे जो असलियत मे खोखले आभामंडल पर तेजस्वी सूर्य मे लगने वाले काले ग्रहण जैसा प्रतीत होता है। अलबत्ता वे ऐसा करते है, आगे भी करेंगे जैसे ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल आज उनके लिए ग्रास / अवसर का निवाला है वैसे राजाभैया भी परोक्ष लाभार्जन का सूत्रपात है। सूचना संसार तस्वीरों से इसका संकेत करता है बाकी लिखी खबर का फोटो भी साक्ष्य के लिए चस्पा है। यह अखबारी खबर राजाभैया के जिला कारागार से छूटने के बाद तेलपानी को लिखी गई है। इस क्रम मे नगरपालिका परिषद से जुड़ी कई खबरों को अक्सर व्हाट्सएप ग्रुपों मे झेलना पड़ता है।
कौन है वे 11 कृपापात्र अंशकालिक कर्मचारी-
बाँदा कृषि महाविद्यालय मे सदर विधायक जी की महती कृपा से जो 11 तृतीय श्रेणी की अंशकालिक नियुक्ति हुई थी। उनमें क्रमशः राजेश तिवारी पुत्र स्वर्गीय बद्रीप्रसाद तिवारी निवासी आजाद नगर,बाँदा, शरदचन्द्र मिश्रा पुत्र विनोद मिश्रा (पत्रकार),निवासी केन रोड निकट क्योटरा मुहल्ला,बाँदा, प्रियम अवस्थी पुत्र प्रमोद अवस्थी निवासी स्वराज्य कालोनी,बाँदा, सूर्यांश सिंह पुत्र अशोक सिंह निवासी सिविल लाइन, डीएम कालोनी बाँदा,श्रीमती सुनीता यादव पत्नी रामसिंह निवासी ग्राम पनवाह, पोस्ट अतरामपुर,इलाहाबाद, राहुल तिवारी पुत्र राजेश तिवारी निवासी ग्राम महोखर,बाँदा, सौरभचन्द्र पुत्र संतोष कुमार निवासी ग्राम पिपरगंवा,बाँदा, अभिषेक शिवहरे पुत्र गोरेलाल शिवहरे निवासी ओरन,बाँदा व आनंद कुमार उपाध्याय पुत्र रामरूप उपाध्याय निवासी नंगनेधी, बाँदा शामिल है। यह नियुक्ति गोपनीय प्रक्रिया से बिना पब्लिक डोमेन जानकारी कैसे संभव हो सकी यह जांच का विषय है जिस पर जिला पंचायत अध्यक्ष ने सवाल खड़े किए है। क्या इस भ्रस्टाचार की जांच बाँदा के पत्रकारों के लिए कोई मायने नही रखती है तब जबकिं वे दिनरात सुनील पटेल पर 6.21 करोड रुपया अवैध तहबाजारी की खबर रंग रहें है। इस तहबाजारी गबन पर ठेकेदार शक्तिनारायण सिंह को बचाया जा रहा है। वहीं ज़िला पंचायत अध्यक्ष ने 120 करोड़ के गबन का आरोप माननीय सदर पर लगाया है। इसके दस्तावेज सूचना संसार तक पहुंच चुके है। क्या डीएम साहिबा जनता को बाँदा मे व्याप्त वित्तीय घोटालों के मकड़जाल से निजात दिला सकतीं है ?