@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- वरिष्ठ अधिवक्ता फौजदारी व पूर्व बार संघ अध्यक्ष अशोक दीक्षित से जुड़ा है कक्ष आवंटन का मामला।
- वर्तमान बार संघ अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव उर्फ मंडेला ने वरिष्ठ अधिवक्ता को आवंटित कमरा अन्य को आवंटन कर दिया था।
- गत माह गर्माया मुद्दा लेकिन यह विगत फरवरी माह से बाँदा बार संघ की सरगर्मी बनाए है।
- निवर्तमान बार संघ अध्यक्ष अशोक दीक्षित ने यूपी बार काउंसिल को इस मामले की शिकायत कर दी है।
- आगामी 26 जुलाई को बाँदा बार संघ अध्यक्ष प्रयागराज मे बार काउंसिल ऑफ उत्तरप्रदेश के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष रखेंगे।
बाँदा। उत्तरप्रदेश बार काउंसिल तक बाँदा बार संघ दो अध्यक्षों के विवाद का मामला पहुंच गया है। बाँदा बार संघ अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव उर्फ मंडेला को आगामी 26 जुलाई को प्रयागराज पहुंचकर अपना पक्ष रखना है। बतलाते चले कि यह मामला गत फरवरी माह से सुर्खियां बनाए है। बाँदा के तत्कालीन बार संघ अध्यक्ष व फौजदारी अधिवक्ता अशोक दीक्षित ने सदर विधायक निधि से कुल 6 कमरे बनवाया था। इसका उद्घाटन / शिलान्यास दोनों ही तत्कालीन बार संघ अध्यक्ष के कार्यकाल मे सम्पन्न हुआ था। किंतु वर्तमान बार संघ अध्यक्ष व कांग्रेस ज़िला प्रवक्ता द्वारिकेश सिंह यादव ने पूर्व बार संघ अध्यक्ष को आवंटित कमरा बाँदा के अधिवक्ता गोबिंद प्रसाद तिवारी को दे दिया था।
वे लगातार वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक दीक्षित पर कब्जेदारी को लेकर प्रभावी होना चाहते थे। लेकिन जून माह मे एक दिन रात को अशोक दीक्षित के लिए आवंटित कमरे का ताला तोड़ दिया गया और समान बाहर निकल गया। सुबह इस बात की खबर जब निवर्तमान बार संघ अध्यक्ष को लगी तो उन्होंने कचहरी पहुंचकर समर्थकों के साथ प्रतिरोध किया। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों गुट के आपस मे नूराकुश्ती पर मारपीट तक हो गई थी। इस मामले पर दोनों पक्षों से एफआईआर भी हुई थी।
अधिवक्ता अशोक दीक्षित ने यूपी बार काउंसिल को शिकायत की है-
कक्ष आवंटन मामलें को वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता अशोक दीक्षित ने यूपी बार काउंसिल को भेज दिया है। उन्होंने बताया कि इस मामले पर दर्ज एफआईआर की जांच पुलिस टीम कर रही है। किंतु कक्ष आवंटन मुद्दा बार काउंसिल ही सुलझा सकता है। या फिर न्यायालय क्योंकि मौजूदा बार संघ अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव ने पूर्व मे आवंटित कमरे बिना अनुबंध निरस्त हुए नए अधिवक्ता जन को आवंटित कर दिए है। वे लगातार कक्ष आवंटित अधिवक्ताओ पर मानसिक दबाव बनाकर कमरे खाली कराना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि अधिवक्ता मेरा / अशोक दीक्षित, उमाशंकर शर्मा, रामप्रताप कुशवाहा का कमरा बार संघ अध्यक्ष ने एग्रीमेंट कैंसिल हुए बिना ही पुनः नए वकीलों को दिया है। यह न्यायालय की प्रक्रिया के विपरीत है। उन्होंने दावा किया कि यदि जांच होने तक कमरों से छेड़छाड़ की गई तो वे संबंधित अधिवक्ता के विरुद्ध अधिनियम 1961 की धारा 35 अंतर्गत कार्यवाही को बाध्य होंगे। जिसमे अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन तक निरस्त हो सकता है। व बार काउंसिल सदस्यता जा सकती है। वे कहतें है कि मै कक्ष आवंटन स्थान पर ही गत 40 वर्ष से विधि व्यवसाय कर रहा हूं। बावजूद इसके मुझे आवंटित कमरा एग्रीमेंट निरस्त किये बगैर गोबिंद प्रसाद तिवारी को दिया गया। यह षड़यंत्र है जिससे आपसी विवाद जातिगत स्वरूप मे तब्दील होकर हिंसा का रुख इख्तियार कर सके। अधिवक्ता अशोक दीक्षित ने कहा कि उन्होंने यूपी बार काउंसिल को लिखित शिकायत की है। महत्वपूर्ण तथ्य है कि बतौर अधिवक्ता वर्तमान बार संघ अध्यक्ष द्वारिकेश सिंह यादव उर्फ मंडेला ने वर्ष 2022 तक अतर्रा की एनजीओ विद्याधाम समिति से सामाजिक कार्यकर्ता के पद पर काम करने का वेतन लिया है। उक्त संस्था के सचिव राजाभैया यादव ने हाईकोर्ट की याचिका संख्या क्रिमिनल रिट प्रिटीशन 226/2025 मे संलग्नक दस्तावेज मे इसका वित्तीय जानकारी उल्लेख किया है। जबकि बार काउंसिल नियमावली अनुसार एक अधिवक्ता जो विधि व्यवसाय से जुड़ा है। बार संघ सदस्य / बार काउंसिल सदस्य हैं वह अन्यत्र वेतनभोगी नही हो सकता है। क्या खबर यह क्रम आज भी चल रहा हो। सूचना संसार इसका दावा नही करता है लेकिन साल 2022 तक यह उक्त संस्था से वेतन लिए है इसके साक्ष्य उपलब्ध है। बार संघ अध्यक्ष व तत्कालीन बार संघ के मध्य छिड़ी यह विवाद की स्थिति यूपी बार काउंसिल के हस्तक्षेप से कितना निष्पक्ष निर्णीत होगी यह देखने वाली बात होगी।