
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
खनिज अधिकारी राज रंजन ने 29 मार्च की जांच पर लीपापोती कर दी है। उधर 9 अप्रैल को खदान पहुंचे थे एसडीएम पैलानी और सदर सीओ जिन्होंने मौके पर अवैध खनन देखा लेकिन पोकलैंड छोड़ दी। वहीं खनिज अधिकारी बाँदा के लिए मानों यह अवैध खनन का महाकुंभ 2025 है, तो सब केन की लाल मौरम-बालू जिसे लाल सोना भी कहते है मे आकंठ डुबकी लगा रहें है।
- पैलानी के सांडी बालू खदान खंड संख्या 77 में धड़ल्ले से अवैध खनन व परिवहन जारी है।
- तहसील प्रशासन के अधिकारियों का संरक्षण इसलिए खपटिहा और सांडी मे पट्टेधारक की मौज।
- किसानों और ग्राम सभा की भूमि निकल रही अवैध बालू, खनन के गड्ढे इतने बड़े की हाथी डूब जाए।
- यह ठेकेदार केन नदी नही किसानों का मुकद्दर और उनकी नस्लों का भविष्य खोद रहें है।
- गत 25 व 26 मार्च को किसानों ने जिलाधिकारी व आयुक्त को भी शिकायती पत्र देकर लगाई थी फरियाद लेकिन जांच के नाम पर खनिज अधिकारी ने कर दी लीपापोती और सरकारी विज्ञप्ति को दिखा दिया रामराज्य।
बांदा। ज़िले की पैलानी तहसील का ग्राम सांडी और ख़पटिन्हा कला बीते एक दशक से लाल मौरम उत्खनन का गढ़ है। बसपा, सपा अब भाजपा इस मामले मे यह तीनों दल दलदल है। ग्राम सांडी मौरम खंड 77 और ख़पटिन्हा कला का खनन माफिया जिलाधिकारी के सख्त तेवरों के बावजूद ओवरलोडिंग /अवैध खनन करने से बाज नही आ रहा है। सनद रहे कि बीते दिनों जिलाधिकारी 29 मार्च को डीएम श्रीमती जे.रीभा खुद इस क्षेत्र मे पट्टेधारक का तांडव देखा था। सांडी मे पूर्व जांच व 48 लाख रुपया जुर्माना के बावजूद मिल रही शिकायत पर खफा डीएम ने यहां जैकी और अजहर की क्लास लगा दी थी। वहीं फिर भी ओवरलोडिंग की मिल रही शिकायतों / खबरों पर कड़ा रूख अपनाया था। डीएम साहिबा की 29 मार्च को खदान तक पहुंची जांच की आंच पर नोटिस मिलनी थी लेकिन जारी नही हो सकी है।

इधर जिला मंडल आयुक्त श्री अजीत कुमार के निर्देश प्रशासन ने संयुक्त टीम बनाकर अपर आयुक्त के नेतृत्व मे इस पर कार्यवाही के निर्देश दिए थे। फौरी एक्शन के चलते कुछ ओवरलोड ट्रकों के विरूद्ध खानापूर्ति की गयी थी। किंतु सरकारी विज्ञप्ति के निर्देश आज भी दफ्तर मे बन्द है। जबकि 9 अप्रैल को एसडीएम पैलानी व सीओ सदर ने यहां भारी कटान और किसानों के खेतों तक अवैध खनन देखा, पोकलैंड पकड़ी पर हुआ कुछ नही। क्योंकि हर बिकने वाला कीमत चाहता है बस सही दाम मिल जाये।

गौरतलब है कि पैलानी तहसील में स्थित सांडी बालू खदान खंड संख्या 77 में संचालक खनन नियमों को ताक पर रखकर अपनी सीमा क्षेत्र के बाहर खनन कर धड़ल्ले से ओवरलोडिंग परिवहन कर सरकार के राजस्व को चूना लगा रहे है। लाल बालू को खदान संचालक द्वारा प्रतिबंधित मशीनों का प्रयोग कर नदी की जलधारा मे निकाला जाता है। वहीं ग्रामीणों को लाठी डंडों व असलहों की दम पर धमकाया जाता है। समझौता या दहशत दो ही रस्ते है इस पेशे मे चलते है।

इसके अलावा सैकड़ों की तादाद मे ट्रकों के झुंण्ड से धूल का गुबार 6 माह पूर्व बनी एक परत वाली सड़क की बखिया उधेड़ता हुआ उड़ता है। जिससे वायु प्रदूषण के चलते आस-पास के ग्रामीण बीमारी के शिकार हो रहे है। खनिज न्यास फाउंडेशन से खनन प्रभावित गांवों मे कोई विकास नही होता है और न किसानों को इसकी जानकारी है। अलबत्ता उधर पर्यावरण एनओसी देने वाला महकमा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय अधिकारी तो जैसे सूरदास है।
पर्यावरण जल, वायु एनओसी / एनजीटी के नियमों और प्रशासनिक नियमों व शक्तियों को नजरअंदाज करने का यूपीपीसीबी ने संकल्प लिया है। लीज डीड के सारे नियम दर किनार कर दबंगई के बल पर दिन-रात बिना रोक-टोक बेलगाम बालू खनन का कार्य बदस्तूर कर रहें है। उधर डीएम साहिबा की लाख कोशिशों / सख्त तेवर के रहते भी बाँदा खनिज अधिकारी ने मानक के विपरीत खदान से ही ट्रकों मे ओवरलोडिंग का खेल खिला रखा है। जबकि जिलाधिकारी के ओवरलोडिंग के मामले पर सख्त निर्देश हैं कि यदि खनन खदान क्षेत्र से ही ओवरलोड ट्रक निकलते पाए गये तो इसके लिए पट्टाधारक जिम्मेदार होंगे। सूर्यास्त के बाद भी खनन होता रहता है। 3 मीटर का मानक व्यंग बन चुका है।

इसे रोकने के लिए हाईफ्रीक्वेंसी पीजेड सीसीटीवी कैमरे लोडिंग प्वांइट, खदान प्रवेश स्थल और निकासी के साथ ओवरलोडिंग को रोकने के लिए धर्मकांटे का प्रयोग करना अनिवार्य किया गया है। लेकिन इसके विपरीत अधिकांश खनन पट्टा क्षेत्रों मे सीसीटीवी कैमरे और भार मापन कांटा केवल दिखावा साबित हो रहे हैं। शाम होते ही प्रतिबंधित भारी मशीनें नदी की जलधारा से रात भर बालू निकालने का काम कर रहीं हैं। केन मे अवैध खनन के चलते जलधारा पर तो विराम लग ही रहा है साथ ही जलीय जीव-जन्तुओं की मौतें हो रहीं साथ ही पेयजल का संकट भी मंडराने लगा है। भयावह तस्वीरों को यदि सैटलाइट से लिया जाए तो उत्तरप्रदेश शासन खनिज अधिकारी की क्लास लगा देगा।

अवैध खनन से यूपी सरकार के राजस्व को बालू माफिया चूना लगा रहे है। उधर जिले के आला अफसर अपने आफिस/कमरे में एसी का लुफ्त उठा रहे हैं। बालू खनन कारोबारी के सहयोगी जैकी, हबीब,अजहर द्वारा सांडी मे खनन की इबारत लिखी जा रही है। जबकि कई सालों से हमीरपुर के कुछ छुटभैये भी बांदा जनपद मे सक्रिय है।
बतलाते चले कि सादिक मदनपुर, चरका, मर्का, मरौली से लेकर गिरवां तक केन से बलात अवैध खनन के धंधे मे लोकल मीडिया की महती भूमिका रहती है। सादिकमदनपुर मे मुजीब खान, मर्का मे गोलू सिंह, चरका मे भोले, मरौली खंड दो इमरान अली, खण्ड 5 संजीव गुप्ता सोना मे शिव सिंह, सांडी मे रोहित यादव, ख़पटिन्हा कला मे आशीष सिंह आदि ये ऐसे नाम है जो स्थानीय मीडिया तक नेंगचार / उपहारी देते है।

या यूं कहिये की यह संगठित पर्यावरणीय अपराध है जो बाँदा का नसीब केन की आरती से हास्यास्पद और अवैध खनन व सीवेज नालों से असंवेदनशील बना चुका है।पिछले डेढ़ दशक की यह लीला केन के मुर्दा होने तक प्रभावी रहेगी। विडंबना एवं बुंदेली दुर्भाग्य यही है। हर मंगलवार केन आरती की नौटंकी जारी है।