UP के 13 जिलों में छापेमारी, लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में CBI की बड़ी कार्रवाई | Latest News Update

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में लखनऊ में गोमती नदी के सौंदर्यीकरण का काम किया गया। इसको गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर सजाने की योजना थी। समाजवादी पार्टी की सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट के लिए 1513 करोड़ मंजूर किए थे। इसमें 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। इस दौरान रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया था।उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल के दौरान लखनऊ में बड़े घोटाले में सीबीआइ ने अपनी जांच की गति तेज कर दी है। लखनऊ में करीब 1800 करोड़ रुपए के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआइ की एंटी करप्शन ब्रांच ने उत्तर प्रदेश के साथ ही पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान के कई जिलों में छापा मारा है।

After the new FIR of CBI, raids have been conducted in Uttar Pradesh,  Bengal and Rajasthan. | Gomti River Front Scam: सीबीआई की टीम ने शिवपाल के  करीबी कांट्रेक्टर का आवास किया

सीबीआइ की एंटी करप्शन की टीमों ने एक साथ उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ के साथ गाजियाबाद, बरेली, गौतमबुद्धनगर, सीतापुर, बुलंदशहर, आगरा, रायबरेली, इटावा तथा पश्चिम बंगाल और राजस्थान के कई जिलों में छापा मारा है। लखनऊ में करीब 1800 करोड़ के घोटाले में 190 से लोगों के खिलाफ नया केस दर्ज किया गया है। इनमें नेता, व्यापारी तथा आइएएस अधिकारी व इंजीनियर भी हैं। सीबीआइ की एंटी करप्शन टीम ने गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में आधा दर्जन आरोपितों के कई ठिकानों पर एक साथ छापा मारा है। टीमें कागजों की पड़ताल में लगी हैं। यह मामला बेहद गंभीर होने के कारण कोई भी कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

घोटाले की जद में इंजीनियर्स

इस मामले में आठ इंजीनियर्स के खिलाफ पुलिस के साथ सीबीआइ व ईडी केस दर्ज कर जांच कर रही हैं। इसमें तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव, सुरेन्द्र यादव शामिल हैं। यह सभी सिंचाई विभाग के इंजीनियर हैं, जिनके खिलाफ जांच चल रही है।

अखिलेश यादव के करीबी नेता भी आरोपित

स घोटाले में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के कई करीबी नेता भी आरोपित हैं। आरोप है कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया था। इस बड़े प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था। मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में इसकी न्यायिक जांच में कई खामियां उजागर हुईं। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी।

Gomti River Front Scam Case Lucknow CBI Team Raid at home of contractor  puneet agrawal in Etawah

उत्तर प्रदेश में इन ठिकानों पर छापेमारी

1- शिव मंगल यादव, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, छठीं व 12वीं सर्कल, सिंचाई विभाग, लखनऊ का आवासीय परिसर 3/41, रुचि खंड-1, शारदा नगर, लखनऊ।

2- तत्कालीन अधीक्षक श्री रूप सिंह यादव का आवासीय परिसर। अभियंता/कार्यपालक अभियंता/कार्यपालक अभियंता, सातवीं/बारहवीं मंडल, सिंचाई विभाग, लखनऊ। 505, शिवालिक अपार्टमेंट, कौशाम्बी, गाजियाबाद।

3- तत्कालीन अधीक्षक रूप सिंह यादव का आवासीय परिसर। प्लाट संख्या 409 ई, एनआरआई सिटी, ग्रेटर नोएडा, गौतमबुद्ध नगर। अभियंता/ कार्यपालक अभियंता/कार्यपालक अभियंता, सातवीं/बारहवीं मंडल, सिंचाई विभाग, लखनऊ।

4- सिद्ध नारायण शर्मा, तत्कालीन मुख्य अभियंता, शारदा सहायक, सिंचाई विभाग, लखनऊ, ए-1102, ब्रिज अपार्टमेंट, वैशाली, सेक्टर-5, गाजियाबाद।

5- तत्कालीन अधीक्षक अखिल रमन का आवासीय परिसर। इंजीनियर, सप्तम सर्कल, सिंचाई विभाग, लखनऊ। 1/130, विपुल खंड-1, गोमती नगर, लखनऊ।

6- ओम वर्मा, तत्कालीन मुख्य अभियंता, वी सर्कल, बरेली का आवासीय परिसर। सिंचाई विभाग, बरेली, स्थित 11/426, सेक्टर-11, विकास नगर, लखनऊ।

7- काजिम अली, तत्कालीन मुख्य अभियंता, शारदा सहायक, सिंचाई विभाग, लखनऊ का आवासीय परिसर, फ्लैट नंबर 509 द कैसल, एफएम टॉवर के पास, अनूप शहर रोड, अलीगढ़।

8- तत्कालीन अधीक्षक जीवन राम यादव का आवासीय परिसर। इंजीनियर, वी सर्कल बरेली, सिंचाई विभाग, बरेली। 11/90, इंदिरा नगर, लखनऊ।

9- तत्कालीन अधीक्षक सुरेंद्र कुमार पाल।सिंचाई विभाग, सीतापुर, ए-137 स्थित, साउथ सिटी, रायबरेली रोड, लखनऊ।

10- तत्कालीन अधीक्षक श्री कमलेश्वर सिंह का आवासीय परिसर। इंजीनियर, सप्तम सर्कल, सिंचाई विभाग, लखनऊ, 14, न्यू विकास कॉलोनी, सेक्टर -7, विकास नगर, लखनऊ।

11- मोहम्मद आसिफ खां का आवासीय/आधिकारिक परिसर। आसिफ खां, मालिक मैसर्स तराई कंस्ट्रक्शन, जी-201, शल अपार्टमेंट, महानगर, लखनऊ।

12- मोहन गुप्ता, निदेशक मैसर्स हाईटेक सक्षम बिल्डर्स प्रा. का आवासीय/आधिकारिक परिसर। लिमिटेड, जी -17, चरण -1, औद्योगिक क्षेत्र, भिवाड़ी, अलवर (राजस्थान)।

13- अंगेश कुमार सिंह, प्रबंध निदेशक, मैसर्स अंगराज सिविल प्रोजेक्ट्स प्रालि का आवासीय व आधिकारिक परिसर। सी -36 जलालपुर क्रॉसिंग के पास, राजाजीपुरम, लखनऊ।

14- सत्येंद्र त्यागी, प्रोपराइटर, मेसर्स ग्रीन डेकोर का आवासीय/आधिकारिक परिसर, 572, सेक्टर-29, नोएडा, गौतमबुद्ध नगर।

15- विक्रम अग्रवाल का परिसर, मैसर्स एवीएस इंटरप्राइजेज, शिवपुरी कॉलोनी, बाबा अस्पताल के सामने, छोटी नहरिया, देवा रोड, चिनहट, लखनऊ।

16- विक्रम अग्रवाल का आवासीय व आधिकारिक परिसर, मैसर्स ए.वी.एस. उद्यम, ई 5-6, सीआईडी कॉलोनी, गोल मार्केट, महानगर, लखनऊ।

17- अखिलेश कुमार सिंह का आवासीय/आधिकारिक परिसर, मेसर्स रिशु कंस्ट्रक्शन अनमोल एसोसिएट्स ज्वाइंट वेंचर डी-1215 स्थित पोस्ट ऑफिस से पहले, इंदिरा नगर, लखनऊ।

18- अखिलेश कुमार सिंह का परिसर, मैसर्स रिशु कंस्ट्रक्शन अनमोल एसोसिएट्स के संयुक्त उद्यम मोहल्ला गणेशपुरम, राप्ती नगर, गोरखपुर।

19- अखिलेश कुमार सिंह, मैसर्स रिशु के मालिक निर्माण अनमोल एसोसिएट्स संयुक्त उद्यम 3/522 विशाल खंड, शहर के पास मोंटेसरी स्कूल, गोमती नगर, लखनऊ (यूपी)।

20- नितिन गुप्ता, मैसर्स अन्नपुमा ट्रेडिंग कंपनी, 94, पुरानी विजय नगर कॉलोनी, आगरा।

सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में आरंभिक जांच के बाद तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव, शिवमंगल यादव, चीफ इंजीनियर काजिम अली, असिस्टेंट इंजीनियर सुशील कुमार यादव समेत 190 लोगों के विरुद्ध नया केस दर्ज किया है। इस केस को दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने कई टीमें गठित कर उत्तर प्रदेश के 13 जिलों के साथ राजस्थान के अलवर और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 42 स्थानों पर व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया। सोमवार तड़के शुरू हुआ अभियान जारी है और दिन में इसे बढ़ाया जा सकता है। सीबीआइ अधिकारियों ने बताया कि एफआईआर में तत्कालीन इंजीनियरों सहित उत्तर प्रदेश सरकार के 190 अधिकारियों और अन्य को आरोपित किया कया है। गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआइ ने दूसरी प्राथमिकी दर्ज की है।

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