कैग की रिपोर्ट मे खुलासा नौ जिलों मे नही लगे 13 .64 लाख पौधें लेकिन 6,824 एकड़ मे खनन कराया गया… | Soochana Sansar

कैग की रिपोर्ट मे खुलासा नौ जिलों मे नही लगे 13 .64 लाख पौधें लेकिन 6,824 एकड़ मे खनन कराया गया…

कैग की आडिट रिपोर्ट पर पहली खबर नीचे लिंक मे है पढ़े –

https://soochanasansar.in/mining-irregularities-in-bundelkhand-mm-11-scooters-ambulances-and-even-e-rickshaws-were-issued-in-the-name-of-royalty-cag-decoded-it/

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

” भारत सरकार के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग/सीएजी) की वर्ष 2017-18 से 2021-22 की ऑडिट रिपोर्ट मूल्यांकन मे उजागर हुआ कि यूपी के 15 ज़िलों मे खनन क्षेत्र के बराबर क्षेत्रफल मे पौधरोपण की शर्तों को वनविभाग के प्रभागीय वन अधिकारी ने एनओसी देते वक्त रखा था। लेकिन 177 पट्टे मे 6,824 एकड़ खनन करने के बावजूद पौधरोपण नही किया गया।”

बाँदा/लखनऊ। भारत सरकार के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक / कैग की वर्ष 2017-18 व 2021-22 की अन्वेषण मूल्यांकन रिपोर्ट मे जो खुलासे हुए है वह बेहद चौकानें वाले है। यह खनिज कारोबार मे व्याप्त व्यापक भ्रस्टाचार की नजीर भी है। जहां एक तरफ खनिज निकासी मे ओवरलोडिंग परिवहन के जरिये उत्तरप्रदेश सरकार के राजस्व की चोरी की गई। वहीं ज़िला पंचायत की तहबाजारी मे सिंडिकेट की तर्ज पर काम हुआ। इससे उलट सबसे बड़ा खेल खनिज न्यास फाउंडेशन के तहत उन बातों एवं शर्तो पर हुआ जिसके तहत खनन पट्टेधारक खनन क्षेत्र से मिलने वाली कुल रायल्टी का 5 फीसदी खनन प्रभावित गांव के विकास के लिए खर्च करता है। जिसमें ग्रामपंचायत/ गांव का पर्यावरण/ पौधरोपण, खनन से उखड़ी सड़कों की मरम्मत और विद्यालय मे उन्नयन हेतु आर्थिक सहयोग करना होता है। उल्लेखनीय है हर जिले मे बने खनिज न्यास फाउंडेशन के अध्यक्ष जिलाधिकारी होते है। उन्ही के दिशानिर्देश पर बजट खर्च होते है। ग्रामवासियों को इस फाउंडेशन की बेसिक जानकारी भी प्रशासन व सरकार के द्वारा कभी नही दी जाती है। यूपी के 15 जिलों मे हुए 177 खनन पट्टो के बाद 6,824 एकड़ मे बेतरतीब खनन हुआ। किंतु उसके सापेक्ष खनन क्षेत्र मे 13.66 लाख पौधरोपण नही किया गया। गौरतलब है कि सीएजी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूरी कार्यशैली संदिग्ध है और कहीं भी पौधरोपण का उल्लेख नही है। बतलाते चले कि भारत सरकार के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा खनन के पर्यावर्णीय अध्ययन व उसके सामाजिक- आर्थिक प्रभाव के मद्देनजर यह अन्वेषण ऑडिट किया जाता है। जिससे राज्य सरकार के राजस्व क्षति का भी पता चलता है। कैग ने इसको खनन विभाग की असफलता करार दिया है।

विधानसभा मानसून सत्र मे पेश हुई रिपोर्ट-


उत्तरप्रदेश के मानसून सत्र 2025 मे कैग की यह रिपोर्ट दोनों सदनों मे रखी गई है। इस आडिट रिपोर्ट के अनुसार शासन ने 4 जून 2008 को यूपी के समस्त प्रभागीय वन अधिकारी को निर्देश दिया था कि वनविभाग की भूमि मे खनन होने/ खनन क्षेत्रों मे पट्टेधारक जारी एनओसी की शर्तों के अनुरूप पौधरोपण करेंगे। एनओसी के मुताबिक एक एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल के खनन पट्टेधारक खनन क्षेत्र के बराबर एरिया मे प्रति एकड़ 200 फलदार व छायादार पौधरोपण करेंगे। उन्हें इसकी देखरेख, सिंचाई व बाड़ का खर्च भी उठाना होगा। काबिलेगौर है कि वर्ष 2017-18 और 2021-22 मे यूपी के बाँदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, फतेहपुर, कानपुर देहात, कौशांबी, प्रयागराज, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, शामली, सहारनपुर, सिद्धार्थनगर और सोनभद्र मे 177 खनन पट्टों का आवंटन हुआ था। वनविभाग के डीएफओ ने पट्टेधारक को सशर्त एनओसी दिया था। इसके अनुसार 13,64,800 पौधों का रोपण होना था। लेकिन यह नही किया गया है। इस मामलें मे भूतत्व एवं खनिकर्म आयुक्त माला श्रीवास्तव ने बताया कि खनन पट्टों को अनापत्ति पत्र वनविभाग, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,भूगर्भीय विभाग द्वारा सशर्त दी जाती है। पट्टेधारक को खनिज न्यास फाउंडेशन के तहत कुल रायल्टी का 5 फीसदी प्रभावित क्षेत्रों मे खनन करना होता है। व डीएफओ पौधरोपण की शर्त रखतें है जिसका अनुपालन डीएम को कराना होता है। उन्होंने बताया कि 5 पट्टो की समयावधि 2023 मे खत्म है। वहीं शेष अभी अवधि मे है।

कहां नही लगे पौधें-


कैग की रिपोर्ट को अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि यूपी के नौ जिलों मे पौधरोपण नही हुआ। जिसमें बागपत मे 5 मामलें है। यहां 193 एकड़ मे खनन पट्टा है। जिसके मुताबिक 38,600 पौधे नही लगाए गए है। वहीं बाँदा मे 25 मामलें है जिसमें 947 एकड़ मे खनन क्षेत्र है। यहां 1,89,400 पौधें नही लगें है। वहीं चित्रकूट मे 12 मामलें है। यहां 496 एकड़ मे खनन क्षेत्र है। जिसमें 99,200 पौधें नही लगे है। वहीं बुलंदशहर मे 1 मामला है। यहां 25 एकड़ मे खनन क्षेत्र है। जिसमें 5 हजार पौधें नही लगे है। वहीं फतेहपुर मे 10 मामलें है। यहां 783 एकड मे खनन क्षेत्र है। जिसमें 1,56,600 पौधरोपण नही हुआ है। वहीं हमीरपुर मे 20 मामलें है। यहां 1,209 एकड़ खनन क्षेत्र है। जिसमें 2,41,800 पौधें नही लगें है। वहीं महोबा मे 43 मामलें है। यहां 264 एकड़ मे खनन क्षेत्र है। जिसमें 52,800 पौधे नही लगे है। वहीं कानपुर देहात मे 9 मामलें है। यहां 399 एकड़ खनन क्षेत्र है म जिसमें 79,800 पौधें नही लगें है। वनविभाग खनन पट्टेधारक को पौधरोपण की शर्तों पर एनओसी देने के अतिरिक्त हर साल यूपी के 72 ज़िलों मे जियो टैंगिग के माध्यम से लाखों पौधरोपण करता है। इस वर्ष 2024-2025 मे 35 करोड़ पौधरोपण का दावा है। यूपी सरकार ने एक दिन मे सर्वाधिक पौधरोपण का 5 बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाया है। अलबत्ता धरातल पर कैग या इनके ही विभाग जी अन्वेषण आडिट रिपोर्ट पौधरोपण का भ्रष्टाचार खोलती रहती है। कुछ वर्ष पहले कैग ने ही वनविभाग के द्वारा 40 लाख पौधरोपण न करने का खुलासा किया था। यह रिपोर्ट उच्च न्यायालय की जनहित याचिका पर भी संलग्न की गई है।

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