@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- बाँदा के तिन्दवारी क्षेत्र के ग्राम भिरौड़ा निवासी लालबहादुर सिंह ने मिरगहनी गांव मे मौजूद भूमि को बंधक रखकर 15 लाख रुपया कर्ज लिया था।
- आर्यावर्त बैंक शाखा पल्हरी ने इस किसान को क्रेडिट कार्ड पर ऋण दिया था लेकिन किसान ने धोखाधड़ी की और बंधक भूमि को बिना कर्ज चुकाए तिन्दवारी निवासी अभय प्रताप सिंह को 31 अक्टूबर 2022 मे बेच दिया।
- चित्रकूट मंडल मे वर्ष 2023 की जानकारी मुताबिक 80 अरब रुपया कर्जा है जिसके कर्जमाफी की उम्मीद किसान को सरकार से है।
बाँदा। चित्रकूट मंडल मे किसान क्रेडिट कार्ड से लिये कर्जे का दुरुपयोग तो अब सामान्य घटनाक्रम है। लेकिन सरकारी बैंकों से केसीसी पर कर्जा लेकर बंधक ज़मीन को बिना कर्जा चुकाए बेंच देना भी अब शुरू हो गया है। बुंदेलखंड के बाँदा मे इंडियन बैंक / आर्यावर्त बैंक, एसबीआई पर किसानों का अरबों रुपये ऋण बकाया है। किसान क्रेडिट कार्ड कर्ज लेने का साधन है लेकिन यह मुफलिसी की चपेट और मौसम की आपदा झेलने वाले छोटे, मंझोले किसानों का आसरा भी है। वहीं कुछ लम्बरदार किसानों के लिए सरकारी बैंक का कर्जा हड़पने का जरिया भी है। बाँदा और आसपास के जिलों मे किसानों पर बकाया कर्जा सरकार राजनीतिक कारणों से वसूली नही करती है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय और किसान आयोग / मानवाधिकार आयोग / किसान आंदोलन जैसे मंचो के चलते राज्य व केंद्र सरकार दबाव मे यह मुद्दा नजरअंदाज करती है। खाशकर हरियाणा और पंजाब की मिट्टी मे लगातार सुलगता किसान आंदोलन इसकी बुनियादी वजह है। वहीं भारतीय किसान यूनियन आदि का भय भी काम करता है।
बाँदा के किसान लालबहादुर पर रिपोर्ट दर्ज करके विवेचना के आदेश-
बाँदा सीजेएम कोर्ट ने तिन्दवारी तहसील के ग्राम भिरौडा निवासी लालबहादुर सिंह पर बीएनएस की धारा 175 (3) के तहत वाद दर्ज करके सुनवाई की और तथ्यों पर पुलिस को प्रथम दृष्टया एफआईआर लिखकर जांच का आदेश दिया है। बतलाते चले कि आर्यावर्त शाखा पल्हरी के प्रबंधक आकाश सिंह भदौरिया ने थाना तिन्दवारी को प्रार्थना पत्र देकर उक्त फ्राड करने वाले किसान पर एफआईआर लिखाने का जतन किया। लेकिन बात नही बनी, इस पर शाखा प्रबंधक ने 175 (3) के तहत माननीय न्यायालय मे परिवाद दाखिल किया। बैंक प्रबंधक ने बताया कि किसान ने 15 लाख रुपया कर्जा लिया लेकिन भूमि को बंधक रहते हुए ज़मीन तिन्दवारी के अभय प्रताप सिंह को बेचने का काम किया गया।
बैंक कर्मचारी जब वसूली को कर्जदार किसान के घर गए तो उन्होंने अभद्रता की व कर्ज न देने की बात कही। इस पर बैंक ने 420 करने के चलते यह कदम उठाया है। जानकारी के लिए बतला दे कि ऐसे तमाम किसानों की लंबी सूची है जो एक से अधिक बैंकों से केसीसी पर कर्जा लिए है। बैंक मित्र व मैनेजर की सांठगांठ से नोड्यूज हो जाता है और नए बैंक से कर्ज मिल जाता है। सुविधादाता अपने ही बैंक से ठगी करवाता है और किसान भी सरकारी योजनाओं व क्रेडिट कार्ड को कर्ज लेने का परवाना मान बैठा है। इसका खराब असर छोटे किसानों पर पड़ता है फिर वह कर्ज के बोझ मे आत्महत्या करते है। जबकि बड़े किसानों ने केसीसी के ऋण को दूसरी भौतिक आवश्यक वस्तुओं की खरीद पर खर्च किया है।
बुंदेलखंड मे इन वर्षों के अंतराल मे सूखा पड़ा-
चित्रकूट मंडल के चार ज़िले बाँदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर समेत झांसी मंडल से झांसी, ललित और जालौन के किसान सुखाड़ देखें है। एक जानकारी मुताबिक वर्ष 2023 तक 80 अरब कर्ज बकाया है। जिसमें अकेले बाँदा मे 21 अरब से ज्यादा कर्ज है। कृषि विभाग ने 100 करोड़ की कृषि योजनाओं को किसान की उन्नति हेतु लागू किया है। वहीं बुंदेलखंड मे बीते वर्षों के दौरान मंडल मे गत 50 वर्षों मे करीब 20 वर्षों मे किसानों को सूखा या अतिवृष्टि का सामना करना पड़ा है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक 1972, 1973 में मंडल सूखाग्रस्त रहा। वहीं पांच साल तक कुछ फसल ठीक-ठाक रही लेकिन 1979 मे एक बार फिर मानसून दगा दे गया। वहीं एक साल बाद 1980, 1983 तक लगातार मंडल सूखा का सामना करता रहा। इसी तरह 1986, 87 मे भी मानसून कमजोर रहा। इसके बाद 1990 से 1993 तक और 1997, 1998 मे भी मानसून रूठा रहा। वर्ष 2003, 2005, 2006, 2011, 2016, 2017 और 2020 में भी मंडल के चारों जनपद बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर और महोबा से मानसून रूठा रहा है। अथवा आंशिक औसत से कम वर्षा हुई हैं। अब तक यहां 5 हजार से अधिक किसान कर्जखोरी, गरीबी, दैवीय आपदा मे खुदकुशी किये है।