महोबा मे 174 बीघा वनभूमि पर फर्जी किसानों ने कराया प्रधानमंत्री फसल बीमा… | Soochana Sansar

महोबा मे 174 बीघा वनभूमि पर फर्जी किसानों ने कराया प्रधानमंत्री फसल बीमा…

फसल बीमा के घोटाले पर मंगलवार को लिखी खबर नीचे लिंक मे पढ़ें-

https://soochanasansar.in/in-mahoba-the-crooks-gobbled-up-the-crop-insurance-scheme-got-government-forest-land-rivers-streams-and-even-mountains-insured/

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत महोबा मे बांदा और आसपास के रहवासियों ने जंगल विभाग की बेशकीमती वनभूमि पर कूटरचित दस्तावेज लगाकर फसल बीमा क्लेम किया है।
  • बीमा कंपनी इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस प्राइवेट लिमिटेड के जिला बीमा प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी समेत 26 लोगो पर एफआईआर दर्ज है।
  • करीब 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई है लेकिन मुख्य अभियुक्त निखिल चतुर्वेदी अभी तक फरार है।
  • फर्जी किसानों ने वनविभाग की 174 बीघा जमीन को निजी भूमि दर्शाकर फसल बीमा कराया है।
  • करीब 48 करोड़ के इस घोटाले पर डीएम गजल भारद्वाज के आदेश से तहसील स्तर की जांच आख्या के बाद कार्यवाही सम्भव हो सकी। लेकिन 2023 के घोटालों की जांच अटकी पड़ी है।
  • कौन है जो ज़िला बीमा प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी को संरक्षण दिये है ? क्या किसानों की फसल बीमा भी अब भ्रस्टाचार की मांद मे दम तोड़ देगी।

बांदा/महोबा। बुंदेलखंड के ज़िला महोबा मे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत हैरतअंगेज कारनामों का खुलासा डीएम के द्वारा गठित जांच कमेटी के बाद हुआ है। वहीं किसान नेता ग्राम जुझार निवासी गुलाब सिंह राजपूत का आमरण अनशन इस खुलासे के बड़े कारणों मे से एक है। महोबा मे बाँदा के रहने वाले शातिरों ने महोबा मे फसल बीमा फर्जी किसान बनकर कराया है। क्लेम का दावा भी कर दिया है। स्थानीय किसानों ने जब इसके परतें खोलना शुरू की तो अदभुत भ्रस्टाचार सामने आया है। उत्तरप्रदेश सरकार/केंद्र सरकार की लगभग हर विकास व किसान राहत योजनाओं को बंदरबांट करने वालों ने अन्नदाताओं की फसल बीमा तक को नही बख्शा है। डीएम गजल भारद्वाज के कानों तक आवाज पहुंची तो उन्होंने जांच शुरू करा दी। जिसके बाद भ्रस्टाचार का जिन्न सनसनी बनकर बाहर आ गया। अब तक 6 अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई है। करीब 10 गिरफ्तारी हुई है। किंतु मुख्य अभियुक्त बीमा कंपनी इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस प्राइवेट लिमिटेड का जिला प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी पुलिस के शिकंजे से बाहर है।

चित्रकूट मंडल और झांसी मंडल के 7 ज़िलों वाला यूपी बुंदेलखंड किसानों की दैवीय आपदा के केंद्रबिंदु रहता है। जलवायु परिवर्तन व नदियों मे बड़े बांध से बाढ़ की त्रासदी,सूखे की तपिश, कर्जखोरी मे किसान आत्महत्या यहां सामान्य चलन है। लेकिन सरकारें इन्हें रोकने के लिए किसानों को सिंचाई, बीज उत्पाद हेतु एफपीओ योजना, क्लस्टर मे किसान क्लब, जैवकीय खेती को बढ़ावा के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संचालन कर रही है है। बावजूद इसके प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से सहकारी समिति तक खाद वितरण प्रक्रिया मे व्यापक वित्तीय भ्रस्टाचार हो रहा है। हर ज़िले मे किसानों का खाद को लेकर आंदोलन है। इसके दरम्यान महोबा का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सूरतेहाल भी दुर्दिनता का शिकार है।

जंगल विभाग की 174 बीघा जमीन पर फसल बीमा का फर्जीवाड़ा-

महोबा मे कुलपहाड़ और करहारा डांग व खौनरिया मे जंगल विभाग की जमीन पर फर्जी किसानों ने फसल बीमा कराया है। खेती की नही और फसल बीमा का क्लेम भी किया है। गौरतलब है कि सूचना संसार के हाथ लगे दस्तावेज बतलाते है की कुलपहाड़ बीट रेंज के मलखान सिंह ने बताया कि यहां फर्जी किसानों ने वनभूमि को अपना दिखाकर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लिया है। उन्होंने बताया कि वनभूमि के गाटा संख्या 157,158,160,174 पर देवकरण, अनिल कुमार, कमलेश निवासी जैतपुर पर फर्जी तरीके से अपनी ज़मीन बतलाकर फसल बीमा क्लेम के लिए करने का दावा किया है। अर्थात इन्होंने जंगल भूमि,पहाड़ तक डकार लिए है। वहीं करहारा डांग व खौनरिया मे सगुन पुत्री मोहन ने 1.2539 हेक्टेयर ज़मीन, देवेंद्र पुत्र रामसिंह ने 1.7765 हेक्टेयर ज़मीन, रामकुमारी पत्नी लक्ष्मण ने 4 बार 1.851 हेक्टेयर, निकिता पत्नी सूरज ने 1.2831 हेक्टेयर ज़मीन, प्रदीप पुत्र गोपाल ने 0.251 हेक्टेयर ज़मीन, शिवनाथ पुत्र बारेलाल ने 5.652 हेक्टेयर, मद्रेश पुत्र पन्नालाल ने 5.652 हेक्टेयर, रचना पत्नी धर्मेंद्र ने 5.733 हेक्टेयर ज़मीन, मीनू यादव पुत्र राजेश ने 3.4538 हेक्टेयर, संगीता पत्नी परम ने 1.214 हेक्टेयर, गुरूदयाल पुत्र रामपाल ने 1.214 हेक्टेयर वनभूमि अर्थात 29.7419 हेक्टेयर जंगल ज़मीन पर फर्जी कागजात लगाकर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से लाभ लेने की जालसाजी की है। जिस पर एफआईआर लिखी गई है। महोबा को इस प्रधानमंत्री फसल बीमा के व्यापक घोटालों के लिए साल 2025 मे याद किया जाता रहेगा। लेकिन मुख्य आरोपी निखिल चतुर्वेदी को स्थानीय नेताओं या सरकार किसने संरक्षण दिया है यह काबिलेगौर बात है। गरीब और मेहनतकश किसानों की किस्मत को लूटने वाले यह अपराधी क्षमा योग्य नही है। इन पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।

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