तीन महिलाओं के 3 साल मे दिखाए गए 52 प्रसव और 9 बार नसबंदी, हड़प ली गई जननी सुरक्षा योजना की रकम… | Soochana Sansar

तीन महिलाओं के 3 साल मे दिखाए गए 52 प्रसव और 9 बार नसबंदी, हड़प ली गई जननी सुरक्षा योजना की रकम…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

  • इस भ्रष्टाचार मे संलिप्त एक महिला की उम्र 55 साल है और उसकी 22 साल पहले नसबंदी हो चुकी है, लेकिन इसको लाभार्थी दिखाकर 3 साल मे 18 बार कागजी प्रसव कराया गया और 3 बार नसबंदी दिखा दी गई।
  • इस घोटाले के सरगना समेत शामिल दो संविदा कर्मी आरोपी जेल गए जबकिं डाटा आपरेटर गौतम सिंह फरार है।
  • सीएमओ डाक्टर अरुण श्रीवास्तव की तहरीर पर चार लोगों के ऊपर केस दर्ज हुआ है।
  • उत्तरप्रदेश मे जननी सुरक्षा योजना का सूरतेहाल कैसा है यह भ्रष्टाचार उसकी बानगी भर है,जांच हो तो कई ज़िले जद मे आएंगे।
  • महिलाओं से जुड़ी स्वावलंबन की योजना राष्ट्रीय आजीवका मिशन मे भी बाँदा और उन्नाव ने लाखों रुपया समूह की महिलाओं के मार्फत हड़प लिया है।
  • उन्नाव मे एनआरएलएम से समूह की महिलाओं ने डीडीओ व नोडल डीएमएम के फेर मे 3.85 करोड़ व बाँदा मे 88 लाख हड़प लिए। ( असलियत मे 3 करोड़ है।) मुकदमा हुआ लेकिन रिकवरी नही।


फतेहाबाद/बाँदा/उन्नाव/ यूपी। उत्तरप्रदेश मे जननी सुरक्षा योजना धड़ाम है। उसके रक्षक ही भक्षक है और फर्जी प्रसव व नसबंदी महिलाओं के गिरोह से सांठगांठ करके योजना का बेड़ा गर्क कर रहें है। ताजा मामला उत्तरप्रदेश के फतेहाबाद से सामने आया है। आगरा ज़िले के फतेहाबाद मे दो गांवों की 3 महिलाओं को 52 बार प्रसव और 9 बार नसबंदी दिखाई गई। स्वास्थ्य विभाग की जांच मे 2021-22 और 2022-23 मे फतेहाबाद के नगला कदम निवासी सुनीता व मछला देवी के नाम से 18 बार प्रसव और 3 नसबंदी हुई। वहीं रसूलपुर की राजकुमारी के नाम से 17 बार प्रसव और 3 नसबंदी दिखाई गई। इस खेल मे उक्त दोनों महिलाओं के सहारे 31 हजार, 31 हजार रुपया और 29,800 रुपया खाते मे भेजा गया। जब जांच टीम गांव पहुंची तो होश फाख्ता हो गए। जानकारी मिली कि 55 साल की सुनीता पत्नी दीपचंद की शादी 36 साल पहले हुई थी। इसके 2 बेटे और 1 बेटी है तीनो की शादी हो चुकी है। सबसे छोटा बेटा 22 साल का है। वही इसी गांव की मछला देवी पत्नी रतन सिंह का ब्याह 22 साल पहले हुआ था। इसके तीन बेटे और एक बेटी है, महिला की 15 साल पहले नसबंदी हो चुकी है। पूछताछ पर दोनों महिलाओं ने हाथ खड़े कर दिए और मुख्य आरोपी नगला कदम के अशोक का नाम बताया जिसने इनका खाता खुलवाया था। यह महिला स्वयं सहायता समूह मे काम करती है।

गौरतलब है जननी सुरक्षा योजना का सारा रिकार्ड ब्लाक कार्यक्रम मैनेजर के जिम्मे रहता है। पोर्टल पर इंट्री का काम डाटा इंट्री आपरेटर करता है। इस भ्रष्टाचार के अन्य खाते खंगालने का काम भी होना चाहिए। मुख्य आरोपी अशोक,डाटा इंट्री आपरेटर गौतम सिंह,ब्लाक लेखा प्रबन्धक नीरज अवस्थी,ब्लाक कार्यक्रम प्रबन्धक गौरव थापा नामजद है। जिसमें अशोक फरार है बाकी जेल चले गए है।

समूह से जुड़ी महिलाओं के सहारे ही महिला उत्थान की योजनाओं पर गबन होता है-


जननी सुरक्षा योजना हो या राष्ट्रीय आजीवका मिशन अथवा नाबार्ड के तहत चलने वाले स्वयं सहायता समूह। इसमे जुड़ी महिलाओं को ही विभागीय / संविदा कर्मी सांठगांठ करके भ्रष्टाचार मे शामिल करते है। फिर सरकारी रकम हड़प ली जाती है। आगरा के फतेहाबाद क्षेत्र का जननी सुरक्षा योजना घोटाला हो अथवा बाँदा मे एनआरएलएम योजना भ्रष्टाचार। समूह द्वारा संचालित योजनाओं मे हर जगह भांग पड़ी है। यूपी के बाँदा मे करीब 3 करोड़ का भ्रष्टाचार संकुल संघ की महिलाओं को आगे करके तत्कालीन बीएमएम बड़ोखर खुर्द आकांक्षा कुशवाहा ने किया। इसमे शामिल रहे ज़िले के एनआरएलएम डीएमएम जिन्होंने लीपापोती कर दी और धनराशि रिकवरी नही हो सकी। अलबत्ता प्रकरण मे चार्जशीट भी नही आ पा रही है।

बतलाते चले कि शहर बाँदा के नगर कोतवाली मे मुकदमा अपराध संख्या 0700/2024 मुताबिक 88 लाख रुपया राष्ट्रीय आजीवका मिशन मे गबन उल्लखित है। इसमे संलिप्त समूह की क्रमशः कमलेश, ऊषा, नसीमा, मुस्ताक, सुनीता, आकांक्षा कुशवाहा आदि ने सीडीओ के निर्देश पर दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट मुताबिक 88 लाख रुपया का भ्रष्टाचार किया है। जिसमे तत्कालीन ब्लाक मिशन प्रबंधक बड़ोखर खुर्द निवासी ग्राम खमौरा विकासखंड महुआ,बाँदा की अहम भूमिका है। वहीं इसमे ज़िला स्तर पर शामिल नोडल अफसरों व डीएमएम एफआईआर कर्ता धर्मेंद्र जायसवाल, शालनी जैन, राकेश सोनकर की भूमिका भी संदिग्ध है। इन्ही तीनो ने राष्ट्रीय आजीवका मिशन समूह घोटाले की जांच की है। जबकिं शासनादेश एवं योजना गाइडलाइंस के विपरीत निर्णय लेकर मुख्य विकास अधिकारी बाँदा वेद प्रकाश मौर्या व तत्कालीन डीसी उपायुक्त एनआरएलएम ने उक्त तीन डीएमएम ( ज़िला मिशन प्रबन्धक) को यह जांच सौंप दी थी।

बड़ी बात है कि नोडल अफसर धर्मेंद्र जायसवाल ने जांच उपरांत नगर कोतवाली बाँदा मे दर्ज कराई एफआईआर मे किसी महिला को अभियुक्त नही बनाया है जबकि तहरीर मे घोटाले के क्रम पर हड़पी गई सरकारी धनराशि 88 लाख रुपया का संदर्भ देते हुए महिलाओं के नाम, हड़पी रकम का ज़िक्र किया है। दिनांक 30 अगस्त 2024 को नगर कोतवाली मे दर्ज इस मुकदमे पर आजतक न तो चार्जशीट दाखिल हो सकी और न सीडीओ आदेश अनुसार डीएमएम 88 लाख रुपया की रिकवरी करा सके है।

विडंबना है कि जन सूचना अधिकारी डीसी उपायुक्त एनआरएलएम बाँदा व प्रथम अपीलीय अधिकारी सीडीओ वेद प्रकाश मौर्या ने लगभग 2 माह होने को है इस मामले से जुड़ी तीन आरटीआई का कोई जवाब नही दिया है। उधर भ्रष्टाचार मे लिप्त तीन डीएमएम क्रमशः धर्मेंद्र जायसवाल, शालनी जैन, राकेश सोनकर व तत्कालीन बीएमएम बड़ोखर खुर्द आकांक्षा कुशवाहा ( पोल खुलने पर नौकरी छोड़कर चली गई। अब खुद का व्यापार गांव मे रहकर करती है।) तमाम चल-अचल संपत्ति जुटाकर मौज काट रहें है। जबकि यह डीएमएम संविदा कर्मी भी नही है। इनकी नियुक्ति आउट सोर्सिंग भर्ती है। वहीं इस योजना के भ्रष्टाचार का दूसरा उदाहरण उत्तरप्रदेश के उन्नाव मे इस राष्ट्रीय आजीवका मिशन योजना से ही डीडीओ ( ज़िला विकास अधिकारी ) संजय पांडेय व नोडल ज़िला मिशन प्रबंधक शिखा मिश्रा ने 3.85 करोड़ रुपया हड़प लिया है।

वहीं सीडीओ उन्नाव श्री प्रेमप्रकाश मीणा ने भ्रष्टाचार की गोपनीय रिपोर्ट शासन को प्रेषित करके इन दोनों अधिकारी पर कार्यवाही को लिखा है। रिपोर्ट की मानें तो 23 जुलाई वर्ष 2023 को तत्कालीन सीडीओ के बिना अनुमोदन किये ही उक्त डीडीओ संजय पांडेय व एनआरएलएम डीएमएम शिखा मिश्रा ने संकुल संघ के पदाधिकारियों की सांठगांठ से हस्ताक्षर बनवा कर वित्तीय लेनदेन किया। बीएमएम के समूह मीटिंग प्रस्ताव मे हस्ताक्षर नही और बैंक से 3 करोड़ 85 लाख रुपया निकाल लिया गया है। हैरतअंगेज यह है कि गबन को सही ठहराने की कवायद मे चित्रकूट, कानपुर देहात और उन्नाव से फर्जी बिलिंग वेंडरों की लगाई गई है। जैसा बाँदा मे इस योजना से जुड़े डीएमएम कर रहें है। यह जैम पोर्टल पर फर्जी कम्पनी को ऑफिशियल स्टेशनरी, कम्प्यूटर सामग्रियों की खरीद का मनमानी भुगतान कराते है। सबका कमीशन सेटिंग्स है। जिसमे सहायक लेखाकार से लेकर अकाउंट मैनेजर तक शामिल है। कुल मिलाकर उत्तरप्रदेश सरकार की महिलाओं के विकास, स्वास्थ्य, स्वावलंबन की योजनाओं पर यह आउट सोर्सिंग बीएमएम,डीएमएम व नोडल अधिकारी सिंडिकेट बनाकर प्रशासन के अधिकारियों को टूलकिट की तर्ज पर इस्तेमाल करके सरकारी धनराशि डकार रहें है। उधर माननीय मुख्यमंत्री जी विज्ञापन व प्रचार मे सर्वत्र रामराज्य दिखाते है। कमोबेश वह जननी सुरक्षा योजना हो या एनआरएलएम योजना। ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता मे भ्रष्टाचार का दीमक लग चुका है। देखना यह होगा यह गबन करने वाले सरकार के शिकंजे से कब तक बचते है। पाप किसी न दिन कर्मफल देगा ही। खबर बाँदा घोटाले पर जारी रहेगी…।

Like us share us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *