राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी खींचतान जारी है। इसी बीच, टेलीफोन टैपिंग मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बृहस्पतिवार को सुबह 11 बजे पूछताछ के लिए सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी को दिल्ली बुलाया है। हालांकि जोशी दिल्ली जाने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने दिल्ली क्राइम ब्रांच रोहिणी के प्रशांत विहार कार्यालय में उन्हें बुलाया गया, इंस्पेक्टर सतीश ने नोटिस जारी किया है।
जानें, क्या है मामला
उल्लेखनीय है कि पिछले साल सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय राज्य सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे थे। सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा ने एक ऑडियो मीडियाकर्मियों को भेजा था, जिसमें कथित रूप से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत व पायलट खेमे के विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच गहलोत सरकार गिराने व विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर बातचीत होना बताया गया था। जोशी ने इसी के आधार पर स्पेशन ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में मामला दर्ज करवाया था। इसमें शेखावत के नाम का उल्लेख किया गया था।
गजेंद्र सिंह शेखावत ने दर्ज करवाई थी रिपोर्ट
इस मामले में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने इसी साल 25 मार्च को दिल्ली पुलिस में परिवाद दिया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआइआर दर्ज की थी। शेखावत ने टेलीफोन टैपिंग मामले में खुद सहित अन्य जनप्रतिनिधियों की छवि खराब करने का आरोप लगाया था। इसमें लोकेश शर्मा सहित अज्ञात पुलिस अफसरों को आरोपी बनाया गया। पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए जोशी को भी इसमें शामिल कर लिया। जोशी गहलोत के विश्वस्त माने जाते हैं।
जोशी ने क्राइम ब्रांच को संदेश पहुंचाया है कि वह फिलहाल जयपुर से बाहर हैं। जयपुर आकर ही दिल्ली आने के बारे में बता सकेंगे। उधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास पर महेश जोशी को मिले नोटिस को लेकर रणनीति बनाई गई। वरिष्ठ वकीलों से चर्चा की गई। सूत्रों के अनुसार, सीएम ने दिल्ली के भी कुछ वकीलों से फोन पर बात की है।फोन टैपिंग मामले में दिल्ली पुलिस के समन भेजने पर कांग्रेस नेता महेश जोशी ने कहा कि राजस्थान में चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य किरादार के रूप में सामने आए। इसके लिए पीएम को उनसे इस्तीफा मांगना चाहिए या बर्खास्त कर देना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैं गजेंद्र सिंह शेखावत को फिर चुनौती देता हूं कि अगर उनमें नैतिक साहस है तो वो एसीपी के पास आकर अपनी आवाज़ का सैंपल दें, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र एस शेखावत खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पीएम और गृहमंत्री ने उसे बचाने की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस को दे दी इसलिए नोटिस जारी किए जा रहे हैं। जबकि शेखावत की जांच होनी चाहिए थी लेकिन उनकी जांच करने के बजाय गलत तरीके से एफआइआर दर्ज कराई गई।