@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
“नाटकीय ढंग से दुष्कर्म के आरोपी सबसे मोटी आसामी भारत गुटखा व्यापारी और भारत इम्पीरियल लक्जरी होटल के मालिक स्वतंत्र साहू उर्फ मैयन सेठ ने अपनी छद्म लोकप्रियता के मद्देनजर जिस तर्ज पर न्यायालय मे आत्मसमर्पण किया है वह खाकी के इकबाल पर प्रश्नचिन्ह है। वहीं एक अन्य रसूखदार, राजनैतिक पहुंच वाले जलनिगम के ठेकेदार / बिल्डिंग मैटेरियल सप्लायर / मैरिज हाउस संचालक / पेट्रोल पंप के मालिक लोकेंद्र सिंह चन्देल की मध्यप्रदेश के कटनी मे होटल से गिरफ्तारी होना पुलिस की बचत भी करता है। बावजूद इसके अभी तक आशीष अग्रवाल फरार है या शहर मे और वो भी सरेंडर करेंगे यह खबर के गुपचुप गलियारों मे चर्चा का विषय है। लेकिन कल दो आरोपियों का रसूख पुलिस से न्यायालय पेशी तक साफतौर पर देखने को मिला है।”
- बाँदा शहर के अगल-अलग मुहल्ले की तीन लड़कियों ने गत 22 मार्च को नगर कोतवाली मे मुकदमा अपराध संख्या 0275/25 दर्ज कराया था।
- शहर के तीन लम्बरदार कारोबारी आदमियों पर लड़कियों ने 6 माह तक दुष्कर्म, नशाखोरी कराकर बलात्कार करने, शराब के नशे मे नग्न डांस कराने और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था।
- बाँदा सीओ सिटी व पुलिस अधीक्षक ने साक्ष्य स्वरूप पेनड्राइव के अंदर उपलब्ध वीडियो फुटेज को प्रथम दृष्टया कारित अपराध का साक्ष्य आधार मानकर रिपोर्ट लिखने का आदेश दिया था।
- लड़कियों का दलाल / ब्रोकर नवीन विश्वकर्मा पहले ही जेल जा चुका है। वहीं बीते 2 अप्रैल लोकेंद्र सिंह चन्देल को कटनी से गिरफ्तार करके अदालत पेश किया जहां से वह जेल चले गए।
- भारत गुटखा व तम्बाकू, सुपाड़ी तस्करी, भारत इम्पीरियल होटल मालिक स्वतंत्र साहू ने नाटकीय अंदाज पर ‘स्वतंत्र‘ रहकर कोर्ट परिसर मे सरेंडर किया है।
बाँदा। शहर मे लगातार 11 दिन से तीन लड़कियों के साथ शहर के ही तीन रसूखदार, धनाढ्य और राजनैतिक पकड़ वाले कारोबारी आदमियों के द्वारा दुष्कर्म कांड की बेतरतीब चर्चा गर्म है। वहीं स्थानीय मीडिया भी तयशुदा टारगेट की तर्ज पर पुलिस अधिकारियों के ऊपर मानसिक दबाव बनाने को सुपारी-टेंडर पत्रकारिता की तरह खबरों को बाज सी पैनी नजर पर तड़का डालकर लिख रही है। वहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( राजाभैया यादव / चिंगारी दुष्कर्म कांड और फरार अभियुक्तों सुनियोजित मौन ) पूरी शिद्दत से पल-पल की अपडेट्स पर हाजिर है।
शीलू कांड के बाद शहर का एक और चर्चित व्यभिचार मुद्दा-
बुंदेलखंड के बाँदा मे बसपा सरकार के वक्त नरैनी तहसील से शहबाजपुर गांव की शीलू निषाद बनाम बसपा नेता पुरषोत्तम नरेश द्विवेदी दुष्कर्म कांड के खबरिया दौर के बाद यह दूसरा केस है जो पिछले 11 दिन से मीडिया की रहस्यमय गलियों मे घूम रहा है। जबकि बीते 17 दिसंबर को ही बाँदा के अतर्रा से संजय नगर निवासी विद्याधाम समिति / चिंगारी गैंग लीडर राजाभैया यादव व उनके चार साथियों द्वारा दलित महिला के साथ अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और पीड़िता को रेलवे ट्रैक पर लहूलुहान करके फेंके जाने की संगीन वारदात पर यही मीडिया मंथरा और कैकई की भांति कोप भवन मे विराजित रही है, आज भी है। उसमे भी चार अभियुक्त 2 फरवरी से फरारी पर है। जबकि मुख्य अभियुक्त राजाभैया 21 फरवरी से जेल मे है लेकिन दो पत्रकारों को छोड़कर वीडियो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के रॉबिनहुड नही चला सके।
वहीं इस पतनशील प्रिंट मीडिया ने बड़े दबाव मे राजाभैया की गिरफ्तारी को लिखा था। उधर चिंगारी गैंग लीडर की गिरफ्तारी पर अफसरों ने कोई बयान नही दिए और न पत्रकारिता ने सवाल किए है। भला करते भी कैसे जब राजाभैया के तिलिस्मी भुजियारी पुरवा और गर्गनपुरवा फॉर्म हाउस मे पत्रकारों का रामराज्य भर्ता-टिक्कड़-शराब-मछली की डर्टी पार्टी करता रहा हो ? अलबत्ता शहर के तीन कारोबारी दुष्कर्म कांडियों पर बाँदा की पत्रकारिता का रौद्र रूप देखकर पुलिस महकमे मे भी हलचल व प्रेशर है।
नवीन के बाद लोकेंद्र की गिरफ्तारी लेकिन स्वतंत्र का आत्मसमर्पण-
शहर के बहुचर्चित दुष्कर्म कांड मे नामी गिरामी व्यापारी स्वतंत्र साहू उर्फ मैयन सेठ का 2 अप्रैल को निजी लक्जरी कार से न्यायालय परिसर मे आना। फिर विद्वान बुजुर्ग अधिवक्ता के साथ माननीय विशेष न्यायालय एससी.एसटी कोर्ट मे आत्मसमर्पण करना एक पूर्व लिखित स्क्रिप्ट की तरफ इशारा करता है। यह तब हुआ है जब 2 अप्रैल को ही सीओ सिटी श्री राजीव प्रताप सिंह अपनी टीम के साथ आरोपी लोकेंद्र सिंह चन्देल को कटनी के होटल से सुबह 3 बजे गिरफ्तार करने का दावा करते हुए कोर्ट लंच के बाद पुलिस अभिरक्षा मे न्यायालय के अंदर ले जाते है। लोकेंद्र की जज साहब के सामने पेशी होती है और फिर जेल भेज दिया जाता है। वैसे ज़िला कारागार तो स्वतंत्र भी गए पर उनका जैसे सरेंडर हुआ वह व्यवस्था और रुतबेदारों कि हनक पर बड़े सवाल खड़े करता है। वहीं कुछ पत्रकार बन्धु आरोपी लोकेंद्र सिंह चन्देल को ‘भैया जी’ से नवाजते हुए पूछ रहे थे…भैया आपको कुछ कहना है इस मामले मे !!! भैयाजी आप कुछ कहेंगे ? जबकिं स्वतंत्र आत्मसमर्पण के दरम्यान रुदाली अल्फाजों से कहते है ‘वह निर्दोष है, उन्हें साजिशन फंसाया गया है’।
विडंबना है कि इस मामले मे एक अंतिम नामजद आरोपी व हीरो होंडा एजेंसी संचालक आशीष अग्रवाल अभी फरार है। किंतु उनके खिलाफ भी एनबीडब्ल्यू जारी है। वैसे 1 अप्रैल को सीओ सिटी का कोर्ट मे अर्जी देकर वारंट लेना फिर 2 को गिरफ्तारी और सरेंडर अत्यधिक दबाव के चलते मुनासिब हुआ है। विद्वान सरकारी अधिवक्ता विशेष न्यायालय एससी.एसटी श्री विमल सिंह ने बताया कि 2 अप्रैल को सीओ सिटी ने कोई रिमांड की अर्जी नही दी थी। दोनों मुल्जिम धारा 69 रेप,143 (3) मानव तस्करी व दलित एक्ट मे सीधा जेल भेजें गए है।
स्वतंत्र- लोकेंद्र सिंह चन्देल की हस्ती-
दिनांक 2 अप्रैल को यह दो रुतबेदार मुंह ढंककर न्यायालय आये थे। फेसबुक व इंस्टाग्राम पर खुद की भौकाली तस्वीर डालने वाले आज चेहरा छिपाए थे!!! गौरतलब है कि यौन शोषण के अभियुक्त लोकेंद्र सिंह चन्देल शुरुआत मे अधिक धनपति नही थे। वक्त बदला तो जलनिगम की ठेकेदारी मिली। राष्ट्रवादी सत्ता ने ज़िले के दो माननीयों के साथ संबंध प्रगाढ़ किये। कारोबार सम्रद्ध हुआ तो गुरेह/पल्हरी के पास बाँदा-बिसंडा मार्ग पर 12 बीघा जमीन ली गई। आज यह 20 करोड़ से ऊपर है। एक मैरिज हाल बना, मेसर्स नीलम लोकेंद्र फिलिंग स्टेशन अस्तित्व मे आया। ठेकेदार साहब ईंट-गिट्टी-सरिया-सीमेंट के सप्लायर भी हुए और विभागीय ठेकेदारी साथ चल रही थी। अन्य चल अचल संपत्तियों की पड़ताल जांच टीम का हिस्सा है। लोकेंद्र का रसूख सोशल मीडिया पर उपलब्ध है।
वहीं स्वतंत्र साहू मूल रूप से भारत गुटखा व्यापारी है। भारत इम्पीरियल होटल है। तम्बाकू और सुपाड़ी तस्करी व व्यापार से करोड़ों रुपया दो दशक मे अर्जित हुआ है। आयकर टीम एक बार मेहरबानी की थी पर मामला मैनेज हुआ। जैसे दुष्कर्म कांड भी हो रहा था, भविष्य मे होगा इसकी पुष्टि सूचना संसार नही करता है। वैसे तीनों लड़कियों का 164 का बयान व मेडिकल इंकार होना मामले को थोड़ा लचर करता है। किंतु अभी आईओ की सभी बिंदुओं पर गहनता से जांच चल रही है। आशीष अग्रवाल गिरफ्तार होंगे या सरेंडर यह भी जल्दी सामने आएगा। उधर गैंगस्टर कोर्ट के विद्वान शासकीय अधिवक्ता श्री सौरभ सिंह कहते है संगठित अपराध की परिधि मे इनका कृत्य भी आता