
@आशीष सागर ,बाँदा।
- एक ही नाम पर 6 अर्पित एक्सरे टेक्सनीशियन बने।
- जांच की आंच मे स्वास्थ्य महानिदेशालय तक लपेटे मे।
- मानव संपदा पोर्टल पर एक ही नाम से 6 एक्सरे टेक्सनीशियन काम कर रहे।
- प्रति एक्सरे टेक्नीशियन 50 हजार रुपया वेतन।
- साल 2016 मे भर्ती हुई थी, इस नियुक्ति पर 2017 मे फर्जीवाड़ा सामने आया था।
- हर अर्पित असली होने का दावा करता, जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री ने तलब की है।
- उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विभागीय कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है।
- स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य महानिदेशक डाक्टर रतनलाल सुमन को जांच की ज़िम्मेदारी दी है।
- बाँदा के नरैनी सीएचसी मे 2017 को फर्जी नाम से एक्सरे टेक्नीशियन अर्पित का मामला सामने आया था।
- बाँदा के नरैनी सीएचसी अधीक्षक डाक्टर अजय विश्वकर्मा के मुताबिक अर्पित सिंह पुत्र अनिल सिंह की नियुक्ति 28 जुलाई 2016 मे हुई थी।
- नरैनी सीएचसी मे एक्सरे टेक्नीशियन रहे अर्पित सिंह ने 17 माह काम किया और दिसंबर 2017 से गायब है।
- साल 2017 मे तत्कालीन सीएमओ के निर्देश पर इस फर्जी अर्पित के खिलाफ नरैनी कोतवाली मे एफआईआर लिखी गई। सीएमओ ने वेतन रोक दिया।
- बाँदा सीएमओ डाक्टर विजेंद्र सिंह सीएचसी अधीक्षक से इस मामले की रिपोर्ट तलब की है।
- बाँदा, हाथरस,फरुखाबाद मे एक ही नाम और वल्दीयत के 6 अर्पित नौकरी कर रहे थे।
- हाथरस के मुरसान सीएचसी मे कार्यरत अर्पित सिंह पुत्र अनिल सिंह निवासी शाहगंज, प्रताप नगर,आगरा के घर फरुखाबाद से जांच टीम पहुंची। इसके नियुक्ति पत्र की क्लोनिंग की गई थी।
- नियुक्ति पत्र स्वास्थ्य आयोग व महानिदेशालय से जारी होता है। असली खेल यहीं हुआ है।नियुक्ति के दरम्यान कागज सत्यापन मे भी हेराफेरी की गई। नियुक्ति के बाद योगदान आख्या सीएमओ के द्वारा स्वास्थ्य महानिदेशालय तक जाती है।
- इस बड़े भ्रस्टाचार की परतें खुलना बाकी है लेकिन यह लचर सिस्टम और मरे सरकारी तंत्र की झांकी है।
बाँदा। उत्तरप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को सख्त इलाज की आवश्यकता है। अभी इसी सप्ताह सूबे के स्वास्थ्य मंत्री व डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने राजकीय दुर्गावती मेडिकल कालेज बाँदा आकर स्वास्थ्य महकमें की समीक्षा करी थी। उन्होंने कोलैप्स हो चुके बाँदा मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल को सेहतमंद बनाने की हिदायत दी थी। बावजूद इसके इस स्वास्थ्य विभाग की तबियत लगातार भ्रस्टाचार से खराब रहती है। एक ताजा मामला बाँदा के नरैनी सीएचसी सहित अन्य जिलों से जुड़ा है। साल 2016 मे यूपी सरकार ने एक्सरे टेक्नीशियन की भर्तियां की थी।

गौरतलब है एक ही अर्पित सिंह पुत्र अनिल सिंह नाम से 6 व्यक्ति नौकरी मे चयनित किये गए। जिसमें बाँदा के नरैनी सीएचसी मे 28 जुलाई 2016 को एक अर्पित सिंह एक्सरे टेक्नीशियन पद पर भर्ती हुआ था। इनके साथ 5 और अर्पित सिंह नियुक्ति पाए थे। मजेदार है कि महज 17 माह बाद नरैनी सीएचसी का अर्पित सिंह नदारद हो गया। तत्कालीन सीएमओ ने फर्जी अर्पित सिंह का वेतन रोक दिया। वहीं नरैनी कोतवाली मे मुकदमा लिखवाया था। इस मामले के खुलने के बाद फरुखाबाद मे अलग-अलग सीएचसी पर एक ही नाम और वल्दीयत के अर्पित सिंह नौकरी करते पाए गए थे। हाल ही मे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी जांच आख्या तलब की है। वहीं एक्सरे टेक्नीशियन भर्ती प्रक्रिया 2016 को दायरे मे लिया है। स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक इस मामले पर सख्त दिख रहें है। देखना होगा कि एक ही नाम के अर्पित सिंह पुत्र अनिल सिंह मे कौन सही निकलता है।