नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वामपंथी राजनीति की नर्सरी समझे जाने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में वर्चुअली मौजूद होंगे।
वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेएनयू कैंपस में स्वामी विवेकानंद की आदमकद मूर्ति का अनावरण करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी कई मंचों से स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं और उपदेश बताते रहे हैं मगर जेएनयू के किसी कार्यक्रम में यह उनकी पहली सहभागिता होगी।
जेएनयू के कई छात्र व छात्रनेता खुलकर मोदी के विरोध में सामने आते रहे हैं। पिछले कुछ सालों में जेएनयू कई बार विवादों के घेरे में रहा है।
ऐसे में पीएम मोदी का वहां पर कार्यक्रम यूं ही नहीं है। इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है।
जेएनयू में विवेकानंद की मूर्ति को लेकर हो चुका है विवाद
तीन साल पहले इस मूर्ति का निर्माण शुरू हुआ था। 2018 में काम पूरा हो गया था और तब से मूर्ति ढकी रखी है।
जेएनयू छात्रों ने लगातार मूर्ति के निर्माण को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन पर हमले किए हैं। मूर्ति के लिए पैसा कहां से आया, इसको लेकर छात्रों ने कई बार सवाल उठाए।
प्रशासन ने बार-बार कहा कि फंड्स पूर्व छात्रों से मिले, जेएनयू ने अपनी तरफ से कुछ नहीं लगाया। पिछले साल बवाल के दौरान, छात्रों ने यहां तक पूछा था कि क्या लाइब्रेरी के लिए आया फंड मूर्ति में लगा दिया गया।
मूर्ति के साथ पिछले साल हुई थी छेड़छाड़
जेएनयू की छात्र राजनीति ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं। फिर चाहे वह कथित रूप से राष्ट्रविरोधी नारे लगाने का मामला हो या फिर फीस बढ़ाने को लेकर हुई हिंसा।
लेफ्ट यूनिटी और बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के लोग कई मौकों पर गुत्थमगुत्था होते रहे हैं।
स्वामी विवेकानंद की मूर्ति पर भी विवाद हो चुका है। पिछले साल नंबवर में कपड़े से ढकी विवेकानंद की मूर्ति के आसपास और कैंपस में कुछ जगह नारे लिखे मिले थे।
मूर्ति के नीचे कुछ अपशब्द भी लिखे हुए थे। जेएनयू के स्टूडेंट्स ने कहा था कि, अपशब्द बीजेपी के लिए लिखा गया था, जो गलत हरकत है।
वहीं जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन का कहना था कि यह काम एबीवीपी के स्टूडेंट्स ने ही किया था ताकि फीस आंदोलन से ध्यान हट जाए।