आर्थिक तंगी से हलकान वैधव्य झेल रही महिला के सामने बच्चों को पालने का संकट... | Soochana Sansar

आर्थिक तंगी से हलकान वैधव्य झेल रही महिला के सामने बच्चों को पालने का संकट…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

  • जिलाधिकारी श्रीमती जे.रीभा की चौखट पर परिजनों सहित दी दस्तक।
  • मामला बबेरू क्षेत्र के भदेहदू ग्राम से जुड़ा है। स्थानीय जनसेवक पीसी पटेल ने गरीब परिवार की आवाज उठाई।


बाँदा। सरकारी योजनाओं के अखबारी उजाले को चीरती एक खबर बीते मंगलवार सामने आ गई। जिलाधिकारी बाँदा श्रीमती जे.रीभा की देहरी पर गरीब परिवार प्रार्थना पत्र लेकर पहुंचा है। परिजनों के साथ आये बबेरू क्षेत्र के युवा पीसी पटेल ने दी जानकारी मे बताया कि ग्राम भदेहदू निवासी पीड़िता सुमन पत्नी स्व: प्रमोद अति गरीब है। पति की मृत्यु के बाद वैधव्य जींवन बसर कर रही महिला के 3 बेटियां और 1 पुत्र है। आर्थिक संसाधन से वंचित इस परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिल रहा है। पीड़िता सुमन परिजनों सहित ग्राम भदेदू थाना बबेरू से चलकर मंगलवार को जिला मुख्यालय बांदा मे जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देने आई थी। गरीब महिला सुमन के मुताबिक उसके पति प्रमोद पुत्र राम भगवान ने आर्थिक तंगी के चलते गत 4 फरवरी 2025 दिन के लगभग 11 बजे घर के बाहर रामकिशोर पटेल खेत मे खड़े बबूल के पेड़ में अपने गमछे को बांधकर फांसी लगा लिया था।  जिससे पति की अकाल मौत हो गई है। वहीं पीड़िता के तीन लड़कियां व एक लड़का है, जिनका भरण पोषण पहले भी नहीं हो पा रहा था। पति की मृत्यु ने अब घर के परिस्थितियों पर और अधिक संकट खड़ा कर दिया है। महिला सुमन ने बताया कि मुखिया की मृत्यु हो जाने से जींवन बेहद कष्टप्रद है। उन्होंने कहा कि घर के भरण पोषण के लिए मेरा पति गांव से पलायन करके बाहर परदेस मे गुजरात के सूरत शहर मे दिहाड़ी मजदूरी करता था। किंतु अब कोई सहारा नही है।

बच्चों का ठीक से भरण पोषण भी नही हो पा रहा है।  दिया। महिला सुमन की मानें तो उनके खेती भी नहीं है जिससे गुजारा चलता। उन्होंने परिवार, बच्चों के भरण-पोषण को लेकर सरकार से मदद की गुहार की है। साथ ही जिलाधिकारी बाँदा से मांग है कि हमारी आर्थिक मदद सहायता करें जिससे हम लोगों के खाने पीने के लिए साधन जुट सके। गौरतलब है ग्रामवासियों की इन खबरों से 21 वीं सदी के डिजीटल इंडिया भारत और वैश्विक हंगर इंडेक्स की असलियत उजागर हो जाती है। लेकिन मुख्यधारा की पत्रकारिता व टीवी न्यूज रूम से अब गायब होती खबरे कभी एक दशक पूर्व तक गाहेबगाहे प्रकट हो जाती थी।

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