कम नहीं हो रहे पेट्रोल-डीजल के दाम, कहां फंसा है पेंच | Petrol Diesel Price Increse

गुरुवार को पेट्रोल 26 पैसे व डीजल 27 पैसे प्रति लीटर महंगा हुआ है। जून के 24 दिनों में पेट्रोल 3.47 रुपये और डीजल 2.92 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुके है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में वृद्धि होने का सिलसिला देखते हुए आगे भी आम जनता को इन दोनों उत्पादों की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं है। राहत इसलिए भी नहीं मिलेगी कि इन दोनों उत्पादों पर शुल्कों की दर घटाने को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों के बीच कोई सहमति नहीं बन पा रही है। शुल्क दर घटाने को लेकर भाजपा शासित राज्य भी केंद्र के सुझाव को मानने को तैयार नहीं है। राज्यों की मांग है कि पहले केंद्र की तरफ से उत्पाद शुल्क में कटौती की जाए तब वे भी अपनी शुल्कों की दरों को घटाएंगे। केंद्र को डर है कि अगर उसने अपने स्तर पर एक बार शुल्क घटा दिया तो राज्य फिर अपने वादे से मुकर जाएंगे।

Why are petrol, diesel prices rising, despite low crude oil prices? - The  Week

जानें- पेट्रोल-डीजल पर केंद्र और राज्य कितना टैक्स वसूल रही

अगर दिल्ली की बात करें तो यहां गुरुवार (24 जून, 2021) को पेट्रोल की खुदरा कीमत 96.66 रुपये प्रति लीटर रही है जिसमें केंद्र सरकार को 32.90 रुपये बतौर राजस्व और राज्य सरकार को 22.31 रुपये जाएगा। इसी तरह से डीजल की खुदरा कीमत 87.41 रुपये है जिसमें केंद्र को 31.80 रुपये का राजस्व व राज्य सरकार 12.74 रुपये का राजस्व वसूल रही है। सभी राज्यों की यही स्थिति है। राजस्व में पेट्रोल पर वैट की दर 35 फीसद व डीजल पर 26 फीसद है, उत्तर प्रदेश में इन दोनों पर क्रमशः 26.80 फीसद व 17.48 फीसद, मध्य प्रदेश में 33 फीसद व 23 फीसद, केरल में 33.08 फीसद व 22.76 फीसद है। सनद रहे कि जून के महीने में ही सरकारी तेल कंपनियां 13 बार पेट्रोल और डीजल महंगा कर चुकी हैं।

'Why Petrol is rising', Zee explains the sudden surge in fuel prices |  Economy News | Zee News

जनता को कैसे मिलेगी राहत?

जनता को राहत तभी मिलेगी जब केंद्र और राज्यों की तरफ से लगाये जाने वाले टैक्स की दरों में कमी हो। उक्त सूत्रों के मुताबिक शुल्क घटाने को लेकर केंद्र व राज्यों के बीच भरोसा कायम नहीं हो पा रहा है। केंद्र की तरफ से इस मुद्दे को अलग अलग स्तर पर राज्यों से उठाया जा रहा है लेकिन राज्य यह कह रहे हैं कि पहले केंद्र सरकार की तरफ से पहल हो। जबकि केंद्र का यह मानना है कि अगर उसने शुल्क घटा दी तो राज्य फिर वैट की दरों को नहीं घटाएंगे।

जानें- पेट्रोल-डीजल से केंद्र और राज्यों को कितना मिला राजस्व

राज्यों की तरफ से कोरोना की वजह से राजस्व संग्रह के दूसरे संसाधनों के सूख जाने का भी हवाला दिया जा रहा है। पेट्रोल और डीजल पर राज्यों को पिछले वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में मूल्य वर्द्धित कर से कुल 1,35,693 करोड़ रुपये की राशि मिली थी। जबकि केंद्र सरकार को उत्पाद शुल्क व दूसरे शुल्कों की वजह से अप्रैल से दिसंबर, 2021 की अवधि में 2,63,351 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। चालू वित्त वर्ष में केंद्र और राज्यों को पेट्रो क्षेत्र से हासिल राजस्व में काफी इजाफा होने के आसार हैं।

आगे कीमत के और बढ़ने की संभावना

सरकारी सूत्रों का कहना है कि पेट्रोलियम मंत्रालय का आकलन है कि निकट भविष्य में क्रूड की कीमतों में कमी आने वाली नहीं है। भारत सरकार तेल उत्पादक देशों के संगठ (ओपेक) के साथ लगातार संपर्क में है लेकिन बात नहीं बन रही है। भारत ने हाल ही में अमेरिका से काफी तेल खरीदना शुरु किया है लेकिन हाल के महीनों में अमेरिकी क्रूड की कीमत खाड़ी देशों के बाजार से ज्यादा तेजी से महंगा होने लगा है। आगे कीमत के और बढ़ने की संभावना देख भारतीय तेल कंपनियों ने आन स्पॉट क्रूड ज्यादा खऱीदनी शुरु कर दी है। लेकिन इससे आम जनता को राहत नहीं मिलेगी।

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