राइजिंग इंडिया: ‘हनुमान’ से मिल रही मरीजों को मदद, ई-रिक्शा एंबुलेंस का आइडिया हिट

इस तरह की एंबुलेंस पहली बार सामने आई है। युवा डॉ. नीरज ने कोरोना संक्रमण काल में नया प्रयोग कर पटना में सस्ती और सुरक्षित एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने का काम किया। छह एंबुलेंस अब तक 1500 जरूरतमंद मरीजों के काम आ चुकी हैं। ‘हनुमान’ नामक यह सस्ती एंबुलेंस सेवा अब एप पर भी जोड़ दी गई है। अन्य के मुकाबले किराया भी न के बराबर पड़ता है। पढ़ें पटना से जागरण संवाददाता  अंकिता भारद्वाज की रिपोर्ट।  संकट में घिरे एक स्वजन को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए जहां भी बन पड़ा, बात की। हर नंबर पर फोन लगाया। गूगल पर सर्च किया। दोस्तों से बात की। पर संकट की उस घड़ी में एक भी एंबुलेंस नहीं मिल रही थी। बड़ी मुश्किल से मरीज को अस्पताल पहुंचाया गया। परेशानी से जूझने वाले पटना के डॉ. नीरज ने आपबीती से सबक सीखा और आमजन के लिए कुछ करने की ठान ली। मकसद यही था कि कोरोना काल में एंबुलेंस की कमी को कुछ हद तक पाट सकें। साधनविहीन जरूरतमंदों तक समय पर सस्ती और पर्यावरण हितैषी एंबुलेंस पहुंचाने के लिए उन्होंने ई-रिक्शा को एंबुलेंस में तब्दील करने का प्रयास किया। इसमें सफलता मिली और ऐसी छह एंबुलेंस उन्होंने पटना के जरूरतमंदों के लिए मुहैया करा दीं। इनसे अब तक 1500 मरीजों को वक्त पर मदद मिल चुकी है। 

Rising India: 'Hanuman' getting help to patients, idea of e-rickshaw  ambulance hits in Patna

डॉ. नीरज ने दैनिक जागरण को बताया, मैंने अनुभव किया कि कोरोना काल में एंबुलेंस की कमी आम लोगों के लिए परेशानी बढ़ाने वाली साबित हो रही है। तब इस पर काफी मंथन किया और ई-रिक्शा को इसके लिए सर्वोत्तम समाधान के रूप में पाया। प्रयास सफल रहा। इनकी कितनी मांग है इसका अंदाज आप इस बात से लगा सकते हैं कि पटना में बीते कुछ ही समय में महज छह गाड़ियों ने 1500 से अधिक लोगों की जीवन रक्षा में योगदान दिया है। अब इस सेवा को और विस्तार देने की योजना है।  डॉ. नीरज ने बताया कि संकट में घिरे व्यक्ति के लिए यह जरूरत पर उपलब्ध हो जाए, यही इसकी विशेषता है। वहीं, इसमें खर्च भी अपेक्षाकृत कम आ रहा है, जिससे लोगों को फीस भी कम चुकानी पड़ती है। आमतौर पर सामान्य एंबुलेंस में 14-15 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से चार्ज लिया जाता है। बेस चार्ज भी 800 रुपये तक होता है। वहीं, ई-रिक्शा एंबुलेंस में प्रति किलोमीटर आठ रुपये तक ही किराया आता है और बेस चार्ज सिर्फ 50 रुपये है। यह भी सिर्फ मेंटेनेंस के लिए है। यह ई-रिक्शा के ही लाइसेंस पर चल रही हैं। इसमें दो बैट्री हैं और एक बार चार्ज होने के बाद सौ किलोमीटर तक चल सकती हैं। स्थानीय स्तर पर यह बहुत उपयोगी साबित हुई है। 

एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलिंडर और जरूरी दवाएं भी रखी गई हैं। मरीज के लिए बेड के साथ ही दो लोगों के बैठने की भी व्यवस्था इसमें है। मरीज और स्वजनों के लिए पीपीई किट भी इसमें उपलब्ध रहती है, जबकि चालक-सहायक भी पीपीई किट पहनकर ही पहुंचते हैं। इन एंबुलेंस को हर उपयोग के बाद सैनिटाइज किया जाता है ताकि संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहे। डॉ. नीरज ने बताया कि इसमें सायरन भी लगाया गया है, ताकि लोगों को पता चल जाए कि यह एंबुलेंस है। चालक को भी प्रशिक्षण दिया गया है कि वह ऑक्सीजन सिलिंडर का इस्तेमाल कैसे करे। जीवनरक्षी प्राथमिक उपचार तक के बारे में उसे प्रशिक्षण दिया गया है। लोगों की सहूलियत के लिए हनुमान एप बनाकर प्ले स्टोर पर भी डाल दिया है। किसी को भी मदद की जरूरत हो तो वे इसके जरिये अपनी लोकेशन भेजकर ई-रिक्शा एंबुलेंस को तत्काल बुला सकते हैं।

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