कुछ ऐसा हो, ताकि पन्ना में जीवित रहे वत्सला की स्मृतियां.... | Soochana Sansar

कुछ ऐसा हो, ताकि पन्ना में जीवित रहे वत्सला की स्मृतियां….

@पन्ना से अरुण सिंह / आशीष सागर डेस्क टीम

पन्ना। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड-बघेलखण्ड वाले मिलेजुले पर्यावास मे स्थित पन्ना टाइगर राष्ट्रीय वन्यजीव अभ्यारण की शान और बुजुर्ग दादी ‘वत्सला’ अब हमारी स्मृति मे बसेगी। ऐसा दावा मध्यप्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव जी ने किया है। वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने भी अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल मे वत्सला से जुड़े चित्र साझा करते हुए उन्हें आत्मीय श्रद्धांजलि दी है।

जब तमाम वन्यजीवों की बुजुर्ग दादी और दुनिया की सबसे बूढ़ी हथिनी हमारे बीच अब नही है। ऐसे मे वन्यजीव प्रेमियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह वत्सला के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व का पर्यावरण एवं परिवेश सुरक्षित रखें। यह अलग बात है कि केन-बेतवा नदी गठजोड़ से इस विशाल जंगल के फेफड़ों पर व्यापक असर पड़ेगा।

वत्सला” की स्मृति व उसके मानवीय गुणों की सुगंध पन्ना की माटी में हमेशा महसूस हो, इसके लिए पन्ना टाइगर रिज़र्व की धरोहर रही इस हथिनी के नाम पर कुछ ऐसा हो जो वत्सला की स्मृतियों को हमेशा जीवित रखे। यह भाव पन्ना वासियों का ही नहीं अपितु देश व दुनिया भर के वन्य जीव प्रेमियों का भी है।

गौरतलब है कि दुनिया की सबसे उम्र दराज हथिनी वत्सला की जर्जर हो चुकी देह ने भले ही साथ छोड़ दिया है, लेकिन उसका प्रेम, वात्सल्य, आत्मीयता व सहनशीलता जैसे मानवीय गुण उसकी स्मृतियां को अमिट रखेंगे। वत्सला महज एक हथिनी नहीं थी बल्कि वह अपने नाम के अनुरूप प्रेम, स्नेह और ममता की प्रतिमूर्ति भी थी। पन्ना ही नहीं अपितु देश, प्रदेश व दुनिया भर के वन्य जीव और प्रकृति प्रेमियों ने जिस तरह से वत्सला की मौत पर अपनी भावनाओं का इजहार किया है, वह अभूतपूर्व है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सहित केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद बीडी शर्मा ने वत्सला की पावन स्मृतियों को याद करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी है। मीडिया में राष्ट्रीय स्तर पर पन्ना की इस धरोहर के जीवन पर बहुत कुछ लिखा जा रहा है। यह इस बात का द्योतक है कि वत्सला से दुनिया भर के लोगों का किस तरह से जुड़ाव व आत्मीय रिश्ता रहा है।

पन्ना की शान रही “वत्सला” के जीते जी उसका नाम दुनिया की सबसे उम्र दराज हथिनी के तौर पर वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो सका। निश्चित रूप से जिसकी वह हकदार थी, वह जीते जी उसे नहीं मिल पाया। इस बात का अफसोस पन्ना वासियों को हमेशा रहेगा। इसकी भरपाई करने के लिए क्या यह जरूरी नहीं है कि पन्ना में वत्सला के नाम से कुछ ऐसा हो ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस अनूठी हथिनी के जीवन से परिचित हो सकें।

शायद ऐसा करना “वत्सला” को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। क्या करना चाहिए यह पन्ना के नागरिक, जनप्रतिनिधि, पत्रकार व पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारी तय करें। इसके लिए सभी से सुझाव भी लिए जा सकते हैं और बेहतर सुझावों को मूर्त रूप दिया जा सकता है। वत्सला के पावन स्मृतियों की खुशबू पन्ना की माटी में सदा जीवंत रहे, ऐसी कामना है। दैनिक सूचना संसार की तरफ से वत्सला को अश्रुपूरित पुष्पाजंलि अर्पित।

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