तहबाजारी का ठेका 200 रुपया लेकिन 400 की वसूली, ओवरलोडिंग परिवहन से सड़के चढ़ती सूली… | Soochana Sansar

तहबाजारी का ठेका 200 रुपया लेकिन 400 की वसूली, ओवरलोडिंग परिवहन से सड़के चढ़ती सूली…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।


बाँदा ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल पर यदि शासन की कार्यवाही हुई तो 6.5 करोड़ रुपया वसूल लिया जाएगा। शासन ने मंडल आयुक्त को जांच देकर आख्या मांगी थी,फरवरी माह मे जांच पर वे दोषी पाए गए थे।’

बाँदा। मौरम खदानों से ओवरलोडिंग परिवहन पर नियंत्रण एवं परिवहन टैक्स के रूप मे ज़िला पंचायत तहबाजारी करती है। इसके लिए वार्षिक टेंडर होते है और किसी न किसी सत्तारूढ़ करीबी को ठेका मिल जाता है। या यूं कहिये सपा-बीजेपी-कांग्रेस के स्थानीय नेताओं का परोक्ष रुपया इसमे निवेश होता है। जिसका जितना रुपया वो उतना बड़ा हिस्सेदार बनता है। जैसे मौरम खदान अब ग्रुप अथवा कम्पनी बनाकर चलती है। ठीक वैसे यह तहबाजारी भी होती है। शहर के कुछ नामचीन नेताओं की इसमे हमेशा हिस्सेदारी रहती है वे सरकार मे रहें या नही। बाँदा मे इस वक्त लगभग 15 मौरम खण्ड संचालित है। इनमे से मौरम निकासी करते परिवहन / ओवरलोड ट्रक, डंफर आदि को 200 रुपया तहबाजारी रसीद का देना होता है। इसके लिए बाकायदा गांव के एंट्री क्षेत्र मे बैरियर लगता है। वहीं तहबाजारी वसूली वाले इत्मीनान से यह काम करते है। लेकिन 200 रुपया निर्धारित शुल्क की जगह बाँदा मे 400 रुपया वसूली की गई। ज़िला पंचायत अध्यक्ष व सदर विधायक की आपसी तनातनी मे यह विवाद ऐसा उलझा कि आज तक राजनैतिक रार है।


ज़िला पंचायत अध्यक्ष ने कहा-


ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल कहते है कि टेंडर खत्म होने के बावजूद निर्धारित रकम 200 की जगह 400 वसूली की गई। उन्होंने रोका तो उन्ही पर आरोप लगने लगे। उधर सदर विधायक खेमे से लोगो ने शासन को इस मामले की शिकायत कर दी तो जांच चित्रकूट धाम मंडल आयुक्त बाँदा को मिली है। उन्होंने जांच की तो दो अधिकारी दोषी पाए गए। शासन के निर्देश पर मंडल आयुक्त ने सीडीओ की अध्यक्षता मे कमेटी बनाकर फरवरी माह मे जांच कराई। इसमे सीडीओ बाँदा, अपर आयुक्त प्रशासन, संयुक्त निदेशक (कोषागार) ने जांच करके मंडल आयुक्त को दी थी।


जांच मे यह मिले दोषी-


मंडल आयुक्त की कमेटी पर जांच हुई जिसमें दोषी अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। यह अधिकारी क्रमशः नीलामी के सदस्य कमल प्रताप,वित्तीय परामर्श दाता पंचानन वर्मा, अपर मुख्य अधिकारी भगत सिंह, पटल सहायक विनय कुमार एवं जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल की सांठगांठ से 200 रुपया की जगह 400 रुपया प्रति ट्रक वसूली की गई है। जांच समिति ने शासन को कार्यवाही हेतु लिखा है। जांच मे जानकारी मिली कि वर्ष 2023-24 मे खनिज परिवहन शुल्क वसूली के ठेके मे न्यूनतम धनराशि 4 करोड़ 97 लाख की जगह 2 करोड़ 58 लाख ही प्राप्त हो सकी। ज़िला पंचायत को 38 लाख रुपया राजस्व का नुकसान हुआ। गौरतलब है कि तहबाजारी का यह ठेका शक्ति सिंह / ग्रुप कम्पनी को मिला था। उसके पूर्व कांग्रेस ज़िला अध्यक्ष राजेश दीक्षित / ग्रुप देखते रहें है। इसमे समाजवादी, कांग्रेस, भाजपा के नेताओं का हिस्सेदारी परसेंट रहता है। सदर विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष की राजनैतिक वर्चस्व की रार यदि नही होती तो भी इसके पूर्व के बीते वर्ष मे तहबाजारी पर 200 शुल्क निर्धारित फीस पर 300 रुपया मरौली व सांडी आदि मौरम खदान पर वसूली की जाती थी। अब देखना यह होगा कि क्या उत्तरप्रदेश सरकार को यह नुकसान पूरा होगा या जांच की जांच ठंडी हो जाएगी।

खदान से प्रभावित गांवों की सड़कें बेजार-

मौरम खदान से बेतरतीब ओवरलोडिंग के कारण नई सड़के बदहाल हो जाती है। मसलन लुकतरा गांव की हाल ही मे बनी तारकोल की महंगी सड़क ओवरलोडिंग (पथरी खण्ड 3) से जर्जर हो रही है। वहीं पैलानी के ग्राम सांडी मे 77 नम्बर की ओवरलोडिंग से गांव की सड़क जहां खत्म होकर मिट्टी युक्त हो गई है। वहीं खपटिहाकला की खदान से ओवरलोडिंग ने सड़क उखाड़ रखी है। तहबाजारी की छूट से ओवरलोडिंग बढ़ती है और गांव विकास का बदरंग मॉडल बन जाते है। विडंबना है कि मौजूदा सरकार

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