@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
“चित्रकूट मंडल मुख्यालय के बाँदा मे 2012 मे प्रस्तावित 64 करोड़ फिर बढ़ा हुआ बजट 300 करोड़ रुपया से 86 एकड़ कृषि भूमि पर बनी विशिष्ट अनाज मंडी का 11 साल बाद भी लोकार्पण नही हो सका है। अब मंडी समिति के उप निदेशक इंजीनियर महेश खरे ने तत्कालीन अधिकारियों पर मुकदमा अपराध संख्या 716/2025 नगर कोतवाली बाँदा धारा बीएनएस 409 पंजीकृत कराया है। लेकिन रिकवरी मे शासनादेश आड़े आएगा और भ्रष्टाचार के दीमक मौज मे रहेंगे।”
- बुंदेलखंड के 7 जिलों में 625 करोड़ रुपया से 138 विशिष्ट अनाज मंडी/ ग्रामीण अवस्थापना केंद्र बनाए गए थे।
- साल 2009-10 में सामाजवादी मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने योजना स्वीकृति दी जिसको साल 2012 मे धरातल पर अवतरित किया गया।
- सात जनपदों मे ज़िला स्तर पर 6 विशिष्ट अनाज मंडी और 132 ग्रामीण अवस्थापना केंद्र बने थे।
- बाँदा मे सिर्फ स्टील/लोहे की आपूर्ति मे ही 6 तत्कालीन उप निदेशक मंडी निर्माण अफसरों ने ही 5 करोड़ 49 लाख 89 हजार 806 रुपया का गबन किया है।
- आज बाँदा विशिष्ट अनाज मंडी खंडहर हो रही है। उसमें अराजक तत्वों की बैठकी होती है। ओवरलोडिंग नम्बर 2 बालू वाले पकड़े गए ट्रक/ परिवहन खड़े होते है।
- बाँदा की विशिष्ट अनाज मंडी के एक अदने हिस्से मे राष्ट्रीय आजीवका मिशन योजना से स्वावलंबन हेतु महिला समूह द्वारा प्रेरणा लघु उद्योग संचालित होता है।
बाँदा। उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड मे यूपीए की केंद्र सरकार मे अस्तित्व पर आये बुंदेलखंड विशेष पैकेज से यूपी वाले हिस्से मे सात ज़िलों के अंदर 625 करोड़ रुपया से 138 अनाज मंडी बनी। जिसमें ज़िला मुख्यालय पर 6 विशिष्ट अनाज मंडी व ग्रामीण तहसील स्तर 132 अवस्थापना केंद्र बनाए गए थे। कुल 7266 करोड़ के बुंदेलखंड पैकेज पर शुरू से बड़े स्तर मे भ्रष्टाचार पनपता रहा है। फिर वो कूपवेल योजना से निर्मित कुएं रहें हो। या बकरी पालन उद्योग या फिर विशेष ट्री प्लांटेशन स्कीम अथवा विशिष्ट अनाज मंडियां।
आज बुंदेलखंड संदर्भ मे ज़िला बाँदा की विशिष्ट अनाज मंडी की पड़ताल कर रहें है जो झांसी-महोबा हाइवे पर शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित है। वैसे गल्ला व्यापारियों के लिए शहर मे पुरानी गल्ला मंडी है लेकिन यहां उतना स्पेस / जगह नही जितना कि 300 करोड़ रुपया की लागत से बनी 86 एकड़ जमीन पर निर्मित विशिष्ट अनाज मंडी मे है। बाँदा से लेकर बुंदेलखंड के तकरीबन हर ज़िले मे यह बड़ी विशिष्ट अनाज मंडी/ ग्रामीण अवस्थापना केंद्र फटेहाल है। इन पर भ्रष्टाचार की कालिख पुती है। जिससे यह 11 साल बाद वही कभी किसानों का भला नही कर सकी है।
सात ज़िलों मे बनी अनाज मंडी-
बुन्देलखंड पैकेज से 625 करोड़ रुपया सपा सरकार मे आया। जिससे कृषि भूमि अधिग्रहण करके शहर के बाहर विशिष्ट अनाज मंडी बनाई गई। जिसमें बाँदा मे 20 ( एक विशिष्ट / 19 ग्रामीण अवस्थापना केन्द्र), चित्रकूट मे 16, हमीरपुर मे 24, महोबा मे 11, झांसी मे 25, ललितपुर मे 24, जालौन मे 20 अनाज मंडी बनी थी। बाँदा मे यह शुरुआत मे 64 करोड़ बजट से शुरू हुई जो विस्तार लेकर 300 करोड़ रुपया खा गई। वहीं महोबा मे 40 करोड़ से विशिष्ट अनाज मंडी पनवाड़ी रोड मे बनी जो भ्रष्टाचार का सबूत है। इसको बनाने वाली तत्कालीन कम्पनी तक ब्लैकलिस्ट कर दी गई है। आज तक यह हैंडओवर नही हो सकी है। कमोबेश यही हालत बाँदा के यहां भी किसान तिंदवारी रोड पर स्थित पुरानी छोटी अनाज मंडी मे अपना गल्ला विक्रय करते है। जो अक्सर बारिश मे सड़ता है और खाद वितरण की किल्लत का साक्षी बनता है। यहीं चुनावी मतगणना भी होती है। यहां न किसानों के बैठने व छाया का स्थान है उल्टा आवारा जानवरों का नुकसान भी है। इन्ही सबको देखते हुए शहर से बाहर बड़े स्थल पर विशिष्ट अनाज मंडी बनी थी। कुल 86 एकड़ भूमि पर लगभग हर तरह की सुविधा किसानों हेतु रखी गई। कर्मचारियों को रुकने को आवास, ब्लाकवार अनाज गोदाम और अन्य आधुनिक सुविधाओं से लैस अनाज मंडी। लेकिन पुरानी अनाज मंडी मे दुकानों का किराया 400 रुपया है। जबकि विशिष्ट अनाज मंडी मे 4000 रुपया निर्धारित है। जिसके चलते शहर से बाहर और असुरक्षा के मद्देनजर आढ़तियों व किसानों का वहां जाना नही होता है।
लगभग सभी जिलों मे यही सूरतेहाल है। विशिष्ट अनाज मंडियों को बरसाती जंगलों मे मे बबूल की झखाड़ का अड्डा बनाया जा रहा है। आवासों के दरवाजे, जंगले कबाड़ होने लगें है। उनमें जंगली जीव रहते है। यह अराजकता का स्थान बनते दिखती है। यदि 86 एकड़ मे किसानी होती तो कितना अनाज उत्पादन होता इसका अंदाजा लगाइए। या कोई उद्योग लगता तो मजदूरों, बेरोजगार युवाओं को रोजीरोटी मिलती लेकिन दुर्भाग्यवश यह बजट भ्रष्टाचार की गर्त मे मिल रहा है।
बाँदा उप निदेशक मंडी इंजीनियर महेश खरे ने दर्ज करा दी रिपोर्ट-
बुंदेलखंड पैकेज से बाँदा मे महोबा रोड पर बनी विशिष्ट अनाज मंडी मे वित्तीय घोटाले की जांच आख्या 30 सितंबर 2022 अब सामने आने के बाद दो दिन पूर्व पुरानी गल्ला मंडी के उप निदेशक इंजीनियर महेश खरे ने कुल 6 तत्कालीन उप निदेशक मंडी निर्माण पर प्रथम सूचना रिपोर्ट नगर कोतवाली मे दर्ज करा दी है। मुकदमा अपराध संख्या 716/2025 मे बीएनएस की धारा 409 / भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर हुई है। यह अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जिसमें अभियुक्त तत्कालीन उप निदेशक मंडी निर्माण क्रमशः अलीगढ़ के रामधार रामघाट रोड निवासी गोपाल शंकर (तत्कालीन अधीक्षण अभियंता जोन 4, पीडब्ल्यूडी) ने 79 लाख 17 हजार 569 रुपया, चंदौली के तिलक नगर निवासी एस. एन.पी. यादव (तत्कालीन उप निदेशक मंडी निर्माण) ने 52 लाख 90 हजार 132 रुपया, लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी निवासी केके गुप्ता ने 26 लाख 39 हजार 189 रुपया, गाजियाबाद के सुरेशचंद्र गोयल ने 17 लाख 55 हजार 897 रुपया, लखनऊ के एन गोयल 75 लाख 15 हजार 424 रुपया गबन किया है।
जांच आख्या अनुसार इन्होंने बिना किसी कारण परियोजना मे प्रयुक्त की जाने वाली विभिन्न प्रकार की स्टील / लोहा आपूर्ति की मदों को लोकनिर्माण विभाग के एसओआर ( दरों की अनुसूची) मे हेरफेर करके बंदरबांट किया है। गौरतलब है कि वादी मुकदमा इंजीनियर महेश खरे, उप निदेशक मंडी समिति बाँदा मुताबिक 3 करोड़ 16 लाख 70 हजार 277 रुपया के हेराफेरी की रिपोर्ट दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है चित्रकूट मंडल के चार जिलों मे 71 अनाज मंडियों का निर्माण हुआ था। यह आज भी अनुउपयोगी साबित है। वहीं ग्रामीण अवस्थापना केंद्र की स्थिति और अधिक बदहाल है। बावजूद इसके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आज तक दोषियों पर कार्यवाही सम्भव नही हो सकी है। विडंबना है कि घोटालेबाजी के पारंगत अधिकारियों से रिकवरी मुश्किल है। क्योंकि शासनादेश आड़े आएगा। वहीं विवेचक समयबद्ध जांच तक नही करेंगे। जैसे एनआरएलएम के लगभग 3 करोड़ घोटाले पर महज 88 लाख एफआईआर पर बाँदा मे एक साल बाद भी सन्नाटा पसरा है। इसी योजना मे उन्नाव मे 5 करोड़ गबन की एफआईआर कुछ माह पहले वर्ष 2025 मे ही हुई है। भ्रष्टाचार की परतों का इतिहास बनाता बुंदेलखंड पैकेज ठीक वैसा ही है जैसे कामचोरों/चोरों को स्वर्ण तिजोरी की चौकीदारी सौंप दी जाती है।