
@ आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- महिला किसान ऊषा निषाद ने कर्ज मे लिया मोबाइल फोन, हर माह 1700 रुपया मासिक क़िस्त है। आंदोलन के वक्त माफियाओं के सरपरस्त खपटिहा चौकी प्रभारी ने फोन कब्जे मे लिया।
बाँदा। पैलानी तहसील के ग्राम सांडी मजरा अमान डेरा निवासी महिला किसान / पर्यावरण कार्यकर्ता ऊषा निषाद 21 मई को जमानत पर छूट गई थी। लेकिन उनका मोबाइल पुलिस के कब्जे मे है। जानकारी मुताबिक स्थानीय मुद्दों पर गत 15 साल से सक्रिय यह महिला किसान अपने तेज अंदाज के लिए चर्चित है। ऊषा निषाद ने अपनी आपबीती को एक प्रार्थना पत्र मे लिखकर बाँदा पुलिस अधीक्षक पलास बंसल जी को प्रेषित किया है। वहीं इसकी प्रतिलिपि शीर्ष अधिकारियों व मुख्यमंत्री को प्रेषित है। उन्होंने कहा कि वे 15 साल से ग्रामीण मुद्दों पर एक्टिव है। उनका कोई गॉड फादर/ सामाजिक गुरु नही है। वह लाल मौरम ठेकेदार व किसानों को परेशान करने वाले माफियाओं से लड़ती है जिसके कारण उनकी क्षेत्रीय कद्दावर लोगों व मौरम माफियाओं से दुश्मनी चल रही है।


ग्राम सांडी की इस महिला किसान ने बताया कि ग्राम सांडी मे मौरम खंड 77 जिसको न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, छतरपुर संचालित कर रही है। यह मध्यप्रदेश के मल्होत्रा ग्रुप की कम्पनी है। इससे जुड़े मुख्य लोगों क्रमशः फर्म मालिक हिमांशू मीणा व इनके साथियों जैकी, हबीब सिद्दीकी,खदान इंचार्ज विजय सचान, अनिल बंसल की अनलीगल / अवैध खनन गतिविधियों पर उन्होंने विगत 25 मार्च से 13 मई 2025 तक अनवरत उच्च अधिकारियों से मिलकर शिकायत प्रार्थना पत्र देकर कार्यवाही की मांग उठाई थी लेकिन कार्यवाही न होने के क्रम मे दिनांक 15 मई को महिलाओं/किसानों ने जल सत्याग्रह किया था।

तत्पश्चात 16 मई को ग्रामीण गरीब किसानों / महिलाओं के साथ नदी से लगे अपने खेतों मे अहिंसात्मक उपवास कर रहे थे। तभी अपने लाव लश्कर के साथ भौकाल बनाते हुए खदान असलहाधारी महिलाओं से अभद्रता व अपशब्दों का प्रयोग किये। फिर खदान इंचार्ज विजय सचान ने खपटिहा पुलिस चौकी प्रभारी रौशन गुप्ता को फ़ोर्स सहित बुलाया था। उन्होंने तहसीलदार, एसडीएम के सामने पद का दुरुपयोग करते हुए हमारे मोबाइल छीन लिये। उन्होंने जबरिया हमे पुलिस अभिरक्षा मे लिया और थाने लेकर आ गए। किसी ने हमारी एक न सुनी व तहसीलदार राधेश्याम जी ने मुझे ‘हरामजादी तूने मेरा पावर नही देखा है।’ यह अपशब्द कहते हुए अमर्यादित व्यवहार किया। महिला किसान सहित दो अन्य का मोबाइल छीन लिया गया। इन मोबाइल से 15 व 16 मई के आंदोलन घटनाक्रम की वीडियोग्राफी की गई थी। साथ ही एसडीएम शशिभूषण, तहसीलदार राधेश्याम की गालियां, चौकी प्रभारी रौशन गुप्ता व थानाध्यक्ष की रौबदारी का फुटेज इनसे कवर किया गया है।

उल्लेखनीय है कि ये साक्ष्य प्रशासन व पुलिस ने जानबूझकर हमसे अपने कब्जे मे लिया ताकि शीर्ष अधिकारियों / अदालत तक सच्चाई न पहुंच सके। पुलिस ने मोबाइल छीनकर हमारा 16 मई को धारा 170/126/135 बीएनएस अंतर्गत शांति भंग मे चलान काटा गया। वहीं देरशाम जमानत पर छोड़ा गया था।
गौरतलब है कि ऊषा निषाद का मोबाइल आज भी पैलानी थाना पुलिस के कब्जे मे है। जिसका आईएमआई नम्बर 1- 865825071465615 व आईएमई 2- 865825071465607 है। वीवो कम्पनी माडल नम्बर टी 4 (8+128) है। इसका मूल्य 16,999 रुपया है।

यह महिला बतौर कर्ज किस्तों मे लिया है। जिसकी 1700 रुपया मासिक ईएमआई / क़िस्त है। महिला मुताबिक यह उन्हें हाल ही मे छोटे भाई नीरज निषाद की मदद ने दिया था। बकौल महिला किसान ऊषा निषाद कहती है कि वे 17 मई को शहर बाँदा स्थित मैं बड़ी बहन पुष्पा निषाद के घर से भतीजे सर्वेश निषाद के साथ सुबह 7 बजकर 37 मिनट पर खपटिहा चौकी पहुंची थी। उन्होंने चौकी प्रभारी व उपनिरीक्षक रौशन गुप्ता से अपना मोबाइल मांगा जो नही दिया गया। साथ ही थोड़ी देर तक बातों मे उलझाने के बाद चौकी प्रभारी ने खदान माफियाओं / पट्टेधारक के गुर्गों की साज़िश पर पुनः विजय साचान से एफआईआर लेकर प्रार्थिया के ऊपर मुकदमा अपराध संख्या 0114/25 धारा 308(6) व 351(2) पर मुकदमा लिखवाने की साज़िश रची। उन्होंने महिला किसान को पुलिसकर्मियों से जबरजस्ती उठवाते हुए पैलानी थाने का रुख किया। वहां खदान कर्मी पहले से मौजूद थे। वहीं महिला ऊषा को पुलिस ने एसएचओ सुखराम सिंह की मौजूदगी मे टार्चर किया गया। ऊषा बतलाती है कि उपनिरीक्षक रौशन गुप्ता व थानाध्यक्ष ने पुरुष होकर बलपूर्वक उन्हें पकड़ा ! वहीं कागज पर मोबाइल खो गया है यह लिखने को उनसे कहा गया, लेकिन जब उन्होंने इंकार किया तो उन्हें सबके सामने रौशन गुप्ता व थानाध्यक्ष द्वारा गालियां दी गई व मानसिक टार्चर किया गया। मौके पर खड़े माफिया लोग अट्टहास कर रहे थे जैसे सिस्टम सड़ गया हो। ठीक महाभारत मे द्रौपदी के चीरहरण परिदृश्य की तरह।

ऊषा ने बताया कि उनसे जबरजस्ती जीडी प्रपत्र पर दस्तखत कराए गए ताकि पुलिस जेल भेज सके। जो पुलिस कर्मी उनकी तरफ बोलने लगता एसएचओ सुखराम व चौकी प्रभारी रौशन गुप्ता उसको अपमानित करने लगते थे। नौकरी की बेबसी मे सब छोटे कर्मचारी मौन रहे। उन्होंने बताया कि जीडी प्रपत्र विवरण अनुसार उनकी गिरफ्तारी जीडी मे खेरई मोड़ से 50 मीटर दूर दिखाई गई जबकि वे 17 मई को शहर बाँदा से सुबह खपटिहा चौकी पहुंची थी। रस्ते व चौकी के सीसीटीवी फुटेज जांच की जा सकती है। चौकी प्रभारी रौशन गुप्ता ने जल सत्याग्रह करते वक्त एक दिन पूर्व उनका सामूहिक शांति भंग मे चलान अन्य किसानों के साथ किया था। बावजूद इसके 17 मई को पुनः स्थानीय प्रशासन ने मौरम माफियाओं/खंड 77 की निगहबानी मे मनगढ़ंत कहानी रचकर महिला किसान को जेल भेजने का कारनामा किया। यह सबकुछ आनन-फानन मे किया गया ताकि किसानों की एकजुटता को तोड़ा जा सके।

महिला ऊषा कहती है वे दिनांक 21 मई को एसीजेएम प्रथम की निष्पक्षता से अदालत के आदेश पर जमानत मे छूटी है। ग्रामीण लोगों की आजीवका व महिला किसान के साथ पुलिसिया ज्यादती पर ऊषा निषाद ने सरकार के उच्च अधिकारियों से हस्तक्षेप व जांच की मांग उठाई है। उन्होंने कहा न्याय न मिलने की दशा मे वह उचित फोरम तक जाएंगी। बतलाते चले कि बाँदा मे चौतरफा 17 खण्डों मे मानक विपरीत अवैध खनन होता है। जहां किसानों मे खौफ है,जो प्रतिरोध करता है उसको झूठा मुकदमेबाजी मे उलझा दिया जाता है। खबर लिखने वाले पत्रकार तक माफियाओं के हमदर्द बने ताकतवर लोगो के निशाने पर है।