साज़िशों को पार करके आशीष सागर दीक्षित न्यायालय से दोषमुक्त हुए…… | Soochana Sansar

साज़िशों को पार करके आशीष सागर दीक्षित न्यायालय से दोषमुक्त हुए……

@डेस्क टीम सूचना संसार,लखनऊ।

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वर्ष 2022 मे राजाभैया यादव की संस्था विद्याधाम समिति एवं चिंगारी संगठन मे सामुदायिक कार्यकर्ता हरिजन महिला ललिता देवी ने लिखाया था मुकदमा। जिसकी पोलपट्टी वादी मुकदमा पी डब्ल्यू 1 ललिता ने अपने बयान देते हुए विशेष न्यायालय एससी/एसटी कोर्ट मे सिलसिलेवार पूरी इबारत जजमेंट के बिंदु संख्या 11 मे वर्णित की है। तत्कालीन एसपी अभिनंदन सिंह,सीओ सिटी रहे राकेश कुमार सिंह, नगर कोतवाल रहे राजेंद्र सिंह राजावत एवं अमलोर मौरम खंड 7 व 8 से जुड़े सफेदपोश माफियाओं की जुगलबंदी मे विद्याधाम समिति के राजाभैया यादव ने वादी मुकदमा ललिता देवी को हथियार बनाकर बाँदा के पर्यावरण पैरोकार व दैनिक सूचना संसार के पत्रकार आशीष सागर दीक्षित पर मुकदमा अपराध संख्या 424/2022 थाना नगर कोतवाली बाँदा आईपीसी की धारा 354, 504, 506,509 व 67 आईटी एक्ट एवं 3(2)5 एससी.एसटी एक्ट मे दिनांक 31 मई 2022 को दर्ज कराया था। वहीं घटनाक्रम 25 मई का पंडित जवाहरलाल नेहरू डिग्री कालेज प्रदर्शनी स्थल को दर्शाया गया था।

  • सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा सात साल से कम अपराध की सजा मे दिये गए दिशानिर्देश को ताक पर रखकर तत्कालीन पुलिस अफसरों ने पत्रकार व समाजसेवी को चक्रव्यूह रचकर एसओजी व इंटेलिजेंस के सहारे नाकेबंदी करके 2 जून को बिजलीखेड़ा सपा कार्यालय के पास से गिरफ्तार किया था। वहीं बेकसूर पत्रकार को 26 दिन ज़िला कारागार मे निरुद्ध रखा गया।
  • दिनांक 20 जून 2022 को विशेष न्यायालय एससी/एसटी से जमानत होने के बावजूद 6 दिन अतिरिक्त पत्रकार / समाजसेवी ने जेल मे बिताए थे। जबकि जमानत के बाद ऐसा करना कानूनन न्यायसंगत नही है।
  • कुचक्र के तहत पत्रकार पर उक्त मुकदमा 424/2022 लगने से आहत बुजुर्ग माताजी सहित 9 महिलाओं ने जब तत्कालीन एसपी अभिनंदन सिंह को प्रार्थना पत्र देकर निष्पक्ष जांच की मांग उठाई तो सहयोग न मिलने पर महिलाओं को आत्मदाह के लिए बाध्य होना पड़ा। जिसपर भी असंवेदनशील तत्कालीन पुलिस प्रशासन ने उन गरीब महिलाओं पर सरकारी काम मे बाधा सहित अन्य धाराओं मे झूठा मुकदमा लादकर पत्रकार की वयोवृद्ध माताजी पर भी अपराध संख्या 428/2022 थाना नगर कोतवाली दर्ज कर लिया था। वहीं प्रतिरोध कर रही दो निर्दोष महिलाओं को भी एक सप्ताह को अफसरों ने जेल भेज दिया था। फिर विडंबना देखिए दोनों मुकदमों पर पुलिसिया तंत्र ने प्रताड़ना की पराकाष्ठा पार करते हुए मिथ्या चार्जशीट न्यायालय मे दाखिल कर दी।
  • दिनांक 24 जून 2025 को विशेष न्यायालय एससी/एसटी कोर्ट ने मुकदमा संख्या 424/2022 व विशेष वाद संख्या 148/2024 मे निर्णय देते हुए जस्टिस डाक्टर विकास श्रीवास्तव जी ने वादी मुकदमा ललिता व गवाह मीरा राजपूत के न्यायालय मे दिए बयान के आधार पर अभियुक्त व पत्रकार आशीष सागर दीक्षित को दोषमुक्त कर दिया है।

बाँदा। इस मुकदमे की स्याह परतों को सुनकर एवं वादी मुकदमा पी डब्ल्यू 1 ललिता पत्नी कमलेकर प्रसाद के बयानों को जब विशेष न्यायालय एससी.एसटी न्यायाधीश डाक्टर विकास श्रीवास्तव जी ने सुना और दस्तावेजों को न्याय की कसौटी पर परखा तो दिनांक 24 जून 2025 को फैसला सुनाते हुए मौखिक रूप से यही कहा कि “ईश्वर के घर देर है अंधेर नही है” सबको यहीं भोगना पड़ता है।

इस एफआईआर के पीछे का असली मुलम्मा यह है कि बाँदा शहर निवासी समाजसेवी व पत्रकार आशीष सागर दीक्षित विगत डेढ़ दशक से सूचना अधिकार से तमाम खुलासे करते हुए भ्रष्टाचार मे संलिप्त एनजीओ विद्याधाम समिति व इसके महिला संगठन चिंगारी पर साल 2013 से लिखते पढ़ते रहें है। वहीं स्थानीय मौरम कारोबारियों से भी सामाजिक कार्यकर्ता की बेबाक लेखनी को लेकर तनातनी चलती रही है। साल 2022 मे अतर्रा कस्बे की संस्था विद्याधाम समिति के सचिव राजाभैया यादव ने दुराग्रहपूर्ण अवसरों का लाभ उठाते हुए तत्कालीन पुलिस अफसरों से सांठगांठ करके मौके को भुनाया था। राजाभैया ने एसपी अभिनंदन सिंह के कार्यकाल मे पत्रकार आशीष सागर दीक्षित पर अपने चिंगारी संगठन की दलित महिला ललिता से नगर कोतवाली मे मुकदमा अपराध संख्या 424/2022 लिखाया था। जिसमें आईपीसी की धारा 354, 504,506,509 व 67 आईटी एक्ट के साथ 3(2)5 एससी.एसटी एक्ट का मामला बनाया गया। पूर्व मे भी राजाभैया की साजिशों का शिकार रहे पत्रकार / समाजसेवी को इस बार कायदे से घेराबंदी करते हुए तत्कालीन नगर कोतवाल राजेन्द्र सिंह राजावत व सीओ सिटी रहे राकेश कुमार सिंह ने 2 जून को गिरफ्तार कर लिया था। ज़िला कारागार मे 26 दिन आशीष सागर दीक्षित को बन्द रखा गया। गौरतलब हो कि 20 जून को जमानत होने के बावजूद 6 दिन अतिरिक्त समाजसेवी ने जेल मे काटे थे।

उधर भ्रष्टाचार मे लिप्त सिस्टम से आजिज इस मुकदमे से अपने बेटे को बचाने के लिए तत्कालीन पुलिस अफसरों की जोर-गुहार करती पत्रकार की बूढ़ी माँ सहित 9 अन्य महिलाओं पर भी मुकदमा लाद दिया गया ताकि कहीं से कोई सरकार के मुखिया व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक या अन्यत्र कहीं शिकायत लेकर न पहुंच जाए। जमानत से छूटने के बाद लगातार 2 साल तक हर दूसरे-चौथे दिन समाजसेवी की देहरी पर पुलिसकर्मियों को निगरानी के लिए भेजा जाता ताकि वह भयाक्रांत रहे और अपनी लेखनी व समाजसेवा का अंतिम संस्कार करके केन नदी मे विसर्जित कर दे।

आज भी जब नए कप्तान ज़िले मे आते है तो उक्त पैंतरा चल दिया जाता है लेकिन हकीकत मालूम होने पर थम जाते है। कहते है वक्त एक सा नही रहता और झूठ के पैर नही होते है। इस क्रम मे दिनांक 24 जून 2025 का फैसला आया जिसने पत्रकार व समाजसेवी को दोषमुक्त कर दिया है। सवाल यह कि वो 26 दिन की सामाजिक जलालत, कचहरी के चक्करों पर मानसिक,आर्थिक प्रताड़ना का हिसाबकिताब क्या न्यायिक पदों व प्रशासनिक ओहदे पर बैठे पुराने लोग कर सकतें है ?

‘वादी मुकदमा पी डब्ल्यू 1 का न्यायालय मे बयान सारांश’ :-

न्यायालय निर्णय के बिन्दु संख्या 11 मे वर्णित अभियोजन की ओर से परीक्षित पी डब्लू 01 ललिता देवी ने अपनी मुख्य परीक्षा मे सशपथ कथन किया कि मैं हाईस्कूल पास हूं। मै चिंगारी संगठन की सदस्य हूं और चिंगारी संगठन वंचित समुदाय के लोगों को न्याय दिलाने के व सरकारी योजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचाती है। अभियुक्त आशीष सागर दीक्षित जो बाँदा के निवासी है, ने अपनी फेसबुक आईडी से चिंगारी संगठन की महिलाओं के फोटोग्राफ शेयर किए थे। किंतु मैंने किसी भी मोबाइल मे उक्त मैसेज को अपनी आँखों से नही देखा था। मै न फेसबुक चलाती हूँ। संगठन की महिलाओं से मुझे उक्त बात की जानकारी हुई थी। उन्होंने ही बताया कि अभियुक्त ने संस्था की महिलाओं व कार्यस्थल को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की है। पत्रावली मे शामिल तहरीर टाईपशुदा देखकर साक्षीया ने कहा कि यह प्रार्थना पत्र चिंगारी संगठन/विद्याधाम के डायरेक्टर राजाभैया यादव टाइप कराकर लाये थे। मुझसे व संगठन की अन्य महिलाओं से दबाव बनाकर कहा था कि इस प्रार्थना पत्र पर हस्ताक्षर करो, नही तो मै तुमको नौकरी से निकाल दूंगा और फर्जी मुकदमा लगा दूंगा। इसी दबाव मे मैंने हस्ताक्षर करके प्रार्थना पत्र राजाभैया यादव को दे दिया था। और उसके साथ मुबीना खान को लेकर पुलिस अधीक्षक बाँदा के यहां जाकर प्रार्थना पत्र दिया था। मै एसपी साहब के पास नही गई थी, मुबीना खान व राजाभैया यादव अंदर गए थे। अन्य महिला बाहर खड़ी थी। मै जब बाँदा मजिस्ट्रेट के यहां आई थी तो राजाभैया व मुबीना धमकी देकर लिवाकर लाये थे। और कहा था जैसा हम लोग कहें वैसा ही बयान देना। नही तो तुम्हारे साथ अच्छा नही होगा। और तुम्हें किसी लायक नही छोड़ेंगे। और कहा कि तुम मुझे जानती हो मै फर्जी मुकदमे लगवाकर जेल भिजवा देता हूँ। तुम्हे और तुम्हारे पिता व भाई को भी जेल भिजवा दूंगा। गुड़िया धोबी निवासी बाबूपुर पत्नी रामचरण भी इसी संगठन मे काम करती है। उससे भी डरा धमकाकर फर्जी मुकदमा राजाभैया लगवाता रहता है।

उल्लेखनीय है कि आशीष सागर दीक्षित पर वर्ष 2016 मे राजाभैया यादव ने इसी अधेड़ दलित गुड़िया से मुकदमा अपराध संख्या 056/16 थाना नरैनी दर्ज कराया था। जिस पर पुलिस विवेचना मे दो बार फाइनल रिपोर्ट लगी और मामला उच्च न्यायालय से प्रोसिडिंग स्टे है।
बकौल वादी मुकदमा ललिता मैंने किसी अखबार व मोबाइल मे किसी महिला का नाम लिखा नही देखा था। जो राजाभैया यादव की खिलाफत करता है, या चिंगारी संगठन के बारे मे लिखता है राजाभैया उससे बुराई मानने लगता है। शासन, प्रशासन से मिलकर संगठन की महिलाओं जो हरिजन होती है,उन्हें गवाह बनाकर झूठी रिपोर्ट करवाता है। मेरे साथ अभियुक्त आशीष सागर दीक्षित द्वारा कोई घटना कारित नही की गई है। मै अभियुक्त आशीष सागर दीक्षित को जानती भी नही हूँ। मुझे सरकार से डेढ़ लाख रुपया सहायता प्राप्त हुई थी। जिसमें 75 हजार रुपये हमारे संगठन के डायरेक्टर राजाभैया यादव ने ले लिये थे। यह कहना गलत है कि मै मुल्जिम के भय, दबाव व लालच मे आज न्यायालय मे झूठी गवाही दे रहीं हूँ और सही बात छिपा रहीं हूँ। इस कड़ी मे पी डब्ल्यू 2 मीरा राजपूत ने भी आशीष सागर दीक्षित को पहचाने से इंकार किया व कहा कि उनके सामने कोई घटना नही घटी थी। दिनांक 25.05.2022 को वो अतर्रा मे थी। सीओ साहब ने मेरा कोई बयान नही लिया और न मुझसे पूछताछ की है। आदेश के क्रम मे अभियुक्त आशीष सागर दीक्षित को मुकदमा अपराध संख्या 0424/22 थाना नगर कोतवाली मे संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया जाता है। अभियुक्त जमानत पर है, उसके द्वारा पूर्व मे दाखिल किए गए जमानतनामा तथा निजी बंधपत्र निरस्त किये जाते है। तथा उसके प्रतिभूगण को दायित्वों से उन्मोचित किया जाता है। बतलाते चलें कि उक्त मुकदमे की पत्रकार की तरफ से पैरवी अधिवक्ता अविनाश पाण्डेय ने की थी।


साजिशकर्ता राजाभैया यादव की असलियत :-

वादी मुकदमा ललिता व गवाह मीरा राजपूत के साथ यौनाचार / दुष्कर्म के आरोप मे साज़िशकर्ता राजाभैया यादव हाल ही मे पांच माह जेल होकर जमानत पर हाईकोर्ट इलाहाबाद से छूटे है। मुकदमा अपराध संख्या 043/2025 थाना अतर्रा एवं 0315/2024 मे चार्जशीट बन चुकी है। जबकि मुकदमा संख्या 0314/24 दिनांक 17 दिसंबर की विवेचना आरोपी राजाभैया के सजातीय विवेचक सीओ अतर्रा प्रवीण यादव के पास विगत 8 माह से लंबित है। पीड़िता इस पर भी हाईकोर्ट की शरण मे है। अर्थात पूरा खाकी तंत्र विवेचक की दृष्टि से नजरबंद है। इसके पूर्व भी 2016 मे अपराध संख्या 037/16 थाना अतर्रा मे राजाभैया के ऊपर उनकी ही कार्यकर्ता विश्वकर्मा परिवार की बेटी ने दुष्कर्म का केस लिखाया था। जिसकी चार्जशीट धारा 354 मे तब्दील होकर अतर्रा कोर्ट मे दाखिल हो चुकी है। उक्त केस भी ट्रायल पर है। विद्याधाम और चिंगारी संचालक राजाभैया यादव ने चिंगारी की पेशेवर महिलाओं से 11 लोगों पर फर्जी मुकदमे लगवाकर समाजकल्याण से आर्थिक सहायता ली है। साथ ही स्वयं इन पर 11 संगीन आपराधिक मुकदमें थाना अतर्रा, नरैनी, नगर कोतवाली बाँदा मे दर्ज है। देखना होगा कि यह सामाजिक नासूर न्यायालय से क्या सजा पाते है जिन्होंने दूसरों के घर बर्बादी का फलसफा एनजीओ की आड़ मे लिखा है।

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