सांडी मौरम खण्ड 77 मे अवैध खनन करने वाले माफियाओं की हमदर्द बने पैलानी थाना पुलिस ने महिला किसान ऊषा निषाद को साज़िश रचकर भेजा जेल… | Soochana Sansar

सांडी मौरम खण्ड 77 मे अवैध खनन करने वाले माफियाओं की हमदर्द बने पैलानी थाना पुलिस ने महिला किसान ऊषा निषाद को साज़िश रचकर भेजा जेल…

इस मामले पर दिनांक 16 मई की खबर का लिंक नीचे है पढ़िए-

https://soochanasansar.in/black-imperialism-of-jackie-habib-siddiqui-azhar-and-anil-in-sandi-village-sand-mining-block-77-in-palani-of-district-banda-bundelakhnd/

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

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बाँदा/बुंदेलखंड। बाँदा की महिला किसान ऊषा निषाद के साथ हुआ यह पुलिसिया / सड़े सिस्टम का हादसा समझने के लिए घटनाक्रम समझना आवश्यक है। क्योंकि पुलिस ने आज दिनांक 17 मई को जारी प्रेस विज्ञप्ति मे इस मौरम खण्ड से जुड़े आंतरिक पहलुओं को छिपाकर महज अपनी बात रखते हुए प्रेस न्यूज़ जारी की है। इस खबर का मुलम्मा यह है कि…

जानकारी अनुसार इस प्रकार है कि सांडी मौरम खण्ड 77 “न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स” कंपनी छतरपुर के फर्म संचालक हिमांशु मीणा और उनके मातहत जैकी, हबीब सिद्दीकी, अजहर, अनिल बंसल आदि द्वारा किसानों की निजी भूमि एवं ग्राम सभा की ज़मीन पर अवैध खनन को लेकर स्थानीय किसानों ने बीते 25 मार्च को सबसे पहले शिकायत की थी। इसके बाद 26 मार्च को मंडल आयुक्त बाँदा श्री अजीत कुमार के समक्ष लिखित पत्र देकर शिकायत की गई थी। इस शिकायत से बौखलाहट मे मौरम खण्ड संचालक हिमांशू मीणा के उक्त चारों कारखास व अन्य मिलकर 27 मार्च को मौरम खण्ड के भारीभरकम गड्ढो को भर दिए थे। जिसकी वीडियोग्राफी स्वयं किसानों द्वारा की गई। वहीं इसी दिन अपर आयुक्त बाँदा ने मंडल आयुक्त के निर्देश पर मौरम खण्ड में छापेमारी की थी लेकिन कुछ खास नही हुआ और कहानी रफादफा कर दी गई। गौरतलब है कि मौरम खण्ड 77 का ठेकेदार हिमांशु मीणा अपने साथियों क्रमशः जैकी, हबीब सिद्दीकी, अजहर और अनिल बंसल के साथ मिलकर प्रतिबंधित अर्थ मूविंग मशीनों से नदी की बीच जलधारा मे खनन करता है। इस खदान मे सारे नियम कानून ताक पर रखकर अवैध खनन कराया जाता है। बतलाते चले कि दिनांक 29 मार्च को श्रीमती जे.रीभा स्वयं मौरम खण्ड पहुंची और मौके पर जांच की गई। उन्होंने खनिज अधिकारी राज रंजन,खपटिहा चौकी प्रभारी,तहसीलदार राधेश्याम, एसडीएम साहब को बुलाया और दिशानिर्देश देते हुए नियम संगत खनन करने की हिदायत दी थी। वहीं प्रेस विज्ञप्ति जारी करके सांडी खंड 77 व खपटिहा कला के विरुद्ध नोटिस जारी करने की बात लिखी गई।

यहां यह बतलाना समसामयिक है कि खान अधिकारी ने आज तक उक्त दोनों खदानों पर प्रेस विज्ञप्ति के क्रम मे कोई कार्यवाही नही की। उल्टा सांडी खंड 77 का अवैध खनन और ज्यादा बेलागम कर दिया गया। दिनांक 9 अप्रैल को एसडीएम पैलानी व सीओ सदर खण्ड 77 सांडी गए और अवैध खनन देखा। वहां भी किसान मौजूद थे। लेकिन मौरम खंड की रुतबेदारी पर कुछ नही किया गया। इधर गत 12 मई को पुनः किसानों ने सांडी खण्ड 77 जाकर वीडियोग्राफी की और अपनी खेतिहर सब्जी की भूमि व ग्राम सभा के खंड पर अवैध खनन करने की गतिविधियों पर आला अफसरों को दिनांक 13 मई को बताया। साथ ही 15 मई को महिलाओं ने जल सत्याग्रह किया। उधर सोशल मीडिया टिवीटर एक्स हैंडल पर डीएम बाँदा सहित प्रदेशभर के माननीयों को टैग किया गया लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई। विडंबना है कि ज़िले की तीन प्रमुख अखबार अमर उजाला,दैनिक जागरण, हिंदुस्तान सहित बड़े-छोटे चैनल खामोश रहे। वहीं पत्रकार अनवर राजा रानू ने किसान की बात टिवीटर तक पोस्ट की और सवाल खड़े किए गए।

  • 16 मई को किसान खेतो पर धरना कर रहे थे तब पुलिस ने बर्बरता से उठाया….

आंदोलन के क्रम मे महिलाओं ने दिनाँक 16 मई को अपने निजी भूमि पर बैठकर गांधीवादी रस्ता इख्तियार किया और उपवास किया। इधर रसूखदार हिमांशु मीणा / मल्होत्रा ग्रुप के चारों बन्दों ने मौरम शागिर्द की साज़िश पर खपटिहा पुलिस चौकी से फोर्स बुलाई। उन्होंने महिलाओं के मोबाइल फोन छीन लिए ताकि वीडियोग्राफी न हो सके। वहीं एसडीएम पैलानी, एसएचओ पैलानी,तहसीलदार राधेश्याम ने मानसिक दबाव को महिलाओं पर प्रेसर बनाया। महिलाओं के नियंत्रण पर न आने की बात पर तहसीलदार ने महिला किसान नेत्री ऊषा निषाद को अशोभनीय शब्द से नवाजा और अपना पावर दिखलाने की हनक दी गई। इसकी रिकार्डिंग व 16 मई को हुए प्रशासनिक कृत्यों के फोटोग्राफ महिलाओं के मोबाइल पर है। जो पुलिस अपने कब्जे मे लिए है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने भी ‘द वायर’ के संपादक गिरफ्तारी मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी या पूछताछ पर उसके घर से अथवा उससे सूचना उपकरण/डिवाइस/कम्प्यूटर से छेड़छाड़ को गैरकानूनी कदम करार दिया है। अपरान्ह 2 से 3 बजे के बीच महिलाओं को पुलिस ने गिरफ्त में लिया। वहीं देरशाम धारा 151 के मुचलके पर छोड़ दिया गया। किसान ऊषा निषाद सहित तीन किसानों के मोबाइल पुलिस ने जप्त किये थे जिसको लेने के वास्ते आज सुबह 7 बजकर 37 मिनट पर महिला किसान ऊषा निषाद खपटिहा कला चौकी अपने भतीजे सर्वेश के साथ पहुंची थी। बकौल सर्वेश निषाद बतलाते है कि उन्होंने बुआ ( ऊषा निषाद) को चौकी के बाहर छोड़ दिया था। इसके बाद दो घण्टे इंतजार किया गया। इस बीच चौकी पुलिस सांडी की तरफ जाती है। वहीं ऊषा निषाद पुलिस की गाड़ी मे अकेले थाना पैलानी पहुंचती है। सर्वेश कहते है कि उनके तहसील अधिवक्ता ने बताया कि ऊषा निषाद को पुलिस व स्थानीय प्रशासन ने षड्यंत्र रचकर झूठा मुकदमा अपराध संख्या 114/2025 धारा 308 (6)/351 (2) बीएनएस दर्ज करके कुचक्र रचा गया है। सांडी खंड 77 खदान के इंचार्ज विजय साचान की तहरीर पर खदान वालों से 50 हजार रुपया वसूली व दुष्कर्म के केस मे फंसाने की धमकी का आरोप मढ़ते हुए ऊषा निषाद को आज 17 मई के दिन चलान काटकर जिला कारागार भेज दिया है।

  • सारे नियम कानून ताक पर और मौरम माफिया को इतनी छूट…

महिलाओं के साथ इतनी बर्बरता और किसानों की निजी भूमि / ग्रामसभा की ज़मीन पर 24 घण्टे चलता अवैध खनन इतना प्रबल नेटवर्क संचालित करता है। कि उत्तरप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी व जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह जी, माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के नदियों को माता कहने का दम्भ चकनाचूर होता है। वहीं खनिज एक्ट की उपधारा 41-ज, पर्यावरण जल/वायु एनओसी की शर्तों सहित लीज होल्डर एग्रीमेंट की शर्तें बौनी साबित होती है। मौरम खण्ड सांडी 77 मे हाथी बराबर गहराई तक अवैध खनन किया जा रहा है। वहीं खेती की उपजाऊ भूमि पर डीएम के निर्देश बिना हबीब सिद्दीकी के नाम किसानों की भूमि का रस्ते के लिए अनुबंध किया गया है। स्थानीय मीडिया मैनेजमेंट को बाकायदा फर्म संचालक के हमदर्द हर महीने भुगतान करते है। साक्ष्य के स्वरूप सोना खदान से मिली 86 लोगो की लिस्ट इसकी बानगी है। महिला किसान ऊषा निषाद पर लगातार इस तरह यातनापूर्ण पुलिसिया उत्पीड़न बुंदेलखंड के #बाँदा मे केन नदी को छलनी करने वालों की नेटवर्किंग औऱ साजिशों का खुलासा करती है। तब जबकिं ज़िले मे एक महिला जिलाधिकारी मौजूद है। उन्होंने भी विगत 25 मार्च से आज तक इस खदान पर न्यायोचित कार्यवाही नही की है। महिलाओं व किसान नेत्री के साथ बाँदा मौरम माफिया यह पहली बार नही किये है। खैर जेल से छूटने के बाद महिलाओं / किसानों की शुभचिंतक ब्यूरोक्रेसी प्रदेश सरकार व न्यायालय को क्या उत्तर देगी यह गौर करने वाली बात होगी। क्योंकि तीन माह मे जीपीएस कैमरों की वीडियोग्राफी अवैध खनन का ज़िंदा सबूत है।

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