@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
“बाँदा के पैलानी तहसील के ग्राम सांडी मे मौरम खंड 77 से हलकान निजी भूमि के किसानों ने क्रमशः सबसे पहले दिनांक 25 मार्च 2025 को डीएम बाँदा श्रीमती जे.रीभा से भेंट करके शिकायत की थी। फिर 26 मार्च को मंडल आयुक्त अजीत कुमार से मिलकर मांगपत्र दिया। जिसके क्रम मे दिनांक 27 मार्च को अपर आयुक्त के मौके पर पहुंचने से पूर्व ही 11 पोकलैण्ड मशीनों से हाथी बराबर गड्ढे पूर दिए गए। किसानों ने स्वयं यह वीडियोग्राफी की और सोशल मीडिया सहित आला अधिकारियों को व्हाट्सएप किया गया। वहीं 29 मार्च को हलचल से डीएम बाँदा खुद सांडी व खपटिहा कला खदान पहुंची थी। उन्होंने जरिये खनिज अधिकारी दोनों मौरम खण्डों पर कार्यवाही को विज्ञप्ति जारी कराई थी लेकिन खान अधिकारी ने दबाकर रख लिया। इधर दिनांक 9 अप्रैल को एसडीएम पैलानी व सीओ सदर दोनों ही सांडी खण्ड 77 पहुंचे उन्होंने मौके पर भारी अवैध खनन देखा लेकिन कार्यवाही नही की गई। इधर अनवरत खण्ड सांडी 77 की फर्म न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स छतरपुर रातदिन प्रतिबंधित अर्थ मूविंग पोकलैण्ड से खनन करती रही। फर्म मालिक हिमांशू मीणा को मध्यप्रदेश के नामीगिरामी माइनिंग ठेकेदार मल्होत्रा ग्रुप का आशीर्वाद प्राप्त है। यही ग्रुप एमपी मे पन्ना व छतरपुर तक केन नदी को भारीभरकम मशीनों से चीर रहा है।”
गौरतलब है कि दिनांक 12 मई को सांडी खण्ड से प्रभावित किसानों ने मौरम खंड जाकर पुनः वीडियो बनाये एवं 13 मई को बाँदा डीएम श्रीमती जे.रीभा व मंडल आयुक्त श्री अजीत कुमार को एक बार फिर जगाने की जद्दोजहद मे शिकायत पत्र दिया है। महिलाओं ने इस कड़ी मे 15 मई को सांकेतिक जल सत्याग्रह किया लेकिन मौके पर कोई प्रशासनिक अधिकारी नही गया।
बाँदा। यूं तो बाँदा मे इस वक्त 17 मौरम खदानों मे अवैध खनन का रामराज्य है। सूबे के मुख्यमंत्री जी स्थानीय अधिकारियों की फीलगुड जनसुनवाई एवं आईजीआरएस निस्तारण कार्यशैली से प्रसन्न है। वहीं हर मंगलवार को केन नदी की आरती सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी के सांगठनिक लोग करते है। लेकिन एक बार भी केन की मंगल आरती दो दर्जन मौरम खदानों की परिधि मे जाकर करने का साहस यह ज़िम्मेदारी लिए कद्दावर लोग नही कर सके। वहीं ज़िले के अखबारी जल पुरुषों / पद्मश्री से इस बात की उम्मीद कभी मत करिए कि वे इन मौरम खण्डों मे उपस्थित होकर प्रशासन से सवाल पूछेंगे। अलबत्ता ज़िले का अवैध खनन कभी किसी की सरकार मे न रुका था और न रुकेगा। बावजूद इसके कलमकारों को 200 की संख्या बढ़ाने के उपकार मे मासिक रेवड़ी से इतर सवाल पूछने का माद्दा तो रखना ही चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पैलानी के ग्राम सांडी खंड 77 मे जिस तर्ज पर रातदिन केन नदी का मर्दन किया जा रहा है वह अपने आप मे ज़िले की सियासत और सफेदपोश लोगो के माननीय होने पर यक्ष प्रश्न खड़ा करती है। इस खदान से जुड़े हिमांशू मीणा के अफलातून अवैध खनन खिलाड़ी जैकी,हबीब सिद्दीकी,अजहर और अनिल ने बाँदा के सांडी गांव (बगीचा डेरा) से गढ़ा गंगा पुरवा (हमीरपुर) तक दो धर्मकांटो की धमाचौकड़ी मचाकर अवैध खनन का तांडव मचा रखा है। कहना अतिश्योक्ति पूर्ण नही है कि अगले पांच साल मे यह इलाका पूरी तरह भूगर्भीय जल संकट का प्रमुख केंद्र बनेगा। यह अलग बात है कि इसी पैलानी तहसील और तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र से सूबे के जलशक्ति राज्य मंत्री जी आते है। लेकिन ग्राम सांडी मे चुनावी संघर्ष पर वोट मांगने की जुगत पर आज का खनन कारोबार भारी है।
क्या है खनन के मानक-
- नदी मे 3 मीटर तक खनन मान्य है। वहीं जहां पानी कम होगा खनन नही किया जाएगा।
- पोकलैण्ड / जेसीबी सिर्फ मौरम लोडिंग व अन-लोडिंग का कार्य करेंगी।
- खदान संचालक खनन क्षेत्र का सीमांकन कराने के बाद उसकी हद मे खनन करेगा।
- सूर्यास्त के बाद खनन नही होगा। व परिवहन निकासी पर धर्मकांटा मे सीसीटीवी की निगरानी पर तौल होगी।
- खनिज एक्ट की उपधारा 41-ज का अनुपालन किया जाएगा। पर्यावरण एनओसी जल/वायु का उल्लंघन नही होगा।
- खनन प्रभावित गांवों मे खनिज न्यास फाउंडेशन की शर्तें व लीज शर्ते पूरी की जाएगी।
क्या किसी खदान मे उक्त बातें व दिशानिर्देश धरती पर क्रियाशील है ? यदि नही तो इसका सीधा ज़िम्मेदार खनिज विभाग एवं पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड है। शेष काम मीडिया व प्रशासन की जुगलबंदी तय कर रही है।
देखना होगा कि नदी व जल संरक्षण के पुरुषार्थ मे प्रशासन जैकी, हबीब सिद्दीकी, अजहर और अनिल के कारनामों से कैसे निपटती है। ग्राम सांडी के खंड 77 की इबारत बहुत लंबी है जिसको इतने ही शब्दो पर लिखकर फिलहाल विराम दे रहें है।