इस मामले पर 5 मई को लिखी खबर नीचे लिंक मे पढ़े-
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
बाँदा सदर विधानसभा 235 के विधायक प्रकाश द्विवेदी ने पत्रांक संख्या एमएलए/523 दिनांक 05.11.2024 एवं जिला पंचायत सदस्यों की शिकायत संदर्भ पत्र विशेष सचिव उत्तरप्रदेश शासन पंचायतराज अनुभाग-2 लखनऊ के पत्रांक संख्या 33-2099/252/पंचायतराज अनुभाग-2 दिनांक 22.04.25 के क्रम मे श्रीमती सुजाता देवी,मीरा देवी, सदाशिव अनुरागी आदि ने दिनांक 20.10.2024 को प्रमुख सचिव के समक्ष जरिये ज्ञापन शिकायत की थी। जिसमें बाँदा ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील सिंह पटेल व तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी (एमए) पर वित्तीय भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगे थे।
लखनऊ/बाँदा। चित्रकूट मंडल के बाँदा मे तहबाजारी की आड़ मे ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील सिंह पटेल व अपर मुख्य अधिकारी ने अवैध वसूली का रामराज्य स्थापित कर दिया। प्रथम बार चुनाव लड़कर सीधे ज़िला पंचायत अध्यक्ष बने सुनील सिंह पटेल यदि कुछ वर्षों पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बने होते तो क्या होता ?
जब लाल बत्ती से सुशोभित ताकतवर ज़िला पंचायत अध्यक्ष होते थे। जब विधानसभा एमएलए और जिलाधिकारी ज़िला पंचायत अध्यक्ष के राजनैतिक ‘पावर’ पर नतमस्तक हो जाते थे। ज़िला पंचायत अध्यक्षों की लाल बत्ती छिन जाने से यह तो हुआ कि आज सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक व ताकत मे अकेले कम लेकिन एकजुटता होने पर बेहद ताकतवर हो जाने वाले ज़िला पंचायत सदस्यों ने बाँदा तहबाजारी की लूट, वित्तीय भ्रष्टाचार का खुलासा कर दिया है। बाँदा मे जब ज़िला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव इस बार हुआ तो ओबीसी कोटे से सीट आरक्षित हो चुकी थी। ऐसे मे पिछड़ावर्ग से नया और निर्विवादित चेहरा सदर विधायक और पार्टी संगठन को बबेरू क्षेत्र से सुनील सिंह पटेल नजर आए। भाजपा पार्टी पदाधिकारीयों ने इन पर भरोसा जताया और टिकट भी दिला दिया। यहां तक कि पूरा चुनावी वित्तीय व्यवस्था सदर विधायक खेमे से रही। एक बारगी ऐसा लगता यह था कि यह चुनाव सदर विधायक ही लड़ रहें है। सुनील पटेल जिला पंचायत अध्यक्ष बने तो उनकी नई छवि से सकारात्मक व ईमानदार राजनैतिक दस्तक की जनता ने ख्वाहिश पाल ली थी।
उधर बाँदा तहबाजारी का ठेका कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित के हाथों से नए वित्तीय वर्ष 2023-24 मे टेंडर के फलस्वरूप शक्ति सिंह (कभी पूर्व विधायक स्वर्गीय विवेक सिंह के खास रहें है। वर्तमान मौरम कारोबार से परोक्ष नातेदारी है।) को मिल चुकी थी। शक्ति सिंह का स्वभाव सत्ता के माननीयों को पकड़ कर अपना व्यवसाय हित साधना रहता है। उन्होंने कारोबारी कूटनीति के तहत सदर विधायक जी से मनबढ़ रिश्ते मजबूत किये और तहबाजारी का साम्राज्य फलने-फूलने लगा। ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील सिंह पटेल व सदर विधायक गुट की प्रारंभ मे बढ़िया निभती रही। तहबाजारी ठीक चल रही थी। कागजों मे सुनील सिंह पटेल व एमए/अपर मुख्य अधिकारी के हस्ताक्षर से ही सब वित्तीय काम सफल-सुमङ्गल हो रहे थे लेकिन सदर विधायक और सुनील सिंह पटेल के राजनैतिक रिश्तों मे भांग क्या पड़ी तहबाजारी का खुला खेल भ्रष्टाचार की किलेबंदी को ध्वस्त करने लगा। सूत्रधार बतलाते है कि इसका एक कारण राजनैतिक रूप से सुनील सिंह पटेल का खुद को कद्दावर समझने की भूल भी थी। क्योंकि उनके किंगमेकर सदर विधायक है यह जनता बखूबी जानती है। अलबत्ता दोनों के कद मे बड़ा फासला खिंचने की गारंटी खुद सुनील सिंह पटेल ने दे दी।
ज़िला पंचायत की बैठक मे सामने आई रार-
सदर विधायक बाँदा और जिला पंचायत अध्यक्ष का राजनैतिक प्रतिद्वंद्व बीते कुछ माह पूर्व जिला पंचायत की उस बैठक मे सामने प्रकट हुआ जिसमें ज़िला पंचायत सदस्य भारत सिंह ने भरे सभागार मे सीडीओ वेद प्रकाश मौर्या,अपर मुख्य अधिकारी, सदर विधायक,ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल और अन्य सदस्यों के सामने तहबाजारी के काले भ्रष्टाचार व निर्माण कार्यो मे निर्वाचित सदस्यों को असमानता से उनके क्षेत्र मे विकास के काम न देने का आरोप लगाया। बात तर्कपूर्ण रखी गई थी तो सुनील पटेल अकेले पड़े और बिना कुछ कहे तल्ख अंदाज मे सभागार से उठकर चले गए। बाद मे सदस्य भारत सिंह ने मीडिया को अपना पक्ष रखकर पूरी बात कही। उधर ज़िला पंचायत अध्यक्ष ने भी प्रेसवार्ता करके साफगोई पेश करने की कवायद रखी। सभागार मे सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी व जिला पंचायत की मुखरता से खटास उभरकर उजागर हो गई। फिर क्या था ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल के वित्तीय घोटाले (हस्ताक्षर तो उनके है और अपर मुख्य अधिकारी के तो फसेंगे वही) की परतों का कच्चाचिट्ठा मंडल आयुक्त के देहरी से जिला अधिकारी तक पहुंचा। विगत 29 अक्टूबर 2024 को भारत सिंह, सुजाता देवी, मीरादेवी, सदाशिव अनुरागी आदि ने एक शिकायत पत्र देकर इस मामले पर मुख्य सचिव स्तर पर जांच की मांग कर डाली। वहीं सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने भी एक शिकायत पत्र प्रेषण करके गत 5 नवम्बर 2024 को शिकायत की और जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल के कार्यकाल मे तहबाजारी के गबन की गहनता से जांच कर कार्यवाही करने की मांग उठाई।
मंडल आयुक्त अजीत कुमार ने गठित की जांच कमेटी तो खुलासा हुआ-
ज़िला पंचायत सदस्यों और सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी की लिखित शिकायत पर मंडल आयुक्त ने एक जांच कमेटी सीडीओ वेदप्रकाश मौर्या के नेतृत्व मे बना दी। उन्होंने प्रारंभिक जांच आख्या तलब की। वहीं सीडीओ स्तर पर कई बार अनुस्मारक पत्र भेजकर शिकायत कर्ताओ और जिला पंचायत अध्यक्ष से भी अभिलेखीय दस्तावेज मांगे गए। लेकिन ज़िला पंचायत अध्यक्ष ने उपलब्ध नही कराए। वहीं सुनील पटेल ने शिकायत कर्ताओं के पत्र पर कुछ सदस्यों मसलन सुजाता देवी, मीरा देवी के हस्ताक्षर फर्जी होने का डीएम से दावा किया। इस कड़ी मे बीते सोमवार 5 मई 2025 को पुनः जिला पंचायत सदस्य भारत सिंह, सुजाता देवी, मीरा देवी ने हस्तक्षेप करते हुए हस्ताक्षर युक्त हलफनामा डीएम कार्यालय मे देकर तहबाजारी मे 3.5 करोड़ के वित्तीय गबन की जांच मे अविलंब कार्यवाही का मुद्दा गर्म कर दिया। सनद रहे कि सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी मुताबिक तहबाजारी का यह घोटाला लगभग 6.5 करोड़ आंका जा रहा है। इसमें ज़िला पंचायत अध्यक्ष पर सख्त कार्यवाही करने की पुरजोर आवाज उन्होंने बुलंद की है। ज़िले मे तहबाजारी ने सियासी भ्रष्टाचार को सड़क पर ला दिया है।
मंडल आयुक्त और डीएम बाँदा का पत्र-
शिकायत कर्ताओं के पूर्व पत्रों एवं विशेष सचिव पंचायत राज अनुभाग 2 राजेश त्यागी के निर्देश पर चित्रकूट धाम मंडल आयुक्त अजीत कुमार ने बाँदा डीएम को दिनांक 24 अप्रैल 2025 को पत्रांक संख्या 1951/21-एलबीए-जांच/2025-26 दिनांक 24 अप्रैल का पत्र प्रेषित करके जांच आख्या तलब की है। वहीं मंडल आयुक्त के पत्र सन्दर्भ पर जिलाधिकारी श्रीमती जे.रीभा ने पत्रांक संख्या 2407/आशु.-अ.ज़ि.अ. दिनांक 28 अप्रैल को पत्र जारी किया है। उन्होंने एक सप्ताह मे अपर मुख्य अधिकारी व जिला पंचायत अध्यक्ष से आरोप व जांच विषयक उनका पक्ष / स्पष्टीकरण मांग लिया है।
सुनील पटेल की तहबाजारी का भ्रष्टाचार-
शिकायत कर्ताओ ने एक लगायत दस बिंदुओं पर शिकायत की जिसमे प्रारंभिक जांच फरवरी माह मे सीडीओ की कमेटी ने पूरी कर ली है। इस जांच आख्या रिपोर्ट की मानें तो बाँदा तहबाजारी का ठेका वित्तीय वर्ष 2023-24 मे शक्ति सिंह की फर्म को हुआ है। अंदरखाने मे यदि जांच पारदर्शी हो तो शक्ति सिंह की फर्म भी गंगाजल नही है। जिसमे ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील सिंह पटेल व अपर मुख्य अधिकारी की सांठगांठ से करोड़ो रुपया ठिकाने लगा दिया गया। जांच आख्या मुताबिक तहबाजारी ठेका 4,97,58,814 रुपया का हुआ था। वहीं जिला पंचायत बाँदा वित्तीय साल 2023-24 मे मात्र 2,58, 65,021 रुपया आमदनी हो सकी। उक्त भ्रष्टाचारियों ने राजस्व मे घालमेल कराया जिससे सरकार को कुल 2,38,93,793 रुपया का सीधा नुकसान हुआ है। गौरतलब है कि तहबाजारी के अंतर्गत परिवहन से राजस्व वसूली संशोधित दरों अनुसार पशुओं द्वारा खींचे जाने वाले गाड़ी का शुल्क 10 रुपया प्रति फेरा, मानव चालित नाव का 20 रुपया प्रति फेरा, ट्रैक्टर ट्राली का 100 रुपया प्रति फेरा, मिनी ट्रक ( लाइट्स गुड्स व्हीकल्स) 200 रुपया प्रति फेरा, ट्रक (लाइट्स गुड्स व्हीकल 6 चक्का) 300 रुपया प्रति फेरा, भारी ट्रक (हैबी गुड्स व्हीकल्स 10 चक्का से ऊपर) से 400 रुपया प्रति फेरा लेने का प्रावधान किया गया है। शिकायत कर्ताओं ने निर्धारित शुल्क 200 रुपया (दर अनुसार मिनी ट्रक) पर 400 रुपया वसूली करने का आरोप लगाया है। अब सवाल यह कि जब मिनी ट्रक पर 400 रुपया लिया गया जैसा परिवहन दरों का रेट है। तब 6 चक्का अथवा 10 चक्का पर कितनी मनमानी वसूली की गई यह भी जांच होनी चाहिए। क्योंकि यह कैसे संभव है कि शुल्क निर्धारण मुताबिक आप भ्रष्टाचार करते हुए 6 चक्का व 10 टायर्स परिवहन से भी 400 रुपया ही ले रहे होंगे ? जब मिनी ट्रक पर शुल्क 200 प्रति फेरा का निर्धारण किया गया है और हैबी व्हीकल्स पर 400 रुपया। तो भ्रष्टाचार तो दस चक्का से ऊपर वाले परिवहन / ओवरलोडिंग मौरम-गिट्टी परिवहन पर भी हुआ होगा। क्या सदर विधायक के आरोप सही है कि यह मामला 6.5 करोड़ का है जिसको जांच अधिकारियों ने 3.5 करोड़ पर समेट दिया है ? यदि साढ़े 3 करोड़ की जगह साढ़े 6 करोड़ हजम हुए है तो आप समझ सकते है कि बाँदा मे तहबाजारी का सिंडिकेट बनाम अवैध खनन और ओवरलोडिंग / एनआर परिवहनों का काला नेटवर्क कितना मजबूत है !!! बाँदा की 15 मौरम खदानों पर सफेदपोश लोगों / ठेकेदारों का रसूख काम करता है।
अवैध तहबाजारी और अवैध खनन की तिजारत ने बाँदा वासियों का दुर्भाग्य ‘भ्रष्टाचार के भाग्यविधाता’ के सहारे छोड़ रखा है। क्या ज़ीरो टॉलरेंस का दम्भ भरने वाले मुख्यमंत्री योगी जी ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल पर यथोचित कार्यवाही व रिकवरी करेंगे ? अपर मुख्य अधिकारी मलाई खाकर स्थांतरण करा लिए लेकिन इनसे सरकारी धनराशि के बंदरबांट की वसूली कौन करेगा महाराज जी ? केन का दुर्भाग्य ज़िला पंचायत के माननीय सुनील सिंह पटेल ने क्या यूं ही तय कर दिया है जो बसपा व सपा मे भी नही था ?
उल्लेखनीय है इसलिए ज़िले का बेखौफ खनन माफिया ओवरलोडिंग व अवैध खनन से बाज नही आता है। वहीं जुर्माना उनके लिए हास्यास्पद बन चुका है। केन के रक्तबीजों ने तहबाजारी के अवैध उठान से जनता का भविष्य गर्त मे मिला दिया है। देखना यह होगा कि सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी एवं ज़िला पंचायत सदस्यों सुजाता, मीरा आदि की पहल से इस अनैतिक भ्रष्टाचार पर कितनी प्रभावी कार्यवाही बाँदा डीएम श्रीमती जे.रीभा करती है।