
@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- बाँदा ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल तहबाजारी समेत अन्य आरोपों मे मिले दोषी।
- महोबा डीएम गजल भारद्वाज ने 6.21 करोड़ रुपया के भ्रष्टाचार पर लगाई मोहर।
- पूर्व मे भी हो चुकी है वित्तीय घोटाले की जांच लेकिन तहबाजारी वसूली के टेंडर धारक शक्ति सिंह पर किसी ने कोई प्रश्नचिन्ह खड़ा नही किया है।
- ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने सदर विधायक के खिलाफ खोला मोर्चा 120 करोड़ की हेराफेरी के लगाए आरोप।
- राजनीतिक वर्चस्व की नूराकुश्ती मे बीजेपी का दंगल, विधानसभा 2027 मे नही करेगा शुभमंगल।
बाँदा। बाँदा तहबाजारी घोटाले की खबरें एक बार फिर फ़ाइलगार्ड से बाहर निकल आई है। बाँदा मंडल आयुक्त अजीत कुमार ने तत्कालीन मंडल आयुक्त बालकृष्ण त्रिपाठी जी के स्थान्तरित होने के बाद अपने पदभार पावर का उपयोग किया। उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल मामलें की जांच महोबा डीएम गजल भारद्वाज को सौंप दी थी। इधर बाँदा डीएम जे.रीभा जी पर शायद मंडल आयुक्त को भरोसा नही था। या फिर वे किसी माननीय के पावरजैक से प्रभावित रहीं हो ऐसा प्रतीत होता है। किंतु सूचना संसार इसकी पुष्टि नही करता है। अलबत्ता यह जांच महोबा डीएम से कराई गई है और आख्या अब मंडल आयुक्त के पास है। मामलें की पुरानी तह खोलने से आप पाएंगे कि बाँदा खनिज परिवहन शुल्क मे मनमानी वसूली समेत अन्य आरोप के घेरे मे ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल थे। उन पर 6.21 करोड़ की अवैध वसूली का ठीकरा फोड़ा गया था।

काबिलेगौर है कि गत 26 अक्टूबर 2024 को जिला पंचायत अध्यक्ष की शिकायत सदर विधायक गुट के जिला पंचायत सदस्य क्रमशः सुजाता राजपूत, नीरज प्रजापति, अरुण पटेल ने तत्कालीन मंडल आयुक्त बालकृष्ण त्रिपाठी जी से की थी। शिकायत मे लिखा गया था कि जिला पंचायत अध्यक्ष ने नियमो को ताक पर रखकर 2021-22 के लिए खनिज परिवहन करने वाले ट्रकों से वसूली को 8.21 लाख रुपये की निविदा जारी की थी। इसमें प्रति परिवहन 200 रुपया के स्थान पर 400 रुपया वसूली का प्रावधान रखा गया। वहीं इसके बाद 2022-23 मे 2.7 करोड़ रुपये मे टेंडर जारी किए गए। शिकायत कर्ता आरोप लगाए की जिला पंचायत अध्यक्ष ने 6.21 करोड़ रुपया की वित्तीय गड़बड़ी की है। उन्होंने ऐसा धन लाभार्जन के लिए किया। ज़िला पंचायत मामलें पर तत्कालीन मंडल आयुक्त ने तीन सदस्यों की जांच कमेटी सीडीओ के नेतृत्व मे गठित की थी। यह जांच जब पूरी हुई तो ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी /एमए सत्येंद्र सिंह, वित्तीय परामर्श दाता पंचानन वर्मा और कमल प्रताप दोषी मिले। गौरतलब है कि उक्त जांच को जिला अधिकारी स्तर का अफसर जब तक जांच न ले उसे प्रभावी न मानते हुए बाँदा जिलाधिकारी को जांच दी गई थी।
जांच आख्या पर निपटे थे अधिकारी-
तहबाजारी वसूली गबन मामलें पर तत्कालीन सीडीओ वेदप्रकाश मौर्या की टीम द्वारा दी जांच आख्या पर जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल को दोषी माना गया था। इनके साथ एमए सत्येंद्र सिंह, वित्तीय परमार्थ दाता पंचानन वर्मा, कमल प्रताप दोषी मिले थे। जिसमें कार्यवाही हुई तो एमए सत्येंद्र सिंह व परामर्श दाता पंचानन वर्मा का ट्रांसफर हुआ था। वहीं कमल प्रताप का निलंबन किया गया।
महोबा डीएम की जांच रिपोर्ट पर सुनील पटेल बिफरे-
मंडल आयुक्त अजीत कुमार जी ने जब महोबा डीएम गजल भारद्वाज से 6.21 करोड़ के गबन की जांच कराई तो उन्होंने भी पूर्व जांच रिपोर्ट पर मोहर लगा दी। जिसके मुताबिक एक बार पुनः सुनील पटेल निशाने पर है। मीडिया मे जब यह खबर छपी तो सुनील पटेल ने मंगलवार को प्रेसवार्ता कर डाली। उन्होंने कहा कि सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी जी के प्रभाव मे लोकल अफसर काम कर रहें है। उनके पत्राचार पर ध्यान नही दिया जाता है। वहीं ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने पंचायत सभागार की प्रेसवार्ता मे कहा कि वर्ष 2018-19 मे उन्होंने जांच की मांग उठाई थी जो सुनी नही गई। उन्होंने सदर विधायक पर आक्षेप लगाते हुए कहा कि जब श्रीमती सरिता द्विवेदी जी ज़िला पंचायत अध्यक्ष थी तब वर्ष 2017-18 मे 3 करोड़ 66 लाख की बोली हुई थी। वहीं 2018-19 मे 1 करोड़ 15 लाख की बोली स्वीकृति मिली।, इसके अतिरिक्त वर्ष 2019-20 मे 1 करोड़ 70 लाख की बोली लगी। 2020-21 मे 2 करोड़ 12 लाख की बोली हुई थी तब किसी ने सवाल खड़े नही किये थे। तब माननीय ने अपने मनमाफिक ठेकेदार चुना और तहबाजारी का ठेका हुआ था। ज़िला पंचायत अध्यक्ष ने सदर विधायक की धर्मपत्नी श्रीमती सरिता द्विवेदी जी के कार्यकाल मे ज़िला पंचायत को 120 करोड़ रुपये की चपत लगने का दावा किया है। वहीं कूटरचित हस्ताक्षर से निर्माण कार्य, तहबाजारी के ठेके पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। जिसको सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने एकसिरे से खारिज किया है। लेकिन तत्कालीन तहबाजारी ठेकेदार राजेश दीक्षित के कार्यकाल मे भी 200 की पर्ची पर 300 रूपया परिवहन वसूली ग्राम मरौली व अन्यत्र की गई थी। तब भी संवाददाता ने वीडियोग्राफी करके मामले को खोला था। किंतु हर पार्टी के नेताओं का रुपया तहबाजारी ठेकेदार / कंपनी पर लगा होता है इसलिए कौन किस पर कार्यवाही करा सकता है जबतक व्यक्तिगत खुन्नस या प्रतिस्पर्धा साबित न हो ?

वर्तमान तहबाजारी ठेकेदार शक्ति सिंह को कौन बचा रहा है-
ज़िला पंचायत सुनील पटेल पर जांच मे 6.21 करोड़ के गबन व अवैध वसूली का आरोप लगा है। जांच मे तीन अधिकारी भी संलिप्त है। किंतु क्या तहबाजारी ठेकेदार शक्ति नारायण सिंह का इसमें कोई रोल नही है ? शक्ति सिंह की फर्म ही बाँदा तहबाजारी चलाती है। प्रति गाड़ी 200 की जगह यदि 400 रुपया वसूली खनिज परिवहन से हुई है। तो क्या बिना ठेकेदार की मर्जी के जिला पंचायत अध्यक्ष ऐसा करा सकतें है ? क्या तहबाजारी ठेकेदार एवं उससे जुड़े कम्पनी के हिस्सेदार इस गबन के परोक्ष खिलाड़ी नही है ? पर्दे के पीछे जिन नेताओं का रुपया तहबाजारी ठेके लेने मे लगता है उनके नाम खुलासे न भी हो लेकिन टेंडर लेने वाले व्यक्ति/फर्म को जांच मे छोड़ना अथवा शामिल न करना किसी दबाव की तरफ इशारा करता है। या फिर यह तिलिस्मी खेल है जिसमें शक्ति सिंह की कोई भूमिका नही रही होगी। बरहाल विधानसभा चुनाव 2027 के दो साल बचे हैं। ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल भी बबेरू क्षेत्र मजबूत करना चाहते हैं। पटेल बिरादरी से वे युवा नेता है। जाहिर है जातीय समीकरण व कद की महत्वाकांक्षी इक्षा प्रबल होती है। लेकिन जिसने ज़िला पंचायत अध्यक्ष चुनाव मे धनबल दिया, राजनीतिक इकबाल दिया हो वह अपने कद का दूसरा माननीय ज़िले मे कैसे पनपने देगा ? सियासत मे कुछ भी स्थाई नही होता है। मतभेद और दल टिकट के साथ बदलते रहते है। अतः देखना यह मुनासिब होगा कि बीजेपी से जुड़े दो कद्दावर माननीयों की यह नूराकुश्ती किस मोड़ तक जाती है। उधर अधिकारी / मंडल आयुक्त जांच रिपोर्ट के बाद क्या निर्णय लेते है। क्या ज़िला पंचायत अध्यक्ष के अधिकार सीज होंगे ? तब जबकिं एक महिला ज़िला पंचायत सदस्य मीराबाई पटेल ने आरोप लगाया कि उन्हें सदर विधायक से जान का खतरा है। क्योंकि वह विकास कार्य के मद्देनजर वर्तमान ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल के साथ है इसलिए उन्हें धमकी मिलती रहती है। बतलाते चले कि जिला पंचायत सदस्यों मे दो गुट है जिसमें एक का नेतृत्व भरत सिंह व सदाशिव अनुरागी की टीम करती है। भरत सिंह ने ही पिछली दफा पंचायत सभागार मे सुनील पटेल को सवालों से घेर लिया था। यह वीडियो मीडिया मे खूब चला था। यह सदर विधायक का समर्थन करते है। वहीं दूसरे गुट मे मीराबाई पटेल,सुमनलता पटेल, राजरानी पटेल आदि शामिल है जो सुनील पटेल के साथ है।