लखनऊ (यूएनएस)। राजधानी लखनऊ के अलीगंज इलाके में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही छात्रा ने फंदे से लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। बीते 5 साल से वह लखनऊ में रहकर बैंक, एसएसएससी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। मूल रूप से रायबरेली के रहने वाली छात्रा के पिता ओंकार सिंह का कहना है 18 तारीख की रात करीब 1.00 बजे से लेकर 2.00 बजे की बीच बेटी ने सुसाइड कर लिया।

उसके पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उसने अपनी जिंदगी की निराशा और हार के बारे में लिखा है। मम्मी-पापा नमस्ते मुझे माफ कर दीजिएगा। मैं आप लोगों के सपने पूरे नहीं कर पाई, ना ही नौकरी मिल पाई, ना ही शादी के लिए कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल पाया और पापा को बार-बार रिश्ते के लिए जाना पड़ता है। और मना हो जाता है। शायद मेरी किस्मत ही खराब थी, मैं शायद इतने दिन के लिए ही आई थी. आप सब लोग अपना ध्यान रखना, आशु, दीक्षा अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना.मेरी इस दशा की जिम्मेदार मैं स्वयं हूं, इसीलिए पीजी में कोई जांच पड़ताल या कहीं भी जांच पड़ताल की कोई जरूरत नहीं है। मुझे मेरी गलती के लिए हो पाए तो माफ कर दीजिएगा। मुझे पता है कि मैं आप लोगों को परेशान कर रही हूं, लेकिन मेरे पास कोई दूसरी चॉइस नहीं है। पापा आज मैंने सबसे बात कर ली है, मतलब मम्मी-पापा दीक्षा, आंसू सभी बुआ।पापा- मम्मी, बुआ आप सब मुझे माफ कर दीजिएगा। मैं ना ही एक अच्छी और ना ही आप लोगों के लिए कुछ कर पाई। आप लोग मुझ पर गर्व कर सकें। मैं अब तक कभी अपने लिए नहीं सोचा, बस सब पापा- मम्मी आप सबके लिए ही रहा आशु, दीक्षा लेकिन शायद मैं किसी के काबिल नहीं। आशु भैया मैं तो जा रही हूं लेकिन अब तुम्हें मम्मी- पापा का ध्यान और उनका सपना पूरा करना है। अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना। पॉलिटेक्निक एंट्रेंस पेपर देकर पॉलिटेक्निक करना है। उसके बाद सिविल बीटेक और श्रम् और ।म् की तैयारी करके बनना है। मेरा पासवर्ड मेरे व्हाट्सएप पर मेरे नंबर पर है।…बाकी दिशा के लिए क्या ही बोलूं वह आप खुद समझदार हैं और बड़ी हो गई है। उससे मेरी अब क्या ही जरूरत है। लेकिन तुम दोनों लड़ाई ज्यादा नहीं करना। हमेशा एक दूसरे के साथ और मम्मी-पापा का ध्यान रखना। मैंने जो गलती की है उसके लिए मुझे एक बार मरना ही होगा। आशु मेरी भी इच्छा जो पूरी करने करेगा। कभी दूसरों के लिए अपनी जिंदगी खराब नहीं करना। पहले अपना कैरियर बनाना फिर कुछ और सोचना। दिशा तुम भी भैया से ज्यादा लड़ाई मत करना। एक दूसरे का सहारा बनना, जब तुम लोगों को कोई मेरे जैसे चिल्लाने वाला नहीं होगा। तुम्हारी दीदी… फिलहाल छात्रा के पास मिले सुसाइड नोट की पुलिस जांच कर रही है।