गिरवां के जरर की काली पहाड़ी से भरतकूप के गोंडा पहाड़ों तक फैला अवैध खनन… | Soochana Sansar

गिरवां के जरर की काली पहाड़ी से भरतकूप के गोंडा पहाड़ों तक फैला अवैध खनन…

@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।

“बुंदेलखंड के पहाड़ों पर खनन कारोबार की विनाशलीला ढाई दशक पुरानी कारगुजारियों का फलसफा है। विंध्याचल पट्टी क्षेत्र वीर महोबा के लगभग 300 पहाड़ों को खनन माफिया खत्म कर चुके है। यहां का कारोबार मध्यप्रदेश के छतरपुर क्षेत्र मे सिमट गया है। लेकिन चित्रकूट मंडल के बाँदा का गिरवां क्षेत्र भी पहाड़ों की वीरानी का गवाह बनता जा रहा है। वहीं चित्रकूट मे भरतकूप का गोंडा तो अक्सर ही अवैध खनन की विभीषिका झेलता है।”


बाँदा/चित्रकूट। गिरवां क्षेत्र मे राष्ट्रीय राज्य मार्ग नरैनी-सतना रोड मे दोनों तरफ कभी मस्तक ताने खड़े काले ग्रेनाइट के विशाल बुजुर्ग पहाड़ अब गर्त मे मिल चुके है। विंध्यवासिनी मंदिर की पट्टी से पनगरा तक पहाड़ों को खनन ठेकेदारी ने खण्ड-खण्ड कर दिया है। आज गिरवां के जरर गांव मे काली पहाड़ी पर खनन का तांडव देखने काबिल है। यहां काले ग्रेनाइट की चार खदान संचालित है। इसको एक ही ग्रुप एम.एस मल्होत्रा संचालित कर रहें है। काली पहाड़ी क्षेत्र के स्थानीय रहवासियों मे से एक सूत्रधार ने बताया कि काली पहाड़ी के गाटा संख्या 1073 मौजा जरर तहसील नरैनी जिला बांदा मे वर्तमान पर 4 लीज पहाड़ खनन की चल रहीं है। लेकिन किसी भी ग्रेनाइट खदान मे सूचना पट / खदान संचालक का बोर्ड नही लगा है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 से अगले 10 वर्ष तक पहाड़ खनन की लीज-पट्टा है। सूत्रधार कहते है कि इन खदान स्थल के ऊपर करारी शहीद बाबा की मजार है जो सभी धर्मों की आस्था का प्रतीक है। किंतु मुस्लिम आस्था का केंद्र उक्त मजार की फिक्र किये बिना मानक के विरुद्ध चार इंची ब्लास्टिंग की जा रही है। वहीं नियमों को दरकिनार करके इन पहाड़ पर लगे पेड़ पौधों व पुराने दरख़्त उखाड़ने के बाद मौरम डालकर नष्ट कर दिया गया है। पहाड़ खनन मे यूपी खनिज उप परिहार नियमावली एक्ट की शर्तों का अनुपालन नही किया जाता है। यहां काम कर रहें मजदूरों का बाँदा श्रम विभाग मे पंजीकरण तक नही है। साथ ही पत्थर तोड़ने वालों को प्राथमिक सुरक्षा के नामपर लीज शर्तों के मुताबिक सुरक्षा उपकरण तक नही मिलते है।

अर्थमूविंग मशीनों से पहाड़ों का खनन-


सूत्रधार बतलाते है कि विंध्यवासिनी पहाड़ तो इसलिए बचा है क्योंकि उसमें देवी जी विराजमान है। अन्यथा पहाड़ पट्टेधारक इन सफेद पहाड़ी को भी नेस्तनाबूद कर देते है। वे कहतें है कि बुंदेलखंड मे वही पहाड़ सुरक्षित है जिनमे मंदिर या देवी-देवताओं का प्रवास स्थल है। मसलन चित्रकूट के कामतानाथ कामदगिरि पर्वत पर है। हनुमान धारा भी पहाड़ पर है। सतना-मैहर की देवी माता पहाड़ पर है। विंध्यवासिनी खत्री पहाड़ पहाड़ पर है। वहीं विंध्याचल मे जहां भी पहाड़ बचे उनमे आस्था / धार्मिक केंद्रों की बड़ी भूमिका है। कहीं पर तो पहाड़ों के ऊपर जलस्रोत है। जैसे चित्रकूट मे इसके दर्जनों उदाहरण है मसलन धारकुंडी आश्रम। भरतकूप के आसपास पहाड़ों पर जलस्रोत पाए जाते है।

बाँदा का कालिंजर दुर्ग (मृग धारा,तालाब, नीलकंठ महादेव के पास जलकुंड), महोबा के जुझार पहाड़ पर जलस्रोतों को खनन माफियाओं ने उजाड़ दिया है। गौरतलब है ये पहाड़ खनन ठेकेदार अर्थमूविंग / पोकलैंड मशीनों से ग्रेनाइट तोड़ते है। पत्थर तोड़ने के पूर्व बड़ी चट्टानों को दो इंच की जगह चार इंच ब्लास्टिंग से बारूद भरकर या जिलेट की छड़ो से उड़ाते है। इन पहाड़ों को पताल तक तोड़ा जाता है जब तक ज़मीन से पानी नही निकल आता है। महोबा का गौरिहार क्षेत्र तो गौरा पत्थर खनन के चलते खोखला,वीरान होकर जलसंकट का बड़ा केंद्र है। बाँदा का गिरवां क्षेत्र, जरर गांव आसपास काली पहाड़ी भी खनन के गुबार से हर साल विनाश की तरफ बढ़ रही है। इन खदानों मे दो दशकों के दरम्यान दर्जनों मजदूरों की पहाड़ ढहने, अवैध ब्लास्टिंग से ज़िंदगी खत्म हो चुकी है। कहते है पहाड़ पानी का एक्यूप्रेशर होते है,यह भूगर्भीय जल स्रोतों को ज़िंदा रखते है और दैवीय आपदा से क्षेत्र की रक्षा करते है। कुरान के मुताबिक ज़मीन पर गड़े पहाड़ के ये खूंटे खुदा ने धरती / ज़मीन की हिफाजत को बनाये है जिससे आदमी पानीदार व सायदार रहे। इन्हें उखाड़ने का अर्थ अपनी नस्लों को शुद्ध हवा-पानी से बेदखल करना है।

सीताराम वनगमन क्षेत्र भरतकूप के गोंडा पहाड़ मे खनन-


अयोध्या पति भगवान सीताराम ने जिस चित्रकूट मे 11 साल वनवास किया, जंगलों, वनवासी लोगों की रक्षा मे अपने प्रभुत्व को साधारण अवतारी पुरूष की तर्ज पर प्रस्तुत किया। आज उसी चित्रकूट के भरतकूप क्षेत्र अंतर्गत गोंडा पहाड़ के कुरारी पत्थर खदान मे बीते 25 अप्रैल को पहाड़ मे अवैध ब्लास्टिंग के चलते पहाड़ धंसने से तीन मजदूरों की जिंदगी खतरे मे पड़ गई थी। ग्रामवासी बतलाते है कि यह खदान राजा द्विवेदी और एमपी जायसवाल की है। कुरारी मे गाटा संख्या 1078 मे रात्रि को खनन हो रहा था। मानक को ताक पर रखकर लीज होल्डर राजा द्विवेदी, एमपी जायसवाल, बिहार निवासी ठेकेदार कन्हाई, मैनेजर शंकर प्रसाद गुप्ता, मुंशी वीर सिंह ने अवैध चार इंची ब्लास्टिंग से मजदूरों को खतरे मे डालने का काम किया। गम्भीर घायलों का सतना स्थित अस्पताल मे इलाज हुआ। उधर एसआई भरतकूप अभिषेक कुमार के अनुसार खदान संचालन कर्त्ता पर लापरवाही के कारण एफआईआर दर्ज की गई है। जांच को तीन सदस्यीय टीम मे एसडीएम, खनिज अधिकारी सुधाकर सिंह,तहसीलदार शामिल है। यह डीएम को अपनी रिपोर्ट देंगे तब दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। बकौल ग्रामीण शिवरतन ने बताया कि पहले भी गोंडा पहाड़ मे जुलाई 2024 को बीजेपी नेता आनंद त्रिपाठी उर्फ बब्बू के भाई की पहाड़ खदान मे पहाड़ ढहने से मजदूर मर गया था। तब 5 लाख रुपया जुर्माना हुआ था। वे कहतें है कि खदान के मजदूरों को सुरक्षा उपकरण नही मिलते है। साथ ही अवैध खनन और स्टोन क्रेशर की डस्ट से स्वास्थ्य व खेती पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। भरतकूप और महोबा को पहाड़ खनन ने तबाह कर दिया है। यह ढाई दशक से चलता आ रहा है। खबरों के बाद कुछ दिन शांति फिर इसके बाद एनजीटी, खनिज एक्ट शर्ते सब सरकार के अफसरों को भूल जाता है। उधर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रीय दफ्तर बाँदा के अधिकारी घूसखोरी मे मस्त रहते है। यह बुंदेलखंड के भविष्य व सरकार के पर्यटन विरासत उद्देश्य से खिलवाड़ करने का एजेंडा / षडयंत्र है। यह जलसंकट का कारण, पहाड़ों पर जंगलों के खात्मे, औषधीय पौधों के विलुप्ति की वजह औऱ बढ़ते तापमान की जमीनी हकीकत है।

Like us share us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *