@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा

- घटनाक्रम 14 मार्च की रात 10 बजे के बाद का बताया गया है।
- पीड़ित शैलेंद्र गुप्ता पुत्र उमाकांत गुप्ता की धर्मपत्नी किरण गुप्ता ने पति संग सोशल मीडिया पर लगाई मुख्यमंत्री से गुहार।
- पुलिस अपराध पर रिपोर्ट करती है उसको रोकती नही है यह घटना इस बात की नजीर है।
- जानलेवा हमले से गम्भीर घायलावस्था की फ़ोटो देखकर सहम जा रहें है लोग। धर्मपत्नी ने परिवार सहित जींवन सुरक्षा और कार्यवाही की मांग उठाई है।
- कहां है वैश्य समुदाय के जनप्रतिनिधि ?
बाँदा। शहर के जेल रोड, स्वराज्य कालोनी, जरैली कोठी के पास रहवासी युवा शैलेंद्र गुप्ता पर बीती 14 मार्च की रात 10 बजे के बाद पड़ोसी अंकुर सिंह कछवाह ने जानलेवा हमला किया। जानलेवा हमले की तस्वीरों को देखकर किसी की भी रूह कांप जाएगी। अलबत्ता किस्मत का तेज शैलेंद्र गुप्ता ज़िंदा है यह बड़ी बात है। सोशल मीडिया मे जारी सपत्नीक किरण गुप्ता और शैलेंद्र ने एक वीडियो बयान जारी करके अपने और परिवार को उक्त दबंग से जीवित बचाने की गुहार लगाई है। इस खबर के साथ वह तस्वीर, फेसबुक पर वायरल वीडियो, पीड़ित का पुलिस प्रशासन को निवेदित पत्र और धर्मपत्नी किरण के द्वारा किया गया पोस्ट स्क्रीन शाट चस्पा है।
https://www.facebook.com/share/r/1DfudA181C/ सोशल पेज फेसबुक पर शैलेंद्र गुप्ता का जारी वीडियो लिंक।

घटनाक्रम की जब जानकारी की गई तो स्थानीय सूत्रों व शैलेन्द्र गुप्ता के जानने वाले बतलाते है कि पीड़ित नगर पालिका वार्ड 14 से नगरपालिका सभासद का चुनाव भी लड़ चुका है। वह सदर विधायक के साथ उनके समर्थक की भूमिका मे भी रहा है। इस तथ्य की प्रमाणिकता शैलेंद्र गुप्ता की फेसबुक पोस्ट व फ़ोटो गैलरी भी करती है। युवा लड़का व्यापार मंडल से भी जुड़ा है लेकिन उसकी इस दुर्दशा पर किसी व्यापार मंडल के जनप्रतिनिधियों, सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं, वैश्य समुदाय के शुभचिंतक व वोटों के लम्बरदार ने भी पीड़ित का साथ नही दिया है।

विडंबना है कि पुलिस ने जांच के बाद एफआईआर की बात कही है। पीड़ित शैलेंद्र गुप्ता वीडियो बयान मे कहते है उनके सिर पर 42 टांके है। बाकी तस्वीर आप स्वयं देख सकते है।

हमले और विवाद की जड़ –

पीड़ित शैलेंद्र गुप्ता व अपराधी हमलावर अंकुर सिंह कछवाह दोनों का घर अगल-बगल है। प्रार्थना पत्र अनुसार शैलेंद्र एक कुत्ता पालने को लाये थे। इस पर अंकुर सिंह ने उन्हें कुत्ते को अपने घर की सरहद तक रखने की हिदायत दी थी। इस तनातनी मे उनका पूर्व मे विवाद हुआ जिस पर 112 नम्बर पुलिस ने समझौता कराया था। इधर शैलेन्द्र ने कुत्ता बाहर दूर छोड़कर रामभला करे वाली कहावत को आत्मसात कर लिया। उधर मुहल्ले मे क्षत्रप और अंदर की खुन्नस मे आक्रोशित युवा क्षत्रिय हमलावर अंकुर सिंह कछवाह की भुजाओं मे जोश व मौके पर प्रतिशोध की भावना पैठ कर चुकी थी। घटना 14 मार्च को रात 10:30 बजे के बाद कारित होती है। शैलेंद्र घर के बाहर खड़े थे तभी हमलावर अंकुर सिंह कछवाह ने अपनी फार्च्यूनर गाड़ी नम्बर UP90AC8808 से आते है और शैलेंद्र को कुचल देते है। पीड़ित बचने न पाए इसलिए दुबारा गाड़ी चढ़ाई जाती है। शैलेंद्र गम्भीर घायलावस्था मे सड़क पर पड़े थे। आनन-फानन मे आसपास के लोग आकर उन्हें ज़िला अस्पताल लाते है।

प्रार्थना पत्र मुताबिक उक्त हमलावर अस्पताल भी पहुंचकर ललकारते है। घटनाक्रम से सहमे पीड़ित के परिजन शैलेंद्र को लेकर कानपुर इलाज हेतु चले जाते है। अवनी परिधि निजी नर्सिंग होम के पास पुलिस पीड़ित का बयान लेती है। इलाज के दरम्यान और आज तक हमलावर का दंश झेलने वाले शैलेंद्र और उनकी पत्नी किरण को एक वीडियो जारी करके अब बाँदा पुलिस प्रशासन से न्याय मांगना पड़ रहा है। सवाल यह कि यदि हमलावर मजबूत न होता तो क्या यही होता ? क्या कानून इतना असहाय व लचर है या मुख्यमंत्री के मीडिया मे दिए बयान सिर्फ प्रचार का हिस्सा है कि जनता और पीड़ित के साथ प्रथम दृष्टया न्याय हो। अपराधी बचना नही चाहिए वह कितना भी ताकतवर क्यों न हो। अपराध और अपराधियों की रोकथाम पर ऑपरेशन कनविक्शन संचालन करती पुलिस से इतने न्याय की उम्मीद तो सरकार भी करती है। देखना होगा कि शैलेंद्र चोट से उबरकर दिमागी रूप से कितने स्वस्थ रहते है।